‘वक्त शाम करीब साढ़े 5 बजे का था। मैं घर के बाहर खेल रही थी। एकदम से तीन मंजिला पूरा घर मेरी सामने गिर गया। घर में अम्मी-अब्बू, भाई, दो बहनें थीं। मम्मी शायमा अस्पताल में हैं। अब्बू साजिद नहीं रहे….’
यह कहते हुए 7 साल की रिया का गला भर आता है। उसके परिवार के 10 लोगों की एक साथ मौत हो गई। मरने वालों में 6 बच्चे भी हैं। रविवार की शाम एक साथ 10 जनाजे उठे तो हर कोई गमगीन हो गया। करीब 10 हजार लोग मिट्टी देने कब्रिस्तान पहुंचे। हादसे के 36 घंटे बीत जाने के बाद भी जाकिर कॉलोनी में मातम पसरा है।
की टीम लगातार एक्सीडेंट स्पॉट पर मौजूद रही। हादसे का मंजर भयावह रहा। कुछ पल के लिए सब कुछ ठहर सा गया था, तेज धमाका हुआ, धूल के गुबार उड़े और इलाके में अंधेरा सा छा गया। अचानक से लोग दौड़ने लगे और बचाओ…बचाओ का शोर मचने लगा। धूल के गुबार उड़ते हुए नजर आ रहे थे।
आखिर एक मजबूत मकान मलबा कैसे बन गया? हादसा कैसे हुआ?
अब एक नजर पूरे हादसे पर मेरठ के लोहियानगर थाना क्षेत्र के हापुड़ रोड पर जाकिर कॉलोनी है। इसकी गली नंबर-8 में करीब 5 घर छोड़कर यह हादसा हुआ है। नफीसा उर्फ नफ्फो का मकान गिर गया। उनका बड़ा बेटा आबिद परिवार संग दूसरे मकान में रहता है, जबकि साजिद, नदीम, नईम और शाकिर का परिवार इसी मकान में रहता था।
शाम 5.15 बजे नफीसा का 3 मंजिला मकान भरभराकर गिर गया। मकान के आंगन में बैठे नदीम, नईम और शाकिब ने भाग कर जान बचाई। मकान के अंदर नफीसा, उसका बेटा साजिद, साइमा पत्नी साजिद, फरहाना पत्नी नदीम, अलीशा पत्नी नईम, आबिद की बेटी, साजिद का बेटा शाकिब, बेटी सानिया व रिया, नईम की बेटी रिमशा, रिश्तेदार सोफियान पुत्र पप्पू और सिमरा पुत्री सरफराज मौजूद थे। सभी मलबे में दब गए।
घटना के 15 मिनट के अंदर तीन थानों की पुलिस फोर्स और करीब 20 मिनट बाद फायर ब्रिगेड की टीम पहुंच गई। उससे पहले मोहल्ले के लोगों ने रेस्क्यू शुरू कर दिया था। छत को कटर और हथौड़े से तोड़ा जाने लगा। गली संकरी होने के चलते जेसीबी मशीन अंदर नहीं जा सकी। वहीं, देर रात बारिश के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किल हुई।
17 घंटे चला रेस्क्यू, निकाली गईं 10 डेड बॉडी NDRF-SDRF, फायर ब्रिगेड, स्थानीय पुलिस के समेत करीब 150 लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे रहे। इस दौरान 10 एंबुलेंस भी मौके पर मौजूद रहीं। करीब 17 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला। मलबे से 10 शव निकाले गए, जबकि पांच लोग गंभीर रूप से घायल मिले। इन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
अलाउद्दीन की मौत के बाद बेटे चला रहे थे डेयरी नफ्फो के पति अलाउद्दीन की करीब 5 साल पहले मौत हो चुकी है। अलाउद्दीन दूध कारोबारी थे। पिता की मौत के बाद चार बेटे साजिद, नदीम, नईम, शाकिर डेयरी चला रहे थे। यह डेरी घर के ग्राउंड फ्लोर पर चल रही थी।
यहीं 45 भैंसे और 11 बकरियां बांधी जाती थीं। दूध की सप्लाई भी यहीं से होती थी। जिस समय हादसा हुआ, नदीम घर के बाहर था।
300 गज का तीन मंजिला मकान था हमारा हमने नफीसा उर्फ नफ्फो के बेटे नदीम से बात की। उन्होंने बताया- मैं भैंस को चारा देने के लिए नीचे आया था। दूध निकालना था। मैं घर के बाहर आया, करीब 10 मिनट हुए होंगे कि जोरदार आवाज हुई। पूरा इलाका धूल से भर गया। मेरा कलेजा बैठने लगा था। देखा तो मेरा ही घर गिर गया था।
मेरा पूरा घर 300 गज में बना था। करीब 20 साल से हम लोग यहां डेयरी चला रहे हैं। घर को बने हुए 50 साल हो गए होंगे। 10 साल पहले सबसे ऊपर वाला हिस्सा बनवाया था। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि यह हादसा कैसे हुआ है। दूसरे फ्लोर में साजिद भाईजान रहते थे। वो नहीं रहे।
नदीम ने बताया- मां नफीसा, भाई साजिद और भाभी सायमा अपने कमरे में थे। साजिद की बेटी सानिया और रिजा घर में खेल रही थी। रिजा घर से बाहर निकल गई थी। नईम की पत्नी अलीशा (22) अपनी पांच माह की बेटी रिमशा के साथ कमरे में थीं।
मामा पप्पू का बेटा सूफियान 5 माह की बच्ची को लेकर घर आया था। भाई शाकिर और उसकी पत्नी साहिबा किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे। तभी अचानक यह हादसा हो गया।
मेरी अम्मी परिवार को एक साथ लेकर चलती थीं रोते-बिलखते नफ्फो की बेटी ने कहा- मैं बीमार थी। अपने ससुराल में थी। मुझे रात को नदीम ने फोन किया। वो बहुत रो रहा था। उसने बताया कि घर गिर गया है। मैं रात को ही यहां आ गई थी। हमारा घर-परिवार बहुत अच्छा था। पता नहीं किसकी नजर लग गई। मेरी अम्मी परिवार को एक साथ लेकर चलती थीं। कभी नहीं सोचा कि सभी भाई अलग हों। अल्लाह यह कैसा मंजर देखने को मिल रहा है।
सप्ताह भर पहले डेयरी की जमीन धंसी थी पड़ोसियों की माने तो साजिद ने बताया था कि सप्ताह भर पहले घर के ग्राउंड फ्लोर में जमीन धंस गई है। लेकिन, उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। 4 दिनों से बारिश हो रही थी। इसके बाद यह हादसा हो गया।
मेरी अम्मी को बचा लो, वो अस्पताल में हैं रोती-बिलखती रिया से हमने बात की। वो बोली- हमारी अम्मी अभी अस्पताल में हैं। मेरे सामने घर गिर गया। मैं खेलने के लिए घर से बाहर आई थी। बस मेरी अम्मी को बचा लो।
एक घंटे बाद हादसा होता, तो 40 लोग चपेट में आ जाते मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- नफ्फो उर्फ नफीसा की डेयरी पर रोजाना शाम करीब साढ़े 5 से 6 बजे के बीच लगभग 30 लोग दूध लेने लिए पहुंचते थे। अगर एक घंटे बाद हादसा होता, तो लगभग 40 लोग मलबे में दब सकते थे।
ऐसा लगा जैसे भूकंप आया हो स्थानीय निवासी बाबू ने कहा- मेरा घर करीब 1 किलामीटर की दूरी पर होगा। हम शाम को बैठे थे। तभी ऐसा लगा जैसे बम फटा हो। पूरा मकान गिर गया। भूकंप जैसा कंपन हुआ। हम लोग जब यहां आए तो होश उड़ गए। हमारी सीएम योगी से अपील है कि सभी की हर संभव मदद हो।
राजूद्दीन ने कहा- मेरे स्कूल में बच्चियां पढ़ती थीं। हम अपने स्कूल में बैठे थे। बहुत जोर आवाज आई। आज उन बच्चों के बारे में सोच रहा हूं, तो रूह कांप रही है। हम लोग रात भर सो नहीं पाए। सभी लोगों ने मदद की। प्रशासन ने बहुत काम किया। पूरी रात रेस्क्यू ऑपरेशन चला। हम सिर्फ यही जानते हैं कि ऐसा हादसा मैंने कभी नहीं देखा।
यूरिन और गोबर ने कमजोर की मकान की नींव माना जा रहा है कि डेयरी में बंधी भैंस और बकरियों के यूरिन से घर की नींव कमजोर हो गई थी। मकान में केवल एक पिलर था। यह पिलर गेट पर मौजूद था, यही कारण रहा कि गेट को छोड़कर पूरा मकान जमींदोज हो गया।
मौके पर मौजूद NDRF के कर्मचारियों ने बताया कि मकान की दीवार ज्यादा मजबूत नहीं थी। यह करीब 3 से 4 इंच की होंगी। यहां जल निकासी का भी पर्याप्त इंतजाम नहीं है। घर के लिंटर के नीचे परिवार दबा था। इन्हें निकालने में मुश्किल हुई।