जम्मू-कश्मीर के अखनूर में सोमवार को शुरू हुआ एनकाउंटर 27 घंटे बाद मंगलवार को करीब 10 बजे खत्म हो गया। (LoC) के पास भट्टल इलाके के जंगल में सुरक्षा बलों ने 3 आतंकवादियों को ढेर कर दिया। कल एक आतंकवादी की बॉडी मिली थी आज 2 और टेररिस्ट की बॉडी रिकवर की गई है।
सोमवार सुबह करीब 7:26 बजे इन आतंकियों ने सेना की एंबुलेंस पर हमला किया था। इसमें जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ था। हमले के बाद आतंकी जंगल की ओर भाग गए थे, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन चलाया था और करीब 5 घंटे की मशक्कत के बाद 3 आतंकियों को ढेर किया था।
एनकाउंटर में सेना के K-9 स्क्वॉड के डॉग फैंटम को भी गोली लगी। फैंटम डॉग भी शहीद हो गया। जम्मू के डिफेंस PRO ने कहा कि हम अपने डॉग फैंटम के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं। हमारे सैनिक जब फंसे हुए आतंकवादियों के करीब पहुंच रहे थे, तब फैंटम ने दुश्मन की गोलीबारी को झेला, जिससे वह घायल हो गया था। बाद में फैंटम ने दम तोड़ दिया। उसका साहस, वफादारी और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जाएगा।
सुरक्षाबलों ने बताया कि आतंकवादी भट्टल इलाके में जंगल से लगे शिव आसन मंदिर में एक मोबाइल ढूंढ रहे थे। उन्हें किसी को कॉल करनी थी। इसी दौरान आर्मी की एंबुलेंस गुजरी और आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि आतंकवादी पिछली रात बॉर्डर पार करके अखनूर में आए थे।
जम्मू-कश्मीर में 16 अक्टूबर से अब तक यह 5वां हमला है। इन हमलों में 3 जवान शहीद हुए हैं। वहीं, 8 गैर स्थानीय लोगों की मौत हुई है।
- 24 अक्टूबर: बारामूला में सेना की गाड़ी पर आतंकियों के हमले की जिम्मेदारी PAFF संगठन ने ली थी। पुलिस ने बताया था आतंकी हमला करके जंगल की ओर भाग गए थे।
- 24 अक्टूबर: दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के बटगुंड में आंतकवादियों ने मजदूर पर गोलीबारी की। हमले में मजदूर घायल हो गया, जिसका इलाज चल रहा है।
- 20 अक्टूबर: गांदरबल के सोनमर्ग में कश्मीर के डॉक्टर, MP के इंजीनियर और पंजाब-बिहार के 5 मजदूरों की जान गई थी। इसकी जिम्मेदारी लश्कर के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली।
- 16 अक्टूबर: शोपियां में आतंकियों ने गैर-स्थानीय युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमले के बाद इलाके में आतंकियों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि टारगेट किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई साजिश है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है।
आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।