सपा की बागी विधायक पूजा पाल अब भाजपा के लिए वोट मांग रही हैं। वह फूलपुर उपचुनाव में एक्टिव हो गई हैं। भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल के लिए प्रचार कर रही हैं। पूजा ने 9 महीने पहले राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी। मगर पार्टी के विरोध में कुछ भी बोलने से बच रही थीं, लेकिन अब खुलकर सामने आ गई हैं।
इससे फूलपुर में भाजपा मजबूत हो रही है। यहां करीब 20 हजार पाल बिरादरी के वोटर हैं। पूजा की अपनी बिरादरी के लोगों में अच्छी पैठ मानी जाती है। पूजा पाल ने कहा- सीएम योगी ने उन्हें न्याय दिलाया है, इसलिए उनके साथ हैं।
माफिया अतीक से लड़ना बहुत कठिन था पूजा पाल ने कहा- विधायक पति राजू पाल की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। 18 सालों तक हम न्याय के लिए लड़ते रहे। सभी ने आश्वासन दिया, लेकिन न्याय सीएम योगी से ही मिला। मेरे समाज को भी न्याय उन्हीं से मिला, इसलिए मैं उनके साथ हूं।
मैं माफिया अतीक अहमद से 18 वर्षों तक लड़ती रही। भय में थी, लेकिन अब मुझे न्याय मिला है। मेरा नेचर स्वाभिमान से जीना है, इसलिए मैं न्याय के साथ हूं। पूरा पाल समाज मेरे साथ है।
जानिए, कौन हैं पूजा पाल
पूजा पाल प्रयागराज के कटघर मोहल्ले में रहती थीं। 16 जनवरी 2005 को पूजा की शादी धूमनगंज के उमरपुर नीवां के निवासी राजू पाल के साथ हुई। राजू पाल उस समय इलाहाबाद के शहर पश्चिमी सीट से बसपा के विधायक थे।
पूजा की शादी के महज 9 दिन बाद ही उनके पति राजू पाल की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी । इसमें माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का नाम आया था। पति की हत्या के बाद पूजा पाल भयभीत नहीं हुईं और हत्यारों को सजा दिलाने के लिए लड़ाई लड़ती रहीं।
2007 में पहली बार बसपा से शहर पश्चिमी से चुनाव जीतकर विधायक बनीं। 2012 में भी बसपा से चुनाव जीतीं। 2017 में बसपा से लड़ कर हार गई थीं। 2022 में सपा के टिकट पर कौशांबी की चायल सीट से चुनाव लड़ी और विधायक बनीं।
अब फूलपुर सीट का सियासी समीकरण जानिए…
प्रयागराज की फूलपुर सीट पर भाजपा मजबूत
फूलपुर में जातीय फैक्टर हावी है। सपा ने लोकसभा चुनाव में अमरनाथ मौर्य को उतारा था। तब उसे फूलपुर विधानसभा में लीड मिली। लेकिन, मुस्लिम कैंडिडेट उतारने के बाद स्थिति बदल गई है। हमने यहां करीब 100 लोगों से बात की। मौजूदा समय में भाजपा मजबूत दिखाई दे रही है।
यहां तहसील पर हमारी मुलाकात राजकुमार कश्यप से हुई। वह कहते हैं- जनता जानती है कि उपचुनाव से सरकार बदलने वाली नहीं है। न ही चुनाव से सरकार को कोई फर्क पड़ेगा। अभी यहां माहौल भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है। पटेल-मौर्य बिरादरी के लोग यहां ज्यादा हैं। उनका वोट भाजपा की तरफ ही जाएगा। मुद्दे यहां काम नहीं कर रहे हैं।
भाजपा में भी दीपक पटेल को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ब्राह्मण और क्षत्रिय वोटर्स में थोड़ी नाराजगी है। लेकिन, कोई विकल्प न होने की वजह से वह भाजपा में जा सकते हैं। बसपा ने जितेंद्र सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। लेकिन, वह पहली बार चुनावी मैदान में हैं।
फूलपुर में एससी-ओबीसी वोट बैंक जिसके फेवर में होता है, यहां जीत उसी की होती है। ओबीसी वोटर्स में सबसे ज्यादा यादव और दूसरे नंबर पर पटेल-मौर्य हैं। सपा यादव-मुस्लिम वोट बैंक को अपना मानती है। वहीं, भाजपा पटेल वोटर्स को साधने की कोशिश करती है। यहीं से जीत-हार का अंतर बनता है।
सपा की तरफ से अमरनाथ मौर्य का नाम पहले रेस में था। लेकिन, पार्टी ने मुस्तफा सिद्दीकी को टिकट दे दिया। यहां उनका विरोध भी देखने को मिला। भाजपा ने यहां कैंपेनिंग की। पूर्व सांसद केशरी देवी पटेल के बेटे को टिकट दिया। केशव मौर्य को यहां का प्रभारी बनाया।
कांग्रेस का फूलपुर में अच्छा वोट बैंक है। यही वजह थी कि इस पर पार्टी अपना दावा पेश कर रही थी। सीट खाली होने के बाद से लगातार सम्मेलन किए गए। चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गए। राहुल गांधी भी प्रयागराज आए। लेकिन, सीट खाते में नहीं आई। इसलिए कांग्रेसियों में नाराजगी है, जिसका नुकसान सपा को हो सकता है।