हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल के नेता के चुनाव से पहले पार्टी में कलह बढ़ती नजर आ रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा ने 16 अक्टूबर-बुधवार- को दिल्ली स्थित आवास पर अपने समर्थक विधायकों की इमरजेंसी बैठक बुलाई। जिसे नेता विपक्ष के चुनाव से पहले उनके शक्ति प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है।
हुड्डा की कोठी पर पहुंचने वाले विधायकों में बादली के MLA कुलदीप वत्स, बेरी के MLA रघुबीर कादियान, रोहतक के MLA भारत भूषण बत्रा, नारनौंद के MLA जस्सी पेटवाड़ और थानेसर के MLA अशोक अरोड़ा प्रमुख रहे। इनके अलावा फतेहाबाद के विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया, ऐलनाबाद के विधायक भरत बेनीवाल, फिरोजपुर झिरका के विधायक मामन खान, पुन्हाना के MLA मोहम्मद इलियास, नूंह के MLA आफताब अहमद, कलायत के MLA विकास सहारण और लोहारू के विधायक राजबीर फरटिया भी हुड्डा के आवास पर पहुंचे।
महिला विधायकों में कलानौर की विधायक शकुंतला खटक, जुलाना से विनेश फोगाट, झज्जर से गीता भुक्कल व मुलाना की MLA पूजा चौधरी भी हुड्डा की बैठक में शामिल होने पहुंची। इनके अलावा होडल से चुनाव हार चुके प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान और महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ने वाले राव दान सिंह भी इस बैठक में भाग लेने पहुंचे।
मीटिंग के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने कहा- विधायक एक-दूसरे से मिलना चाहते थे। यह अनौपचारिक मुलाकात थी। इसमें अच्छी चर्चा हुई। सभी ने कहा कि हम हरियाणा और पार्टी के लिए लड़ेंगे। शपथग्रहण समारोह में जाने पर हुड्डा ने धन्यवाद कहकर टाल दिया। उनसे इस मीटिंग के नेता प्रतिपक्ष के चुनाव से जुड़े होने के बारे में पूछे जाने पर हुड्डा ने कहा कि उसके लिए 18 अक्टूबर को चंडीगढ़ में मीटिंग है।
18 को हाईकमान ने बैठक बुलाई हुड्डा ने यह बैठक 18 अक्टूबर को चंडीगढ़ में होने वाली कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग से पहले बुलाई है। 18 अक्टूबर को चंडीगढ़ की मीटिंग में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना जाना है। इस बैठक से पहले हुड्डा ने अपने समर्थक विधायकों को एकजुट करना शुरू कर दिया है।
वह अपने समर्थक विधायकों को एकजुट रहने का संदेश दे सकते हैं, ताकि जब नेता प्रतिपक्ष चुनने की नौबत आए तो खुद हुड्डा या उनके गुट का कोई विधायक इस पद के लिए चुना जा सके।
उधर हुड्डा गुट के सामने सिरसा की सांसद सैलजा का गुट भी नेता प्रतिपक्ष के पद पर दावा ठोक रहा है। इस सबके बीच सैलजा फील्ड में पूरी तरह एक्टिव हैं। वह विधानसभा चुनाव में हार चुके नेताओं और अपने समर्थक कार्यकर्ताओं को लगातार सांत्वना दे रही हैं।
तीन ऑब्जर्वर आएंगे मीटिंग में कांग्रेस हाईकमान ने 18 अक्टूबर को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की जो मीटिंग बुलाई है, उसमें ऑब्जर्वर के तौर पर तीन नेता मौजूद रहेंगे। इनमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा शामिल हैं।
वहीं, विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया राहुल गांधी से इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। इससे उदयभान पर प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने और भूपेंद्र हुड्डा पर नेता प्रतिपक्ष के पद पर दावा न जताने का दबाव बढ़ गया है।
सैलजा फील्ड में एक्टिव सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के अंदर फिर से सैलजा को प्रदेश प्रधान बनाने के मुद्दे पर भी विचार चल रहा है। दरअसल हार के बाद हुड्डा-उदयभान की जोड़ी जहां ग्राउंड पर एक्टिव नहीं है वहीं, सैलजा फील्ड में जाकर वर्करों को सांत्वना देती दिख रही हैं।
हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद भी सैलजा के करीबियों में शामिल चंद्रमोहन बिश्नोई को दिया जा सकता है जो पूर्व CM भजनलाल के बेटे हैं। इसे देखते हुए हुड्डा गुट ने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दलित समाज से आने वाली महिला विधायक गीता भुक्कल और नेता प्रतिपक्ष के लिए थानेसर से MLA चुने गए अशोक अरोड़ा का नाम आगे बढ़ा दिया है। अशोक अरोड़ा पंजाबी बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं और वह कई बार विधायक रह चुके हैं। इस नाते उन्हें विधानसभा से जुड़ी कार्रवाई का खासा अनुभव है।
राहुल गांधी के वक्तव्य के बाद चर्चा शुरू हुई दरअसल, हरियणा विधानसभा चुनाव में हुई हार के बाद दिल्ली में हुई बैठक में राहुल गांधी ने किसी नेता का नाम लिए बिना कहा था कि हरियाणा में कुछ नेताओं के हित पार्टी से ऊपर हो गए थे जिसकी वजह से ऐसे नतीजे आए। राहुल के इस बयान के बाद हुड्डा और सैलजा दोनों ने चुप्पी साध ली।
इसके बाद यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि हरियाणा कांग्रेस में अब हाईकमान बड़े बदलावों की ओर बढ़ सकता है। इसकी शुरुआत विधायक दल के नेता, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी को बदलकर की जा सकती है।
नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए चर्चा में ये दो नाम…
1- अशोक अरोड़ा अशोक अरोड़ा ने इस बार थानेसर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। उन्होंने सैनी सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री रहे सुभाष सुधा को 3243 वोट से हराया। अशोक अरोड़ा हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के अलावा विधानसभा स्पीकर भी रह चुके हैं।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस इस बार गैर-जाट कार्ड खेलते हुए अशोक अरोड़ा पर दांव लगा सकती है। पंजाबी समुदाय से आने वाले अशोक अरोड़ा लम्बे समय तक इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में रहे। वह 14 साल तक इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष रहे और 2019 के चुनाव से पहले इनेलो छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। अरोड़ा की पंजाबी बिरादरी में अच्छी पकड़ मानी जाती है।
2- चंद्रमोहन बिश्नोई चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे करने से कांग्रेस को सबसे बड़ा फायदा गैर जाट तबके में मिल सकता है। वह हरियाणा के डिप्टी सीएम रह चुके हैं। उनके पिता चौधरी भजनलाल प्रदेश के CM रह चुके हैं। भजनलाल की ओबीसी और पंजाबी वोटरों पर अच्छी पकड़ थी, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।
चंद्रमोहन का नाम आगे बढ़ाकर पार्टी गैर जाट वोटबैंक को भी अपने पाले में करने की कोशिश कर सकती है। इस बार कांग्रेस को गैर जाट वोट कम मिले और इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला।
इसके अलावा चंद्रमोहन की गिनती सैलजा के करीबी नेताओं में होती है। चंद्रमोहन को लेकर फिलहाल सैलजा कुछ नहीं बोल रही मगर पार्टी की हार के बाद हाईकमान उनकी पसंद को तव्ज्जो दे सकता है।