दिल्ली में 9 इलाकों में AQI- 350 पार:यमुना में भी हाथ डालने पर स्किन डिजीज का खतरा, 122 नालों से गिर रहा पानी

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ते जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की हवा लगातार गंभीर कैटेगरी में दर्ज की गई है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के गुरुवार सुबह 9 बजे दिल्ली के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों में AQI 367 के पार रिकॉर्ड किया गया है।

इनमें आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, जहांगीरपुरी, मुंडका, रोहिणी, सोनिया विहार,विवेक विहार और वजीरपुर इलाके शामिल है। इस दौरान शहर में दिन में भी धुंध छाई रहेगी।

वही दिल्ली में मौजूद 22 किमी लंबी यमुना नदी में छोटे-बड़े 122 नालों से बिना ट्रीटेड के ही सीवेज का 184.9 एमजीडी पानी रोजाना गिर रहा है, जो यमुना के प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है।

दैनिक भास्कर ने नौ गजापीर स्थित नजफगढ़ नाले के पास पहुंचकर यमुना को प्रदूषित कर रहे गंदे पानी की तस्वीरें और सैंपल लिए। इन सैंपल के आधार पर त्वचा रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना के पानी में हाथ डालना भी त्वचा रोग के साथ-साथ अन्य बीमारियों को निमंत्रण देना है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार यमुना की सफाई के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार ने पिछले 7 साल में 7 हजार करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि खर्च कर दी है, पर जमीनी हकीकत यह है कि दिल्ली में यमुना के किसी भी हिस्से का पानी पीने और नहाने के बजाय छूने लायक भी नहीं है।

यमुना के 80 फीसदी पानी को नजफगढ़ प्रदूषित कर रहा

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (DPCC) के मुताबिक इन 122 नालों में से यमुना के पानी को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने का जिम्मेदार नजफगढ़ नाला है, जिसके गंदे पानी को बिना ट्रीटमेंट किए नौ गजापीर के पास वजीराबाद बैराज के जरिए यमुना में छोड़ा जा रहा है। अकेले नजफगढ़ नाला ही दिल्ली में यमुना के 80 फीसदी पानी को प्रदूषित कर रहा है।

5 साल में 6856 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे

डीपीसीसी के आंकड़े के अनुसार, वर्ष 2017-18 से 2020-21 के बीच 5 साल में यमुना की सफाई में जुटे विभिन्न विभागों को 6856.9 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई थी। यह धनराशि यमुना में गिरने वाले गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए दी गई थी।

2015 से 2023 की पहली छमाही तक केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को लगभग 1200 करोड़ रुपए दिए थे।

यमुना की सफाई चरणबद्ध नीति से करनी होगी

नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री के चीफ साइंटिस्ट डाॅ. आरके कोटनाला ने कहा- यमुना में फोम, कैमिकल जैसे प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार की अप्रभावी नीतियां जिम्मेदार हैं। प्रतिदिन 184.9 एमजीडी सीवेज का पानी सीधे यमुना में गिर रहा है। एसटीपी प्लांटों पर भी सवाल उठे रहे हैं कि ये मानक नहीं हैं।

इंड्रस्ट्रीज से निकलने वाले केमिकल और डिटरजेंट वेस्ट को बिना शोधित किए ही यमुना में छोड़ा जा रहा है। यमुना को साफ करने के लिए चरणबद्ध नीतियों पर काम करना होगा।

नालों में बिना शोधित केमिकल, डिटरजेंट वेस्ट डालने वाली एजेंसियों पर भारी जुर्माना व जेल की कार्रवाई करनी होगी। यह सुनिश्चित करना होगा कि नालों से यमुना में जाने वाला एक भी बूंद पानी बिना ट्रीट के नहीं जाए।

यमुना किनारे छठ पूजा पर रोक दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना तटों में छठ पूजा मनाने की परमिशन देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने बुधवार को कहा कि नदी का पानी बहुत प्रदूषित है। इसमें पर्व मनाने से लोगों की सेहत बिगड़ सकती है।

5 नवंबर से शुरू हुआ छठ पर्व

महाव्रत छठ पूजा मंगलवार 5 नवंबर से शुरू हो चुक है। 5 नवंबर तारीख को नहाय खाय, 6 नवंबर को खरना, 7 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 8 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पूजा के दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सुबह से व्रत करने वाला व्यक्ति निराहार और निर्जल रहता है। प्रसाद में ठेकुआ बनाते हैं।

शाम को सूर्य पूजा करने के बाद भी रात में व्रत करने वाला निर्जल रहता है। चौथे दिन यानी यानी सप्तमी तिथि (8 नवंबर) की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा होता है।

दिल्ली में हवा भी प्रदूषित

दिवाली में यमुना में झाग के अलावा हवा में प्रदूषण भी देखने को मिल रहा है। गुरुवार सुबह दिल्ली के वातारवरण में धुंध की परत छाई नजर आई। अक्षरधाम मंदिर और आसपास के इलाकों में एयर क्वालिटी खराब’ श्रेणी में पाया गया।