अखिलेश आज मुरादाबाद में, रिजवान के समर्थन में रैली:तुर्कों का गढ़ भेदने की तैयारी में भाजपा, सीट बचाना होगा चुनौती; शेखजादा बिरादरी में विरोध

सपा मुखिया अखिलेश यादव आज मुरादाबाद आ रहे हैं। वो कुंदरकी के डोमघर में सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान के पक्ष में एक जनसभा करेंगे। इसके बाद अखिलेश 17 नवंबर को फिर से रिजवान के लिए वोट मांगने मुरादाबाद आएंगे।

अखिलेश यादव के इस सीट पर सप्ताहभर में 2 प्रस्तावित दौरे बताते हैं कि कुंदरकी सीट को लेकर सपा गंभीर है। इस सीट पर मुस्लिमों का भाजपा की ओर झुकाव सपा को परेशान कर रहा है। भाजपा यहां पिछले तीन दशक के इतिहास को पलटने की तैयारी में है। इसके अलावा सपा प्रत्याशी का अपनी ही तुर्क बिरादरी में विरोध और शेखजादा मुस्लिमों की नाराजगी भी सपा के लिए मुश्किल का सबब बन रही है।

हाजी रिजवान को गांव न आने के लगाए पोस्टर शेखजादा मुस्लिमों का कहना है कि सपा लगातार तुर्क मुस्लिमों को ही टिकट देती आ रही है। जबकि शेखजादा मुस्लिमों को संख्या में बराबर हिस्सेदारी होने के बाद भी प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया जा रहा है। इसे लेकर कुछ गांवों में पोस्टर भी लगाए गए हैं। पोस्टर में हाजी रिजवान को गांव न आने के लिए कहा गया है।

डोमघर में आज अखिलेश 1 घंटे रहेंगे अखिलेश यादव दोपहर 12:30 बजे डोमघर पहुंचेगे। यहां पेट्रोल पंप के पीछे खाली मैदान में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इसे लेकर सुरक्षा के भी कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। अखिलेश करीब एक घंटे तक डोमघर में रहेंगे और हाजी रिजवान के पक्ष में माहौल बनाएंगे।

कुंदरकी में भाजपा ने रामवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जबकि सपा ने तीन बार के विधायक रह चुके हाजी रिजवान को। लेकिन, यहां बसपा और AIMIM प्रत्याशी सपा का समीकरण बिगाड़ रहे हैं। माहौल भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है।

यहां हमने करीब 100 लोगों से बात की। मुस्लिम बहुल इलाकों में भी रामवीर सिंह का समर्थन दिखाई दे रहा है। हसनगंज के याकूब कुरैशी ने कहा- यह सपा का गढ़ रहा है। लेकिन, अब स्थिति बदल सकती है।

मूंढापांडे में शिवप्रसाद सैनी ने कहा- सपा-भाजपा में कांटे की टक्कर है। लड़ाई रिजवान और रामवीर की नहीं, बल्कि योगी और अखिलेश की है। लेकिन, सपा इस सीट को तभी बचा पाएगी, जब अखिलेश यादव इसे दिल पर लेकर यहां चुनाव मैदान में खुद उतरेंगे।

लोगों का मानना है कि कुंदरकी सीट पर 60% मुस्लिम और 40% हिंदू वोटर हैं। रामवीर जब चुनाव हारे, तब सत्ता सपा-बसपा की थी। पहला मौका है, जब भाजपा सरकार के रहते, वो चुनावी मैदान में हैं। इसलिए भी वह चुनाव में मजबूत नजर आ रहे हैं।

कुंदरकी विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र है। यह एरिया पशुओं के अवैध कटान का हब रहा है। सपा सरकार में गांवों में किसानों काे गोलियां मारकर पशु लूटने की तमाम घटनाएं हुईं। अब लोग बेहतर कानून व्यवस्था से खुश हैं। सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान का अपने बेटे हाजी कल्लन की दबंगई की वजह से मुस्लिमों में विरोध भी है। इसका फायदा रामवीर को मिल सकता है।

कुंदरकी सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी भी मजबूती से मैदान में है। ओवैसी का इस बेल्ट में ठीक-ठाक असर है। 2022 में उनके कैंडिडेट को 14 हजार से अधिक वोट मिले थे। नगर पंचायत का चुनाव भी ओवैसी की पार्टी ने जीता था। ऐसे में ये दोनों नेता इस सीट के नतीजों में उलट-फेर कर सकते हैं।

ओवैसी ने यहां तुर्क प्रत्याशी हाफिज मोहम्मद वारिस को मैदान में उतारा है। बसपा से भी तुर्क प्रत्याशी रफतउल्ला उर्फ नेता छिद्दा मैदान में हैं। चंद्रशेखर ने भी मुस्लिम प्रत्याशी हाजी चांद बाबू को मैदान में उतारा है। 80 हजार तुर्क वोट वाली सीट पर तुर्कों का बंटवारा निर्णायक हो सकता है।

क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट कुंदरकी की राजनीति को करीब से समझने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट सुनील सिंह ने कहा- भाजपा की सरकार है, अभी माहौल भाजपा के पक्ष में नजर आ रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे। माहौल चुनावी होगा और बदल भी सकता है।