लेबनान के कई शहरों में 18 सितंबर को घरों, सड़कों और बाजारों में लोगों की जेब और हाथ में रखे पेजर अचानक फटने लगे। ब्लास्ट का सिलसिल करीब 1 घंटे तक लेबनान से लेकर सीरिया तक चला। धमाकों में 11 लोगों की मौत हुई, जबकि 3000 हजार से ज्यादा जख्मी हो गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये हिजबुल्लाह को निशाना बनाकर किए गए सीरियल पेजर ब्लास्ट थे, लेकिन इनमें आम लोग भी हताहत हुए। घायलों में ईरानी राजदूत भी शामिल हैं। हिजबुल्लाह ने धमाकों का आरोप इजराइल पर लगाया है।
लेबनान के ज्यादातर इलाके में हिजबुल्लाह का कब्जा है। इस संगठन ने अपने लड़ाकों को हैकिंग और हमलों के खतरे से बचने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करने को कहा है। इसी वजह से यहां लोग पेजर का इस्तेमाल करते हैं।
जगह- गाजा पट्टी, तारीख- 6 मार्च 1966 हमास का सीनियर मेंबर याह्या अय्याश अपने बचपन के दोस्त ओसामा हमद के घर में रात बिताने गया था। तभी हमद के घर में फोन बजा। अय्याश को कहा गया कि उनके पिता का फोन है, वे उससे बात करना चाहते हैं। अय्याश ने जैसे ही बात शुरू की वहां धमाका हुआ और वो मारा गया।
इजराइली सुरक्षा एजेंसी शिन बेत के पूर्व निदेशक कार्मी गिलोन बताते हैं कि इस धमाके को उनकी एजेंसी ने अंजाम दिया था। शिन बेत के एजेंट ने पैसे और इजराइली पहचान दिलाने के बदले हमद के चाचा से अय्याश के हमद से मिलने की जानकारी ली।
एक सेल्युलर फोन हमद के घर लगाया गया। हमद के चाचा को कहा गया कि इससे वे सिर्फ अय्याश की बातचीत सुनना चाहते हैं, जबकि शिनबेत ने इसमें 15 ग्राम RDX फिट कर दिया था। अय्याश जैसे ही फोन पर बात करने लगा रिमोट कंट्रोल से फोन में ब्लास्ट कर दिया गया।
ये वो घटना थी जिसके बाद हमास, हिजबुल्लाह समेत दुनिया भर में इजराइल के दुश्मन सतर्क हो गए। हमास ने जहां सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया; वहीं, हिजबुल्ला ने रेडियो वेव से चलने वाले पेजर को अपनाया।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमले के बाद हिजबुल्लाह ने पेजर्स का इस्तेमाल बड़े स्तर पर शुरू किया था, ताकि इजराइल की खुफिया एजेंसी उन्हें ट्रैक न कर पाए।
इजराइल से बचने के लिए हिजबुल्लाह जिस पेजर का इस्तेमाल करता है, वो क्या है? जवाब: पेजर एक वायरलेस डिवाइस होता है, जिसे बीपर के नाम से भी जानते हैं। 1950 में पहली बार पेजर का इस्तेमाल न्यूयॉर्क सिटी में हुआ। तब 40 किलोमीटर की रेंज में इसके जरिए मैसेज भेजना संभव था। 1980 के दशक में इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में होने लगा।
2000 के बाद वॉकीटॉकी और मोबाइल फोन ने इसकी जगह ले ली। पेजर की स्क्रीन आमतौर पर छोटी होती है, जिसमें लिमिटेड कीपैड होते हैं। इसका इस्तेमाल दो तरह से मैसेज भेजने के लिए होता है- 1. वॉयस मैसेज 2. अल्फान्यूमेरिक मैसेज। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि लेबनान में जो पेजर्स विस्फोट हुए हैं वो अल्फान्यूमेरिक हैं।
पेजर्स से मैसेज भेजने के लिए रेडियो वेव का इस्तेमाल होता है। इसे बेस स्टेशन पर लगे ट्रांसमीटर के जरिए भेजा जाता है। एडवांस पेजर्स को फोन नंबर की तरह कोड नंबर दिए जाते हैं। उस कोड को डायल करने पर सिर्फ उसी पेजर में मैसेज ट्रांसफर होते हैं। यह बातचीत का बेहद सिक्योर मीडियम होता है, जिसे आसानी से कोई सुरक्षा एजेंसी ट्रेस नहीं कर सकती है। इस तरह के डिवाइस को ट्रेस करने के लिए उसकी रेंज में होना जरूरी है।
पेजर में न GPS होता है और न ही इसका IP एड्रेस होता है, जिससे इसे मोबाइल फोन की तरह ट्रेस किया जाए। पेजर का नंबर बदला जा सकता है, इसकी वजह से पेजर का पता लगाना आसान नहीं होता।
पेजर की खासियत है कि एक बार चार्ज होने पर ये एक सप्ताह से ज्यादा समय तक यूज किया जा सकता है, जबकि मोबाइल को एक या दो दिन में चार्ज करना होता है। यही वजह है कि इसे रिमोट लोकेशन यानी दूर-दराज इलाके में इस्तेमाल किया जाता है।