दिल्ली में गुरुवार को एयर क्वालिटी गंभीर श्रेणी में पहुंच गई और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 पार पहुंच गया। गुरुवार सुबह 6 बजे दिल्ली के 31 इलाकों में प्रदूषण बेहद खराब श्रेणी से गंभीर श्रेणी में पहुंच गया।
सबसे ज्यादा AQI 567 जहांगीरपुरी में दर्ज किया गया। वहीं, पंजाबी बाग में 465 और आनंद विहार में 465 AQI दर्ज किया गया।
राजधानी में ठंड ने भी दस्तक दे दी है। धुंध और कोहरे की वजह से बुधवार सुबह 8 बजे आईजीआई एयरपोर्ट पर जीरो विजिबिलिटी रही, जबकि कुछ स्थानों पर विजिबिलिटी 125 से 500 मीटर के बीच रही।
भारी कोहरे की वजह से बुधवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर 10 फ्लाइट को डायवर्ट करना पड़ा। इनमें 9 जयपुर और 1 लखनऊ के लिए डायवर्ट की गईं। सुबह के समय सफदरजंग में भी विजिबिलिटी 400 मीटर के आसपास रही। कोहरे के कारण एनएच-24, धौला कुआं, रिंग रोड पर वाहनों की लंबी लाइन लग गई।
आगे क्या: इन राज्यों में छाएगा बहुत घना कोहरा यूपी और पंजाब में 15 नवंबर तक, हिमाचल में 18 नवंबर तक रात सुबह के समय घना से बहुत घना कोहरा छाएगा। हरियाणा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, झारखंड में 16 नवंबर तक धुंध छाने की संभावना है। महाराष्ट्र के विदर्भ में बुधवार सबसे कम न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।
धुंध से हादसे: 9 वाहन टकराए, 1 युवक की मौत हरियाणा के रोहतक में विजिबिलिटी 20 मीटर तक रह गई। इससे कई ट्रनें लेट हुईं। 5 जगह हादसों में 9 वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। कैथल में पंजाब के ट्रक चालक धर्मेंद्र की मौत हो गई।
दिल्ली में ठंड का एहसास: न्यूनतम तापमान में आई गिरावट मौसम विभाग के मुताबिक, पिछले 24 घंटों के दौरान दिल्ली एनसीआर में न्यूनतम तापमान में गिरावट आई है, जिससे लोगों को ठंड का एहसास हुआ। अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमशः 30-33 डिग्री सेल्सियस और 14 -18°C के बीच है। राजधानी में आने वाले कुछ दिनों तक मौसम ऐसा ही रहेगा। दिल्लीवासियों को धुंध और प्रदूषण की दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है।
डॉक्टर बोले- स्कूल प्रशासन बच्चों पर ध्यान दें आरएमएल अस्पताल में मेडिसिन के वरिष्ठ डॉ. रमेश मीणा का कहना है कि सुबह के समय AOI लेवल काफी हाई होता है और इसी समय बच्चे स्कूल जाते हैं। छोटे बच्चों की इम्यूनिटी कम होती है, उन्हें खांसी, छीकें, जुकाम, उल्टी, आंखों में जलन और सांस लेने जैसी दिक्कतें होने लगती हैं।
ऐसे में स्कूल प्रशासन को बच्चों पर ध्यान देना चाहिए। हालांकि, पिछले साल दिल्ली में AQI का स्तर 450 से अधिक होने पर दिल्ली सरकार ने 9 से 18 नवंबर तक स्कूलों की छुट्टी कर ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी थी।
दिल्ली में बैन के बावजूद चले पटाखे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 1 जनवरी 2025 तक पटाखों को बैन किया था। पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर रोक है। इनकी ऑनलाइन डिलीवरी पर भी रोक लगाई गई थी, फिर भी आतिशबाजी हुई। पटाखे के कारण दिल्ली में AQI बढ़ा।
दावा- दिल्ली में 69% परिवार प्रदूषण से प्रभावित NDTV के मुताबिक, प्राइवेट एजेंसी लोकल सर्कल के सर्वे में दावा किया गया कि दिल्ली-NCR में 69% परिवार प्रदूषण से प्रभावित हैं। शुक्रवार को जारी की गई इस सर्वे रिपोर्ट में 21 हजार लोगों के जवाब थे। इसमें सामने आया कि दिल्ली-NCR में 62% परिवारों में से कम से कम 1 सदस्य की आंखों में जलन है।
वहीं, 46% फैमिली में किसी न किसी मेंबर को जुकाम या सांस लेने में तकलीफ (नेजल कंजेशन) और 31% परिवार में एक सदस्य अस्थमा की परेशानी है।
दिल्ली में 14 अक्टूबर को ग्रैप-1 लागू किया गया था दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली NCR में ग्रैप-1 लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों (BS -III पेट्रोल और BS-IV डीजल) के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं।
आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेन्टेनेन्स एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रिपेलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है।
AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।
हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।
क्या होता है PM, कैसे नापा जाता है PM का अर्थ होता है पर्टिकुलेट मैटर। हवा में जो बेहद छोटे कण यानी पर्टिकुलेट मैटर की पहचान उनके आकार से होती है। 2.5 उसी पर्टिकुलेट मैटर का साइज है, जिसे माइक्रोन में मापा जाता है।
इसका मुख्य कारण धुआं है, जहां भी कुछ जलाया जा रहा है तो समझ लीजिए कि वहां से PM2.5 का प्रोडक्शन हो रहा है। इंसान के सिर के बाल की अगले सिरे की साइज 50 से 60 माइक्रोन के बीच होता है। ये उससे भी छोटे 2.5 के होते हैं।
मतलब साफ है कि इन्हें खुली आंखों से भी नहीं देखा जा सकता। एयर क्वालिटी अच्छी है या नहीं, ये मापने के लिए PM2.5 और PM10 का लेवल देखा जाता है। हवा में PM2.5 की संख्या 60 और PM10 की संख्या 100 से कम है, मतलब एयर क्वालिटी ठीक है। गैसोलीन, ऑयल, डीजल और लकड़ी जलाने से सबसे ज्यादा PM2.5 पैदा होते हैं।