टॉमटॉम ट्रैफिक इंडेक्स की जारी रिपोर्ट में पूरे एशिया में सबसे खराब ट्रैफिक और सबसे अधिक गाड़ियों की भीड़ वाले शहरों में देश के दो शहर टॉप पर हैं। इनमें पहले स्थान पर बेंगलुरु और दूसरे स्थान पर पुणे है।
बेंगलुरु में चार पहिया वाहन से 10 किमी की दूरी तय करने में 28.10 सेकेंड का समय लग जाता है। पुणे में इतनी ही दूरी तय करने में 27 मिनट 50 सेकेंड का वक्त लगता है।
इसके अलावा नई दिल्ली 12वें और मुंबई 14वें स्थान पर है। नई दिल्ली में 10 किमी की दूरी तय करने के लिए औसतन 21.40 मिनट और मुंबई में 21.20 मिनट का समय लग जाता है।
ग्लोबली ब्रिटेन की राजधानी लंदन और आयरलैंड की राजधानी डबलिन सबसे खराब यातायात और सबसे अधिक गाड़ियों की भीड़ वाले शहर है।
लंदन में 10 किमी की दूरी तय करने के लिए औसतन 37.20 मिनट और डबलिन में 29.30 मिनट का समय दर्ज किया गया।
रिपोर्ट में 55 देशों के 387 शहरों का ट्रैफिक ट्रेंड डेटा की जानकारी दी गई है। वहीं, एशियन डेवलपमेंट बैंक के मुताबिक, शहरों की बढ़ती आबादी के कारण हर 6 साल में शहरी गाड़ियों की संख्या दोगुनी हो रही हैं।
हर साल 4.4 करोड़ लोग शहरी आबादी से जुड़ रहे एशियन डेवलपमेंट बैंक के मुताबिक, विकास बनाए रखने के लिए एशिया को 2030 तक सालाना लगभग 142 लाख करोड़ रुपए का निवेश करना होगा। इसमें से 30% से अधिक परिवहन के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च करने की आवश्यकता होगी। एशिया में हर साल 4.4 करोड़ लोग शहरी आबादी से जुड़ते हैं।
देश के 11 लाख बच्चे बाल विवाह के खतरे में, UP में इन बच्चों की संख्या 5 लाख से ज्यादा नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने गुरुवार को एक रिपोर्ट जार कर कहा कि उसने साल 2023-24 में ऐसे 11 लाख बच्चों की पहचान की है, जो बाल विवाह के खतरे में थे।
कमीशन के मुताबिक अकेले उत्तर प्रदेश में ऐसे 5 लाख से अधिक ऐसे बच्चे हैं, जो बाल विवाह के खतरे में हैं। NCPCR ने बताया कि उसने बाल विवाह रोकने वाले अधिकारियों, जिला प्राधिकरण और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत कई कदम उठाए हैं।
देश के 25 हाईकोर्ट में 58 लाख केस पेंडिंग: 62 हजार मामले पिछले 30 साल से लंबित देश के पेंडिंग मामलों को लेकर नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड की रिपोर्ट आई है, जिसके बाताया गया है कि भारत के कुल 25 हाईकोर्ट में 58 लाख 59 हजार केस पेंडिंग हैं।
इनमें से करीब 42 लाख केस सिविल और 16 लाख केस क्रिमिनल नेचर के हैं। इन 58 लाख में से 62 हजार मामले 30 साल से लंबित हैं। वहीं, 3 केस 72 साल से चल रहे हैं।
इन 3 में से 2 केस कलकत्ता हाईकोर्ट और 1 केस मद्रास हाईकोर्ट में पेंडिंग है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश के सभी कोर्ट्स (सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट समेत अन्य कोर्ट) में 5 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं।