कोलकाता में ममता सरकार ने दुर्गा पूजा कार्निवाल का आयोजन किया। इस दौरान 89 पूजा समितियों ने इस कार्निवाल में हिस्सा लिया। देवी दुर्गा की प्रतिमाएं रेड रोड पर एक जुलूस के रूप में निकाली गईं।
दुर्गा पूजा कार्निवाल 2016 से हर साल आयोजित किया जाता है। UNESCO ने 2021 में बंगाल की दुर्गा पूजा को अमूर्त विरासत का दर्जा प्रदान किया था। इसके बाद इसे वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है।
इधर, जूनियर डॉक्टरों रानी रासमनी रोड पर सरकार के विरोध में मार्च निकाला। इसे द्रोह कार्निवाल नाम दिया। इसके पहले कलकत्ता HC ने कार्निवाल के परमिशन दे दी थी।
आरजी कर हॉस्पिटल में 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर से रेप मर्डर की घटना और सुरक्षा से जुड़ी अपनी मांगों को लेकर डॉक्टरों का अनशन 11वें दिन भी जारी है।
5 अक्टूबर से जारी आमरण अनशन पर मंगलवार को दो और डॉक्टर रूमेलिका कुमार और स्पंदन चौधरी भी जुड़ गए। अब अनशन पर कुल 7 डॉक्टर हैं, जबकि 5 हॉस्पिटल में भर्ती हैं।
ममता सरकार ने प्रदर्शन रोकने धारा 163 लगाई थी कलकत्ता हाईकोर्ट ने दुर्गा पूजा कार्निवल के पास के क्षेत्रों में निषेधात्मक आदेशों को रद्द कर दिया था। इसके तुरंत बाद, जूनियर डॉक्टरों ने रानी रासमनी रोड से अपना द्रोह कार्निवल शुरू किया। डॉ. देबाशीष हलदर ने कहा,-यह आम लोगों की प्रतिक्रिया है जो पश्चिम बंगाल सरकार के असंवेदनशील रवैये के खिलाफ विरोध करना चाहते हैं। CM इस बात से बेफिक्र हैं कि युवा डॉक्टर आमरण अनशन पर हैं।
सुप्रीम कोर्ट बोला- NTF का काम संतोषजनक नहीं 15 अक्टूबर को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स (NTF) के काम को लेकर असंतोष जताया। बेंच ने कहा कि NTF को डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रोटोकॉल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन ये बहुत धीमी गति से काम कर रहा है।
कोर्ट ने कहा कि NTF की पहली बैठक 27 अगस्त को हुई थी। हैरानी की बात है कि 9 सितंबर के बाद से कोई बैठक नहीं हुई। कोई प्रोग्रेस क्यों नहीं हुई? इस टास्क फोर्स को अपने काम में तेजी लानी होगी। कोर्ट ने कहा कि NTF 3 हफ्ते के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर अपने सुझाव दे।