किन्नर अखाड़ा अब सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल स्तर पर स्थापित होने जा रहा है। जल्द ही थाईलैंड के बैंकाक, सिंगापुर, मलेशिया और यूएसए जैसे देशों में किन्नर अखाड़े का ब्रांच दिखेगा। किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने हुई विशेष बातचीत में यह बातें प्रयागराज में कही।
उन्होंने बताया कि संगम तट पर जनवरी में आयोजित होने जा रहे महाकुंभ मेले में विभिन्न देशों के किन्नर समाज के लोग पहुंचेंगे। इसमें किन्नर अखाड़े का विस्तार भी होगा। विभिन्न देशों से आए किन्नरों को जगदगुरु, महामंडलेश्वर, महंत, पीठाधीश्वर, श्रीमहंत सहित अन्य पदों पर सुशोभित किया जाएगा। महाकुंभ के बाद विभिन्न देशों में भी किन्नर अखाड़े का गठन किया जाएगा।
अभी सिर्फ भारत में ही है किन्नर अखाड़ा दरअसल, किन्नर अखाड़े का गठन वर्ष 2015 में ही हो गया था लेकिन प्रयागराज में आयोजित 2019 के कुंभ मेले में यह पूरी तरह से चर्चा में आ गया। कुंभ में जब किन्नर अखाड़े की पेशवाई शहर में निकली तो यह पूरे शहर के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। अभी यह अखाड़ा श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा से जुड़ा हुआ है। अन्य अखाड़ों की तरह ही किन्नर अखाड़े का भी हर माघ मेले में व शिविर लगता है और इस बार भी महाकुंभ में मेला क्षेत्र में किन्नर अखाड़े का अलग शिविर लगने जा रहा है।
2015 में उज्जैन में अस्तित्व में आया था किन्नर अखाड़ा भारत में किन्नर अखाड़े का गठन वर्ष 2015 में उज्जैन में हुआ था। यह अखाड़ा पहली बार 2016 में उज्जैन में हुए कुंभ में शामिल हुआ था। इसके बाद दूसरा कुंभ 2019 में तीर्थराज प्रयागराज में हुआ जिसमें किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़ा के साथ मिलकर आया। इसी तरह तीसरी बार यह अखाड़ा कुंभ 2021 हरिद्वार उत्तराखंड में शामिल हुआ था। अब चौथी बार महाकुंभ 2025 तीर्थराज प्रयागराज में होने जा रहा है जिसमें बड़े पैमाने पर किन्नर अखाड़ा शामिल होने जा रहा है।
भूले-भटके किन्नरों को सनातन से जोड़ने की मुहिम आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने बताया कि इस अखाड़े का गठन का मुख्य उद्देश्य उन किन्नर समुदाय के लोगों को सनातन से जोड़ना है जो इधर-उधर दूसरे धर्मों में चले गए थे। अब ऐसे किन्नरों की घर वापसी कराई जा रही है। विभिन्न देशों में अब किन्नर अखाड़ा बनाया जाएगा। करीब आधा दर्जन देशों के किन्नर लगातार आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में हैं जो अपने देशों में भी भारत की तरह किन्नर अखाड़े का ब्रांच स्थापित करना चाहते हैं।