श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह केस में रिकॉल एप्लिकेशन पर फैसला आज:हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष बोला- 18 केस अलग-अलग सुने जाएं, हिंदू पक्ष बोला- मामला उलझाया जा रहा

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह केस में आज बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट मुस्लिम पक्ष की रिकॉल अर्जी पर अपना फैसला सुनाएगा। इससे पहले 16 अक्टूबर को हिंदू और मुस्लिम पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद कोर्ट ले फैसला रिजर्व कर लिया था।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पक्षकार एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया- श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े 18 वादों को एक साथ सुने जाने के लिए कोर्ट ने फैसला दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने रिकॉल एप्लिकेशन दाखिल की। इसी पर आज हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच दोपहर बाद 3.50 बजे फैसला सुनाएगी।

मुस्लिम पक्ष बोला- मामला सुनवाई लायक नहीं 16 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे से हाईकोर्ट में सुनवाई शुरु हुई जो 3.30 बजे तक चली। मुस्लिम पक्ष ने कहा- ये वाद सुनवाई योग्य नहीं हैं। सभी मुकदमों की अलग-अलग सुनवाई करने की मांग की। इस पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि पक्ष की तरफ से कहा गया कि मामला उलझाया जा रहा है। रिकॉल एप्लिकेशन मामले को उलझाए रखने के लिए दाखिल की गई है।

1 अगस्त को हाईकोर्ट का आदेश- 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हाईकोर्ट ने 1 अगस्त को मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- हिंदू पक्ष की ओर से दायर 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी। जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिकाओं में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया मस्जिद नहीं है। वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि का गर्भगृह है।

वहीं, मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1968 में हुए समझौते के तहत मस्जिद के लिए जगह दी गई थी। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई लायक नहीं है। हालांकि, हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मुस्लिम पक्ष की इस दलील को स्वीकार नहीं किया।

2020 में रंजना अग्निहोत्री ने 6 अन्य लोगों के साथ मिलकर याचिका डाली 25 सितंबर 2020 को लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री ने 6 अन्य लोगों के साथ मिलकर सिविल कोर्ट में एक याचिका डाली थी। इसमें शाही ईदगाह मस्जिद को मंदिर परिसर से हटाने की मांग की गई थी। रंजना ने श्रीराम जन्मभूमि पर भी एक किताब लिखी है। उन्होंने श्रीकृष्ण विराजमान के परिजन की ओर से यह मुकदमा करने का दावा किया था।

याचिकाकर्ताओं में से एक महेंद्र सिंह ने अपने तर्क में कहा कि जिस मूल कारागार, यानी जेल में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, वह ईदगाह मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी की ओर से बनाए गए कंस्ट्रक्शन के नीचे है। उनका कहना है कि खुदाई के बाद कोर्ट के सामने सही तथ्य आ सकेंगे।

5 दिन बाद ही याचिका खारिज हुई 30 सितंबर 2020 को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज छाया शर्मा ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भगवान श्रीकृष्ण के पूरी दुनिया में असंख्य भक्त हैं। अगर हर भक्त की याचिका पर सुनवाई की इजाजत देंगे तो न्यायिक और सामाजिक व्यवस्था चरमरा जाएगी।

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता न तो पक्षकार है और न ही ट्रस्टी, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। बिना देर किए 30 सितंबर को ही इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की गई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया।

हाईकोर्ट ने सभी मामले अपने पास ट्रांसफर करा लिए अभी लोअर कोर्ट में मामले की सुनवाई चल ही रही थी कि 26 मई 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा विवाद से जुड़े सभी मामले अपने पास ट्रांसफर करा लिए। 4 महीने तक अलग-अलग मौकों पर हुई सुनवाई के बाद 16 नवंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया गया। 14 दिसंबर 2023 को हाईकोर्ट ने ईदगाह का सर्वे कराने की अनुमति दी। अगले ही दिन 15 दिसंबर को मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी सर्वे की इजाजत दे दी।

मोदी को धमकाने वाले सांसद इमरान मसूद पर आरोप तय: 2014 लोकसभा चुनाव में बोला था- सहारनपुर आए, तो बोटी-बोटी काट देंगे

सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद पर कोर्ट ने चार्ज फ्रेम किया है। 10 साल पहले इमरान मसूद ने देवबंद में PM मोदी पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने धमकाते हुए कहा था- ‘नरेंद्र मोदी यहां आए, तो बोटी-बोटी कर दी जाएगी। गुजरात में 4 प्रतिशत मुसलमान हैं और सहारनपुर में 42 प्रतिशत हैं।’ उन्होंने ये बयान 2014 लोकसभा चुनाव में दिया था।