जज को हथियारबंद बदमाशों ने घेरा:अलीगढ़ में पुलिस चौकी पर रुककर जान बचाई, गैंगस्टर सुंदर भाटी पर शक, उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी

पश्चिम यूपी के कुख्यात गैंगस्टर सुंदर भाटी को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज को अलीगढ़ में हाईवे पर बदमाशों ने घेर लिया। असलहों से लैस बोलेरो सवार 5 बदमाशों ने जज की कार रोकने की कोशिश की। फर्रुखाबाद में विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार का बदमाशों ने काफी दूर तक पीछा किया।

जज अनिल कुमार ने बचकर निकलने की कोशिश की तो बदमाशों ने कई बार असलहा दिखाकर उन्हें धमकी दी। इसी बीच, जज ने अलीगढ़ की सोफा पुलिस चौकी पर रुक कर खुद को बचाया। पुलिस चौकी देखकर बदमाश वहां से भाग गए। घटना 29 अक्टूबर की शाम 8 बजे के आसपास की है।

जज ने इस मामले में चौकी इंचार्ज सोफा और SSP के PRO को सूचना दी। फोन पर खैर थाना प्रभारी निरीक्षक डीके सिसोदिया को भी सूचना दी। इसके बाद 8 नवंबर को 5 अज्ञात बदमाशों के खिलाफ खैर थाने में मामला दर्ज करवाया। हालांकि, मामला जज से जुड़ा था, इसके चलते पुलिस ने खुलासा नहीं किया।

सुंदर भाटी हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद 23 अक्टूबर को सोनभद्र जेल से रिहा हुआ। इसके 6 दिन बाद 29 अक्टूबर को जज का पीछा किए जाने की घटना हुई।

पहले जानिए पूरा मामला FIR के मुताबिक, जज ने घटना की साजिश में सुंदर भाटी गैंग के शामिल होने का अंदेशा जताया है। वारदात 29 अक्टूबर की शाम 8 बजे के आसपास की है। जज अनिल कुमार घटना वाले दिन फर्रुखाबाद से नोएडा स्थित अपने घर जा रहे थे। वह खैर को पार कर यमुना एक्सप्रेस-वे पर जाने के लिए जट्टारी की ओर जा रहे थे, इसी बीच सफेद रंग की बोलेरो UP 81-7882 सवार बदमाशों ने उनका पीछा शुरू कर दिया।

जज को रोकने के लिए असलहे ताने बदमाशों ने अपनी गाड़ी सड़क पर खड़ी कर दी। जज किसी तरह से बचकर निकल गए। इसके बाद कई बार उनकी कार को रोकने की कोशिश की गई। FIR के मुताबिक, कार सवार बदमाश गाली-गलौज कर रहे थे। कार को रोकने के लिए असलहे तान रहे थे। सोफा पुलिस चौकी तक बदमाशों ने पीछा किया। उन्होंने अपनी गाड़ी सोफा पुलिस चौकी के सामने रोकी तो पीछा कर रहे बदमाश भाग गए। जज ने इस मामले में चौकी इंचार्ज सोफा और SSP के PRO को सूचना दी। फोन पर खैर थाना प्रभारी निरीक्षक डीके सिसोदिया को भी सूचना दी।

SSP बोले- बोलेरो का नंबर अधूरा था इस मामले में SSP संजीव सुमन ने कहा- जज ने घटना वाली रात में भी सूचना दी थी। उस वक्त सिर्फ अंदेशा जताया था कि कुछ लोगों ने गाड़ी रोकने की कोशिश की है। उस समय तहरीर नहीं दी थी। अब उन्होंने तहरीर दी है। इसमें हमले का अंदेशा जताया है। बोलेरो का नंबर भी अधूरा है, जिसकी वजह से वह ट्रेस नहीं हो पा रही है।

जज का दावा… पहली बार भाटी और उसकी गैंग को सजा सुनाई FIR के मुताबिक, जज अनिल कुमार ने कहा- 5 अज्ञात व्यक्तियों ने मुझे धमकी दी और मारने की कोशिश की। सुंदर भाटी और उसकी गैंग के सदस्यों पर पहले कभी दोष सिद्ध नहीं हुए थे। जिला कोर्ट गौतमबुद्ध नगर में अपर सत्र न्यायाधीश के पद पर तैनाती के दौरान मैंने पहली बार मैंने 5 अप्रैल 2021 को सपा नेता हरेंद्र नागर और उनके गनर की हत्या के मामले में सुंदर भाटी और उसकी गैंग के 10 अन्य सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हो सकता है कि सजा का बदला लेने के लिए ही हमले की साजिश रची गई हो। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद सुंदर भाटी 23 अक्टूबर को सोनभद्र जेल से रिहा हुआ है।

स्क्रैप कारोबारी से जरायम की दुनिया में पहुंचा सुंदर भाटी

सुंदर भाटी ग्रेटर नोएडा के घघौला गांव का रहने वाला है। सुंदर भाटी पर 60 से अधिक मामले दर्ज हैं। सुंदर भाटी को पश्चिमी यूपी का छोटा शकील कहा जाता है। 90 के दशक से अपराध की दुनिया में अपनी बड़ी मौजूदगी दर्ज कराता चला आ रहा है। सुंदर पहले स्क्रैप कारोबारी था। ​​​​​गाजियाबाद में कई लोहा फैक्ट्री रही। ट्रकों से सरिया चोरी करवाकर बाजार में सस्ते दामों पर बेचता था। धीरे-धीरे फैक्ट्रियों के स्क्रैप बिक्री कारोबार पर भी कब्जा कर लिया और कबाड़ के धंधे का माफिया बन गया।

1990 में अपराध की दुनिया में रखा कदम

सुंदर की मुलाकात 1990 में सतबीर गुर्जर के गैंग के जरिए ग्रेटर नोएडा के रिठोरी गांव के नरेश भाटी से हुई। नरेश पढ़े-लिखे परिवार से था। प्रॉपर्टी विवाद में नरेश के परिवार की हत्या हो चुकी थी। उसके सिर पर अपनों की हत्या का बदला लेने का खून सवार था। एक दिन नरेश की मुलाकात गाजियाबाद के लोनी एरिया के नामी बदमाश सतबीर गुर्जर से हुई। इसी गिरोह में सुंदर भाटी भी था।

नरेश और सुंदर भाटी जल्द ही अच्छे दोस्त बन गए। दिल्ली सहित पश्चिमी यूपी में दोनों ने मिलकर हत्या, लूट और रंगदारी जैसी घटनाएं कीं। नरेश सुंदर की दोस्ती हरियाणा, यूपी, दिल्ली तक मशहूर हो गई। दोनों दोस्त एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे। इतना ही नहीं, नरेश भाटी के परिवार वालों की मौत का बदला भी सुंदर ने जान की बाजी लगाकर लिया था।

वर्चस्व के चलते दुश्मनी में बदली दोस्ती नरेश और सुंदर में जितनी गहरी दोस्ती थी, उतनी दुश्मनी हो गई। सतबीर गुर्जर के गिरोह में रहते हुए दोनों की दोस्ती ज्यादा नहीं चली। सुंदर भाटी सिकंदराबाद में ट्रक यूनियन पर कब्जा करना चाहता था। ऐसी ही मंशा नरेश भाटी की थी। दूसरी ओर नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहता था। जबकि सुंदर भाटी ने खुद चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की, इसके लिए उसने नरेश से चुनाव न लड़ने की बात भी कही, लेकिन दोस्ती में दरार की एक ये भी बड़ी वजह बन गई। दोनों के बीच गैंगवार शुरू हो गई। इसी गैंगवार में ट्रक यूनियन के दो अध्यक्षों की हत्या भी हुई।

दूसरी ओर नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जीत गया। इसके बाद नरेश और सुंदर ने विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली। दोनों आमने-सामने मैदान में थे, लेकिन दोनों ही चुनाव हार गए। चुनावी हार-जीत के इस खेल में दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए।

नरेश के ओहदे से जलने लगा, सुंदर ने हमला कर दिया नरेश-सुंदर के बीच पहली गैंगवार 2003 में हुई। जब नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष बन चुका था। वह लालबत्ती में घूमता था। उसके साथ गनर भी रहता था। बावजूद इसके 2003 में सुंदर भाटी ने मेरठ में नरेश भाटी पर हमला बोल दिया। हमले में नरेश का गनर और ड्राइवर मारे गए, जबकि खुद नरेश वहां से बचकर भाग निकला। मार्च 2004 में एक बार फिर सुंदर ने घघौला पुलिया के पास नरेश को घेरकर गोलियों से भून दिया। मौके पर ही नरेश भाटी की मौत हो गई। साथ में उसके दो और साथी भी मारे गए।

नरेश के भाई रणपाल ने संभाली गैंग की कमान 2004 में नरेश का मर्डर होते ही उसके भाई रणपाल भाटी ने गैंग की कमान संभाल ली। सबसे पहले रणपाल ने सुंदर भाटी के भाई प्रताप पटवारी सहित तीन लोगों की हत्या कर अपने भाई की मौत का बदला लिया। 2006 में पुलिस ने रणपाल का एनकाउंटर कर दिया। रणपाल के एनकाउंटर के बाद नरेश का सबसे छोटा भाई रणदीप गैंग को संभालने लगा। वहीं उसका साथ देने के लिए नरेश का भांजा अमित कसाना भी गैंग में ही शामिल हो गया। शॉर्प शूटर अनिल दुजाना भी गैंग में शामिल हो गया। गैंगवार में एक-दूसरे गैंग ने 50 से अधिक बदमाश मारे जा चुके हैं।

साले की शादी में सुंदर भाटी पर हुआ हमला नरेश भाटी की मौत और रणपाल के एनकाउंटर के बाद रणदीप और उनका भांजा अमित कसाना भी मामा की मौत का बदला लेने को भटक रहा था। रणदीप को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 2013 में नरेश गिरोह के नंदू की पेशी पर लाते वक्त हत्या कर दी गई। 18 नवंबर 2011 को गाजियाबाद के एक बैंक्वेट हॉल में सुंदर भाटी अपने साले की शादी में शामिल होने आया। अमित कसाना बैंक्वेट हॉल पहुंच गया। सुंदर भाटी को निशाना बनाते हुए गोलीबारी शुरू कर दी। सुंदर भाटी वहां से भाग गया, लेकिन इस गैंगवार में तीन लोग मारे गए।

महाराजगंज जेल से सोनभद्र शिफ्ट किया गया नोएडा पुलिस ने सुंदर भाटी को आखिरी बार दिसंबर 2014 में घघोला गांव से गिरफ्तार किया था। फिर 2021 में हरेंद्र प्रधान हत्याकांड में उम्रकैद की सजा हुई। इसके बाद उसे महाराजगंज जेल लाया गया। फिर 2021 में ही उसे सोनभद्र की गुर्मा जेल में शिफ्ट किया गया। नोएडा जिले में सुंदर भाटी का गैंग D–11 नंबर पर दर्ज है। सुंदर भाटी पर लूट, हत्या, रंगदारी सहित 60 मुकदमे दर्ज हैं। 15 अप्रैल को प्रयागराज में जिन तीन शूटर्स ने माफिया अतीक अहमद और उसके गैंगस्टर भाई अशरफ अहमद को गोलियों से भूना था उनमें से एक सुंदर भाटी के साथ हमीरपुर जेल में बंद रहा था। इसके चलते अतीक-अशरफ हत्याकांड में सुंदर भाटी का नाम चर्चा में आया था। कहा जा रहा था कि शूटर्स के पास आई विदेशी जिगाना पिस्टल सुंदर भाटी के जरिए ही पहुंची थी।

इसी तरह लखनऊ के विभूति खंड थाने में इलाके में छह जनवरी 2021 को हुई मुख्तार के करीबी अजीत सिंह की हत्या में भी सुंदर भाटी गैंग का नाम सामने आया था। सुंदर भाटी और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष नरेश भाटी गैंग के बीच गैंगवार पश्चिम यूपी में सुर्खियों में रही है।