आगरा में एक परिवार की तीन महिलाएं लड्डू गोपाल को अपने बेटे के रूप में पाल रही हैं। इनके नाम केशव, माधव और राघव हैं। केशव का स्कूल में एडमिशन कराया गया है। इस साल वह नर्सरी क्लास में हैं। प्ले ग्रुप में केशव को 550 में 546 नंबर यानी 98.36% मिले हैं। केशव हिंदी रिसाइटेशन में सबसे कमजोर हैं।
बाकी के दो लड्डू गोपाल माधव और राघव का अगले साल एडमिशन कराया जाएगा। इन्हें पालने वाली परिवार की देवरानी-जेठानी सुबह बाकायदा इन्हें प्यार-दुलार से जगाती हैं। फिर स्कूल के लिए तैयार करती हैं। टिफिन तैयार करती हैं। बच्चों की तरह उनसे स्कूल का होमवर्क कराया जाता है। एग्जाम भी दिलाए जाते हैं।
हर साल बर्थडे पर रिश्तेदारों और पड़ोस के लड्डू गोपाल भी बुलाए जाते हैं। तीनों भाई एक जैसे कपड़े पहनकर घर के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। तीनों महिलाएं यशोदा बनकर लड्डू गोपाल को पाल रही हैं।
जानिए, किस तरह लड्डू गोपाल से ऐसी लगन लगी नूरी दरवाजे की रहने वाली अलका अग्रवाल बेसिक स्कूल में टीचर हैं। साहित्य क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। उनकी सहेली बबीता वर्मा ने पांच साल पहले 25 सितंबर को उनके जन्मदिन पर खास गिफ्ट दिया। लड्डू गोपाल उपहार के रूप में दिए गए। अलका ने लड्डू गोपाल को मंदिर में रख दिया। दिसंबर में बबीबा उनसे मिलने घर आईं। बोली- लल्ला से मिलवाओ। मंदिर में लड्डू गोपाल को देखकर बहुत गुस्सा हुईं और अलका को डांट दिया कि यह बच्चे हैं। उन्हें मंदिर में ऐसे क्यों रखा है। उन्हें भी ठंड लगती हैं, भूख लगती है।
इस बात पर उस समय अलका को हंसी आई, लेकिन बाद में बेचैनी बढ़ती गई। वह दिन-रात इसी उधेड़बुन में रहीं कि लड्डू गोपाल को ठंड लग रही होगी। फिर यूट्यूब से देखकर गर्म पोशाक तैयार की। इसके बाद लड्डू गोपाल को ईश्वर के रूप में नहीं, बल्कि अपने बेटे के रूप में देखने लगीं। अपनी जेठानी मीनू के साथ पोशाकें तैयार करने लगीं। उनका नाम केशव रखा। केशव जब तीन साल के हुए तो घर में ही पढ़ाई शुरू की गई।
केशव की टीचर क्लासवर्क और होमवर्क अलका को भेजती हैं पिछले साल दयालबाग के मदर्स हार्ट पब्लिक स्कूल में केशव का एडमिशन प्ले ग्रुप में कराया गया। अब केशव नर्सरी में हैं। उनकी टीचर उनके लिए होमवर्क और क्लासवर्क अलका को भेजती हैं। अलका रोज रात अपने बेटे केशव को अपने पास बैठा कर पढ़ाई करवाती हैं। याद कराती हैं। उनसे पूछा कि केशव कैसे पढ़ते हैं तो बोलीं कि वो रात में सपने में आकर मुझे सब सुनाते हैं।
केशव रोज स्कूल तो नहीं जाते, लेकिन मन-भाव से वो स्कूल जाते हैं। अलका कहती हैं, स्कूल में फीस नहीं ली जाती है, इसलिए स्कूल के बच्चों के लिए समय-समय पर केशव के साथ जाकर कुछ न कुछ करती हूं। पिछले दिनों 25 सितंबर को ही केशव के बर्थडे पर स्कूल गईं। वहां उन्हें झूला झुलाया। उनकी कॉपी-किताबें हैं। ढेर सारे कपड़े भी हैं।
केशव को देखकर उठी ममता, फिर माधव और राघव आए अलका की जेठानी मीनू ने बताया- सबसे पहले घर में केशव आए। उसके बाद उनकी पोशाक बनाते समय, उनकी बातें करते समय लगा कि मेरे पास भी एक लड्डू गोपाल हों। तीन साल पहले बबीता वर्मा एक दिन अचानक 25 दिसंबर को उन्हें भी लड्डू गोपाल दे गईं। उन्होंने अपने बेटे का नाम माधव रखा है। उनके घर की बहू रीमा के पास जो लड्डू गोपाल हैं, वो सबसे छोटे हैं। वो दो साल पहले ही परिवार में आए हैं। उनका नाम राघव रखा गया है।
घर पर ही केक बनाकर बर्थडे मनाती हैं अलका ने बताया- तीनों के बर्थडे पर रीमा ही केक बनाती हैं। घर पर भजन संध्या होती है। रिश्तेदारों के अलावा पड़ोसियों को भी बुलाया जाता है। जिनके घरों में लड्डू गोपाल हैं, उन्हें खास तौर पर न्योता दिया जाता है। माधव का बर्थडे क्रिसमस पर होता है। इसलिए लाल और सफेद रंग की डेकोरेशन की जाती है। तीनों लड्डू गोपाल को इसी रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं। यही नहीं, तीनों घर के कार्यक्रमों में नए कपड़े पहन कर जाते हैं। तीनों के कपड़ों की साथ में शॉपिंग की जाती है। घर पर ही गर्म पोशाकें तैयार की जाती हैं।
जहां तक पढ़ना चाहेंगे, पढ़ाएंगे तीनों अपने बेटों को एजुकेशन दिलाना चाहती हैं। मीनू और रीमा का कहना है कि माधव और राघव का एडमिशन मदर्स हार्ट स्कूल में ही कराया जाएगा, क्योंकि बड़ा भाई वहां पढ़ता है। स्कूल में 8वीं तक क्लासेज हैं। उसके बाद बेटे जहां पढ़ना चाहेंगे, जितना पढ़ना चाहेंगे, हम उन्हें पढ़ाएंगे।
तीनों परिवारों में हैं बच्चे अलका के तीन बच्चे हैं। बड़ी बेटी PhD कर रही है। दूसरी बेटी आर्किटेक्ट है। वहीं, बेटा 10वीं में है। मीनू के जुड़वा बच्चे हैं। बेटा कोचिंग क्लासेज चलाता है। बेटी की शादी हो चुकी है। रीमा के दो बेटे हैं। एक का मेडिकल और दूसरे का इंजीनियरिंग में सिलेक्शन हुआ है।