आने वाले 2-3 महीनों में निफ्टी 21,982 के स्तर पर आ सकती है। अभी ये 23,500 के स्तर पर है। यानी, निफ्टी में अभी और करीब 1,500 पॉइंट की गिरावट आ सकती है। वेल्थ व्यू एनालिटिक्स के फाउंडर हरशुभ महेश शाह ने बाजार का ये प्रिडिक्शन दिया है।
हरशुभ ने ये प्रिडिक्शन 10 नवंबर को दिया था। तब से लेकर अब तक निफ्टी करीब 500 पॉइंट नीचे आ चुकी है। मार्केट जब 26,000 के स्तर पर था तब से हरशुभ शाह मार्केट को लेकर बीयरिश है। वो उस समय से ही ट्रेडर्स को खरीदारी से बचने की सलाह दे रहे हैं।
पढ़िए उनका पूरा इंटरव्यू…
1. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति कहता है मैं जब शेयर खरीदता हूं तो वो नीचे आ जाता है, मैं बेच देता हूं.. फिर वो ऊपर चला जाता है। ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा ही होता है, इसका क्या कारण है?
इमोशन्स की वजह से ऐसा होता है। मान लीजिए मैंने किसी को 100 रुपए पर शेयर दिलाया और वो स्टॉक 95 रुपए पर आ गया। अब डर के मारे उसने बेच दिया.. फिर वो स्टॉक 150 रुपए पर पहुंच गया। ऐसे में उस व्यक्ति को लगने लगता है कि अब ये शेयर और ऊपर जाएगा.. वो 150 रुपए पर खरीद लेता है। आमतौर पर लोगों के साथ ऐसा ही होता है। फियर ऑफ मिसिंग आउट की वजह से ऐसा होता है। इस मेंटेलिटी की वजह से लोग ट्रैप हो जाते हैं।
2. बीते कुछ सालों में फ्यूचर एंड ऑप्शन्स ट्रेडिंग काफी पॉपुलर हुई है। तो क्या वाकई इसमें पैसा बनता है। फ्यूचर एंड ऑप्शन्स ट्रेडिंग के लिए कम से कम कितने कैपिटल की जरूरत होगी?
अगर निफ्टी में आप फ्यूचर में काम करते हैं तो कम से कम 2 लाख रुपए का मार्जिन लगेगा। अभी लॉट साइज भी बढ़ने वाला है तो मार्जिन बढ़कर 3 लाख रुपए के करीब हो जाएगा। लोगों को पास उतना पैसा नहीं है। अभी निफ्टी का लॉट साइज 25 है और प्राइस 25,000 के करीब। यानी 5 लाख रुपए हो गए… अगले महीने से यही 15 लाख रुपए हो जाएगा।
15 लाख रुपए की चीज आप 2-3 लाख रुपए का मार्जिन देकर खरीद रहे हैं। लोग इतने ही पैसों से ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं.. वो ये नहीं सोचते कि नुकसान हो गया तो मेंटेन भी तो करना है। मुझे ऐसा लगता है कि अगर एक्सचेंज का जितना फुल मार्जिन है उतना पैसा आपके पास हो.. या कम से कम आधा हो तो आपको फ्यूचर में काम करना चाहिए।
जिनके पास फ्यूचर में काम करने के लिए एक लॉट का भी पैसा नहीं है वो ऑप्शन में आ जाते हैं। ऑप्शन में और ज्यादा प्रॉब्लम है वो सेलिंग तो करेंगे नहीं वो बाइंग ही करते हैं। तो इस चक्कर में बाइंग इतना बड़ा गैंबलिंग बन गया है।
3. अगर कोई नया इन्वेस्टर ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू करना चाहता है तो उसकी प्रोसेस क्या होनी चाहिए?
शेयर बाजार में ऑप्शन सबसे लास्ट स्टेप है। सबसे पहले किसी भी इन्वेस्टर को इक्विटी मार्केट को समझने में समय बिताना चाहिए। ऑप्शन ट्रेडिंग में आने से पहले पूरे मार्केट के स्ट्रक्चर को समझना होगा। लोग बिना कुछ समझे ऑप्शन ट्रेडिंग में पैसा लगाने लगते हैं.. ये पूरी तरह से गैंबलिंग है। उससे अच्छा है कि आप गोवा में जाकर कसीनो में पैसा लगा दीजिए।
ऑप्शन्स हर किसी के बस की बात नहीं है। अगर ऑप्शन ट्रेडिंग करना है तो 4-5 साल मार्केट साइकिल को समझे.. नॉलेज गेन करें.. फिर इसे करें। ऑप्शन बाइंग की जगह ऑप्शन सेलिंग से शुरुआत करनी चाहिए।
4. सेबी के नए नियम लागू होने वाले हैं… लॉट साइज भी बढ़ने वाला है। आपके हिसाब से इससे मार्केट में क्या बदलाव आएगा? क्या रिटेल इन्वेस्टर्स इससे बचेंगे?
इससे दिक्कत उन लोगों को आएगी जो मल्टीपल लॉट में काम करते हैं। पहले निफ्टी का लॉट 25 का था अब वो 75 होने वाला है। मान लीजिए कोई निफ्टी के 2 लॉट लेता था.. यानी 50 क्वांटिटी। तो कई लोग क्या करते थे कि टारगेट 1 आ गया तो एक लॉट यानी 25 क्वांटिटी बेच देते थे फिर दूसरे लॉट के लिए प्रॉफिट ट्रेल करते थे।
लॉट सािज बढ़ने से उसके सामने ज्यादा क्वांटिटी खरीदने का चैलेंज आएगा। 80% लोग मल्टीपल लॉट में ही काम करते हैं। अब मार्जिन बढ़ जाएगा तो वो लोग धीरे-धीरे मार्केट से आउट हो जाएंगे। जो प्रोफेशनल्स है वही F&O मार्केट में रहेंगे।
लेकिन एक बात ये भी है कि आप शेयर मार्केट से हर इंसान को निकाल नहीं सकते। जिसे ट्रेडिंग करना है वो करेगा ही। जिन लोगों के पास कम पैसे हैं वो कही और से पैसा जुटाने की कोशिश करेंगे। इससे उन्हें ज्यादा नुकसान होगा। मुझे नहीं लगता की सेबी के नए नियमों से कोई ज्यादा अंतर आने वाले हैं। आप गैंबलिंग को शेयर मार्केट से नहीं निकाल सकते। जो ये कर रहा है उसे लत लग चुकी है। वो लत के चक्कर में करेंगे और ज्यादा नुकसान करेंगे।
5. हमारे देश में काफी कम लोग फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजी के बारे में जानते हैं और पूरी तरह से विश्वास भी नहीं करते तो आखिर ये है क्या? इसकी एक्यूरेसी कितनी है?
फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजी का मतलब प्लेनट की स्टडी है। हमारे जो दिन है, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार.. ये भी तो प्लेनेट के नाम पर ही है। जो इसे नहीं मानते हमारा वेदिक साइंस इसे प्रूव कर रहा है। हर दिन का एक सिग्निफिकेंस है।
जैसे निफ्टी जुपिटर के हिसाब से चलती है। बैंक निफ्टी वीनस से चलती है। जब भी जुपिटर का होरा लगता है उसी समय निफ्टी में मोमेंटम आता है। सैटर्न जब जीरो डिग्री आता है तब मार्केट फॉल होता ही है। जैसे 28 फरवरी के आसपास आया था… तब मैंने वीडियो भी बनाया था कि मार्केट क्रैश होगा उसी दिन मार्केट क्रैश हुआ।
तो कहीं न कहीं लोगों को नॉलेज होना जरूरी है, ये एक्यूरेसी की बात नहीं है इम्पैक्ट की बात है… इम्पैक्ट जरूर होता है। फिर आप इसे टेक्निकल में मिक्स कर लो, फंडामेंटल में कर लो… आपको जो अच्छा लगता है उसे मिक्स करके एक्यूरेसी बढ़ा सकते हैं।
टेक्निकल बोलता है भाव भगवान छे.. मैं बोलता हूं.. समय बलवान छे
फाइनेंशियल एस्ट्रोलॉजी आपको डेट बताती है। टेक्निकल क्या बोलता है भाव भगवान छे.. मैं एस्ट्रोलॉजी के हिसाब से बोलता हूं.. समय बलवान छे। आपको समय नहीं पता है। जैसे अमावस्या जब भी आती है मार्केट में मोमेंटम आता है। अभी अमावस्या दिवाली पर थी उसके अगले ही दिन मार्केट ने कितना बड़ा गोता लगाया।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आमावस्या से मून का रिलेशन है। जब ऊपर बैठा मून समुद्र की लहरों को ऊपर नीचे कर सकता है तो हमारी बॉडी भी तो पानी से बनी है। हमारे अंदर के इमोशन्स भी तो कंट्रोल हो रहे हैं। तो मून हमारे इमोशन को कंट्रोल करता है जो हमारे स्टॉक मार्केट के डिसीजन को इम्पैक्ट करते हैं। इसलिए अमावस्या के समय मोमेंटम ज्यादा शिफ्ट होता है।
अगर लोग इन चीजों को समझ लेंगे तो उनकी स्टॉक मार्केट में एक्यूरेसी बढ़ सकती है। हम कोई क्लेम नहीं करते कि एक्यूरेसी 90% है कि 80% है। हमारा कहना है कि हम समय को पता कर सकते हैं। जैसे मुझे पता है कि दिसंबर में जब अमावस्या आएगी तब मोमेंटम आएगा। हर चीज के पीछे कोई न कोई कारण है।
6. एस्ट्रो डेटा की मदद से मार्केट का टॉप और बॉटम कैसे प्रिडिक्ट कर सकते हैं?
एस्टोलॉजी से आप मार्केट का टॉप और बॉटम आसानी से प्रेडिक्ट कर सकते हैं। अगर आप हमारा इंस्टाग्राम फॉलो करे तो हम जो कह रहे हैं वो सब हो रहा है। ये एक साइंस है। मैनें एक स्ट्रैटजी भी शेयर की है। मून और मार्स जब जीरो डिग्री पर आते हैं तो मार्केट रिवर्स होता है। यानी अगर मार्केट ऊपर है तो नीचे आ जाता है और अगर नीचे है तो रिवर्स होकर ऊपर चला जाता है।
एग्जांपल देता हूं – 3 जून को इलेक्शन था.. मार्केट एकदम ऊपर खुला.. सबको लगा कि और ऊपर जाएगा। उस दिन मून और मार्स जीरो डिग्री पर थे। मार्केट टॉप से गिरकर नीचे आ गया। ट्रंप के समय में भी ऐसा ही हुआ था।
ऐसे और भी कई सारे प्लेनेट के कॉम्बिनेशन है जो आपको एडवांस में डेट बता देते हैं। आपको सोचने पर मजबूर करते हैं कि समय बलवान है। पहले जब टेक्निकल नहीं आया था तब लोग फंडामेंटल ही करते थे… टेक्निकल आया तो लोगों ने कहा ये अच्छा है। मैं कह रहा हूं आज से 5 साल बाद लोग बोलेंगे मजा तो एस्ट्रोलॉजी में आ रहा है। नई चीज सीखते रहना चाहिए।
7. शॉर्ट टू मीडियम टर्म में निफ्टी का क्या डायरेक्शन है ये कहा तक जा सकता है?
दो से तीन महीने में निफ्टी 21,982 के स्तर पर आ जाएगी। हो सकता है मोमेंटम थोड़ा ऊपर जाए, लेकिन आना नीचे ही है। पॉपकॉर्न चाहे कितना भी उड़ ले गिरना उसे जमीन पर ही है। हो सकता है निफ्टी उड़ेगी लेकिन उस लेवल तक आने की संभावना है।
तो अभी भी 2000-2500 पॉइंट निफ्टी नीचे आएगी। ये मेरा टारेगट है। हालांकि 5-6 महीनों के स्ट्रगल के बाद बाजार का ट्रेंड पॉजिटिव ही है। अभी निवेश का अच्छा मौका मिलेगा।
8. आने वाले दिनों में आपके कौन-कौन से प्रोडक्ट आने वाले हैं?
अभी हमारा एक ही प्रोडक्ट है इम्पल्स व्यू जिसमें हम बैंक निफ्टी में पोजीशनली कैसे काम करना है उसके बारे में बताते हैं। दूसरा प्रोडक्ट हम इम्पल्स वेल्थ लॉन्च करने वाले हैं। इसमें हम स्टॉक आइडियाज देंगे। बाजार में जब गिरावट थम जाएगी तब इसे लॉन्च करेंगे। हम पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस भी लॉन्च करने का प्लान कर रहे हैं। इसमें करीब 6 महीने लगेंगे।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन क्या होता है?
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) एक प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जो निवेशक को स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पूंजी में बड़ी पोजीशन लेने की अनुमति देते हैं। फ्यूचर्स और ऑप्शन, एक प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जिनकी एक तय अवधि होती है।
इस समय सीमा के अंदर इनकी कीमतों में स्टॉक की प्राइस के अनुसार बदलाव होते हैं। हर शेयर का फ्यूचर्स और ऑप्शन एक लॉट साइज में अवेलेबल होता है।