साईं मूर्ति हटाने वाले को पुलिस उठा ले गई:काशी में मंदिरों से मूर्ति हटाने जा रहे थे; रात 2 बजे सादी वर्दी में पकड़ा

वाराणसी के मंदिरों से साईं मूर्तियां हटाने वाले अजय शर्मा को पुलिस ने पकड़ लिया है। बुधवार रात 2 बजे शर्मा मंदिरों से साईं मूर्तियां हटाने के लिए घर से निकले थे। सूचना पर सादी वर्दी में पुलिस पहुंच गई और बीच रास्ते से उन्हें उठा ले गई। DCP काशी गौरव बंसवाल ने  इसकी पुष्टि की।

उन्होंने बताया- शांति भंग में सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा को हिरासत में लिया गया है। इससे पहले शर्मा के घरवालों ने आरोप लगाया था कि रात 2 बजे मैदागिन चौराहे से नीली कार से आए कुछ युवक उन्हें उठा ले गए। उनके दोनों मोबाइल नंबर ऑफ हैं।

साईं बाबा की मूर्ति हटाने का विवाद बढ़ता जा रहा है। शिरडी साईं ट्रस्ट महाराष्ट्र ने इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। सपा ने कहा- आखिर कब तक ऐसे मंदिर, मस्जिद, भगवान और साईं बाबा पर बात होगी।

सनातन रक्षक दल ने 1 अक्टूबर को वाराणसी के 14 मंदिरों से साईं की मूर्तियां हटाई थीं। उनका दावा है कि अभी 60 और मंदिरों की लिस्ट है। इधर, लखनऊ में भी अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने मंदिरों से साईं मूर्तियों को हटाने की मांग की है। कहा- मंदिरों में साईं मूर्तियों को स्थान नहीं दिया जाएगा।

भूतेश्वर और तारकेश्वर महादेव मंदिर से साईं मूर्ति हटाने निकले थे सनातन रक्षक दल के पदाधिकारियों ने बताया- बुधवार रात दो बजे अजय शर्मा मजदूरों की तलाश में निकले थे। उन्होंने दशाश्वमेध के भूतेश्वर महादेव और तारकेश्वर महादेव मंदिर से साईं मूर्ति हटाने का ऐलान किया था।इन मूर्तियों को गुरुवार तड़के हटाया जाना था, जिसके लिए कुछ करीबी लोगों को मंदिर के बाहर बुलाया था। जब वो लोग पहुंचे, तब तक अजय शर्मा को कार सवारों ने उठा लिया।

शिरडी साईं ट्रस्ट का कहना है- हमने अपनी महाराष्ट्र सरकार से बात की है। कहा है कि यूपी सरकार से इस मसले पर बातचीत करे। मूर्तियां हटाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। ऐसे कार्य से साईं भक्तों की भावना आहत हो रही हैं।

कृष्णम बोले- मूर्ति हटाने का फैसला मुख्य पुजारी पर छोड़ देना चाहिए

पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा- भारत आस्था और विश्वास का देश है। यहां सबकी आस्था का सम्मान करना चाहिए। सनातन सभी की आस्था का सम्मान करता है। मुझे लगता है कि मूर्ति हटाई जाए या नहीं, इसका फैसला मंदिर की व्यवस्था करने वाली कमेटियां और मुख्य पुजारी के ऊपर छोड़ देना चाहिए।

सपा MLC बोले- आखिर कब तक मंदिर-मस्जिद पर बात होगी

MLC और सपा नेता आशुतोष सिन्हा ने कहा, ‘बनारस आस्था का केंद्र है। आजकल नई-नई बातें सुनने को मिल रही हैं। इससे पहले लगातार पूजा होती रही है। मैं किसी धर्म या भगवान पर टिप्पणी नहीं कर रहा। समझ नहीं आ रहा कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी। आज बनारस की मुख्य समस्या सीवर-पानी है।

गंगा के प्रदूषण पर बात नहीं हो रही। विकास के नाम पर यहां 50 से ज्यादा मंदिर तोड़े गए। इस पर चर्चा नहीं हुई। आखिर कब तक ऐसे मंदिर, मस्जिद, भगवान और साईं बाबा पर बात होगी। पढ़ाई-लिखाई, बनारस की तरक्की और रोजगार पर बात होनी चाहिए।’

मंदिरों के पुजारी बोले- जानकारी के अभाव में पूजा होती रही वाराणसी के बड़ा गणेश मंदिर के महंत रम्मू गुरु ने कहा- जानकारी के अभाव में साईं की पूजा हो रही थी। शास्त्र के अनुसार, इनकी पूजा वर्जित है। जानकारी होने के बाद स्वेच्छा से प्रतिमा हटवा दी गई। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने कहा- शास्त्रों में कहीं भी साईं की पूजा का वर्णन नहीं मिलता है, इसलिए अब मंदिर में स्थापित मूर्ति हटाई जा रही है।

1 दिन पहले  अजय शर्मा से बातचीत की थी। पढ़िए, उन्होंने कहा था…

सवाल: काशी में साईं बाबा की मूर्तियां हटाने का अभियान कब शुरू किया? जवाब: काशी भगवान शिव की नगरी है। यहां साईं बाबा का कोई काम नहीं है। मूर्तियां हटाने का संकल्प 2 साल पहले लिया था, तभी अभियान का आगाज हुआ था। लोगों को जागरूक करने में इतना समय लगा।

काशी खंड के सभी मंदिरों से साईं की मूर्तियों को हटाएंगे। अगर किसी को पूजा करनी है तो वह घर में करे या साईं का अलग से मंदिर बना ले। हमारे आराध्य के मंदिर में आशीर्वाद मुद्रा में बैठे साईं की मूर्तियां हमें पसंद नहीं आईं। हमने इन्हें हटाने का मन बनाया।

सवाल: काशी में देवी-देवताओं की पूजा-पाठ के लिए क्या आधार मानते हैं? जवाब: काशी ही सबका आधार है। काशी में जो पूजित हैं, वह काशी खंड में वर्णित है। काशी खंड में कहीं भी साईं पूजा का उल्लेख नहीं है। भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने स्पष्ट कहा कि जो जिसको पूजता है, उसको प्राप्त होता है। पितृ को पूजेंगे तो पितृ और प्रेत को पूजेंगे तो प्रेत को प्राप्त होंगे।

काशी खंड में भगवान नारायण ने संदेश दे रखा है कि काशी में समस्त तीर्थों में, समस्त देवों में केवल महादेव और शिव परिवार ही पूजित हैं। इनके अलावा किसी की पूजा नहीं हो सकती, वरना आप लोचनहीन ही समझे जाएंगे।

सवाल: साईं पर लोगों की आस्था, आप विरोध क्यों रहे? जवाब: काशी में 33 कोटि देवी-देवता हैं। भगवान शिव के आगमन के साथ उनका वास भी यहीं हैं। ऐसे मंदिरों में साईं की पूजा का क्या काम है। हम किसी की आस्था का विरोध नहीं कर रहे। सनातन मानने वालों को अगर पसंद है, तो घर पर साईं को पूजें।

सवाल: इस अभियान का विरोध भी सामने आ रहा है, अब क्या करेंगे? जवाब: हमने काशी में शिव-गणेश मंदिरों को साईं मुक्त करने का अभियान शुरू किया है। अब इससे पीछे नहीं हटेंगे। यह अभियान चलाता रहूंगा। हम लोगों को जगाएंगे। जो शिवद्रोही होगा, वह मेरा विरोध करेगा। पाप का भागी होगा। भैरव जागृत हो चुके हैं और वह अभियान को पूरा कराएंगे।

सवाल: मंदिरों से साईं प्रतिमा हटाने की प्रेरणा कहां से मिली? जवाब: ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने घोषणा की थी कि साईं की प्रतिमा के सामने मजार मिलती है, इसीलिए वो चांद मियां हैं। उनके मंदिर में ओम साईं राम लिखने का भी विरोध किया था। काशी में तुलसी, कबीर, रविदास भी हुए, लेकिन उन्होंने अपनी पूजा नहीं करवाई।

शंकराचार्य के अभियान को सनातन रक्षक दल आगे बढ़ा रहा है। स्पष्ट किया था कि काशी में प्रेत पूजा नहीं होती, इसलिए काशी में चांद मियां की जरूरत नहीं है। उनसे ही मुझे इसकी प्रेरणा मिली और मेरा जितना जोर चलेगा मैं मूर्तियां हटाता रहूंगा। काशी के सभी निवासी धर्मनिष्ठ और सनातन धर्मी हैं, जागा भैरव का जयघोष करके हम प्रतिमाओं को हटा रहे हैं।