फंड की कमी से अटका जल जीवन मिशन:2019 में शुरू, मार्च 2024 डेडलाइन; देरी से बजट ₹3.60 लाख करोड़ से ₹8.33 लाख करोड़ हुआ

घर-घर पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने के मकसद से 15 अगस्त 2019‎ को शुरू की गई जल जीवन मिशन‎ योजना अधर में लटकी है।‎ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना‎ की शुरुआत करते हुए मार्च 2024‎ तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा ‎था।

योजना की शुरुआत हुई, तब देशभर में 3.24 करोड़ परिवारों को ही नल से जल की सुविधा थी। बीते 5 साल में 15.15 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पानी पहुंचाया गया है। यह कुल ग्रामीण आबादी का करीब 78% है।

दुर्गम भूभाग और‎ खासतौर पर पानी की कमी वाले‎ इलाकों में अभी भी 4.18 करोड़‎ परिवारों तक योजना का लाभ‎ पहुंचना बाकी है। इनमें राजस्थान,‎ गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर‎प्रदेश के बुंदेलखंड जैसे इलाके‎ प्रमुख हैं।

दरअसल, इन इलाकों‎ तक पानी पहुंचाने के लिए लंबी‎ दूरी तय करनी पड़ रही है। केंद्रीय‎ फंड की कमी और पहले से हो चुके काम का भुगतान न होने के‎ कारण यह योजना अटक गई है।‎

शुरुआत में योजना का बजट 3.60 लाख करोड़ रुपए था। इसमें केंद्रीय हिस्सेदारी 2.08 लाख करोड़ और राज्य की 1.52 लाख करोड़ रुपए रही। मिशन आगे बढ़ने के साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा न होने के कारण लागत बढ़ती गई। संशोधित बजट बढ़कर 8.33 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह अनुमान के दोगुने से ज्यादा है। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 4.33 लाख करोड़ और राज्यों की 4.00 लाख करोड़ रु. है।

शुरुआत में ऐसे इलाके थे, जहां भू-जल था, तो बजट की जरूरत कम थी। बाकी इलाकों में काम चुनौतीपूर्ण है, इसलिए बजट की ज्यादा जरूरत है। फंड की कमी से काम धीमा हो गया है। एजेंसियों को मटेरियल और कामगारों की सप्लाई बनाए रखने में दिक्कत आने लगी है।

कोरोना में दो साल काम नहीं, पाइप की सप्लाई में भी देरी

कोविड के चलते दो वर्ष काम नहीं हो सका। प्रोजेक्ट में लगने वाले डक्टाइल आयरन पाइप की भी कमी रही। इस पाइप को बनाने वाले भी सीमित हैं। पाइप की मांग अचानक बढ़ने से सप्लाई में देरी हुई है। इससे भी काम प्रभावित हुआ है।

केंद्र ने इस वित्त वर्ष में मध्य प्रदेश को मिशन के लिए 4,044 करोड़ रु. और राज्य ने 7,671.60 करोड़ रु. का अलॉट किए हैं। जल जीवन मिशन की गाइडलाइन के मुताबिक वर्क ऑर्डर में केंद्र-राज्य का हिस्सा 50-50% और व्यावसायिक गतिविधियों में 60-40% होगा।

बीते साल जल जीवन मिशन के तहत मध्य प्रदेश में 10,773.41 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। फिलहाल इस योजना के तहत 1500 करोड़ रु. से अधिक राशि का भुगतान रुका हुआ है। पुराने आंकड़ों को देखते हुए 2024-25 में राज्य में इस योजना के लिए कम से कम 17,000 करोड़ रु. की जरूरत होगी।