दिल्ली में प्रदूषण का लेवल बेहद खतरनाक लेवल पर बना हुआ है। मंगलवार सुबह दिल्ली के कई इलाकों में AQI 500 से ऊपर रिकॉर्ड किया गया। दिल्ली का औसत AQI 494 रिकॉर्ड किया गया, जो इस सीजन में सर्वाधिक है।
दिल्ली-NCR के 10वीं तक के स्कूल पहले ही ऑनलाइनल कर दिए गए थे। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 11वीं-12वीं की क्लासेस ऑनलाइन चलाने का भी आदेश दे दिया गया। वहीं, डीयू और JNU के कॉलेजों की क्लासेस में 4 दिन तक वर्चुअल मोड पर चलेंगी।
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने 18 नवंबर से दिल्ली-NCR में बदला हुआ ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का चौथा फेज लागू कर दिया है। साथ ही बच्चों, बुजुर्गों, सांस और दिल के मरीजों, पुरानी बीमारियों से पीड़ितों को घर के अंदर रहने की सलाह दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्टाफ के लिए मास्क पहनना अनिवार्य किया
सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्टाफ के लिए मास्क पहनना भी अनिवार्य कर दिया है। सोमवार को दिल्ली-NCR रीजन में सरकारों को निर्देश दिया कि प्रदूषण की गंभीरता देखते हुए स्कूल बंद किए जाएं। AQI का लेवल कम करने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) स्टेज 3 और स्टेज 4 के सभी जरूरी प्रतिबंध लागू किए जाएं।
साथ ही हिदायत दी- कोर्ट की इजाजत के बगैर GRAP स्टेज 4 के प्रतिबंध नहीं हटेंगे। भले ही AQI 300 से नीचे क्यों ना आ जाए।
दिल्ली में प्रदूषण के 3 फैक्टर्स
1. पराली से प्रदूषण CPCB के मुताबिक दिल्ली में 37% प्रदूषण दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली जलाने से हुआ है। पंजाब में हर साल 70 से 80 लाख मीट्रिक टन पराली जलाई जाती है। हरियाणा, यूपी और एमपी में भी ये ट्रेंड दिखता है। सर्दियों में ये प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह बनती है।
2. गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण इससे दिल्ली में 12% प्रदूषण बढ़ा है। 2023-24 के इकोनॉमिकल सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में 80 लाख के करीब गाड़ियां हैं। इनसे सबसे छोटे प्रदूषित कण PM 2.5 निकलते हैं। दिल्ली के प्रदूषण में 47% PM 2.5 इन्हीं वाहनों से निकलता है। यह वाहन न सिर्फ हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं बल्कि यह धूल से होने वाले प्रदूषण की भी वजह बनते हैं।
3. फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल्स दिल्ली में प्रदूषण की तीसरी सबसे बड़ी वजह फैक्ट्रियां हैं। दिल्ली और इसके आसपास मौजूद इंडस्ट्री से PM 2.5 और PM 10 का उत्सर्जन होता है। द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (TERI) के मुताबिक, यह हवा में मौजूद 44% PM 2.5 और 41% PM 10 के लिए जिम्मेदार है।
2,200 से ज्यादा पुरानी गाड़ियां जब्त
दिल्ली परिवहन विभाग ने 1 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच 2,234 ज्यादा गाड़ियां जब्त कीं, जो बेहद पुरानी थीं।राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए यह कदम उठाया गया। इनमें 10 साल से ज्यादा पुराने 260 डीजल चार पहिया, 1,156 पेट्रोल दोपहिया वाहन और 15 साल से ज्यादा पुराने 818 पेट्रोल तीन और चार पहिया वाहन शामिल हैं। यह कार्रवाई दिसंबर तक चलेगी। जब्त वाहनों की स्क्रैपिंग या बिक्री के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है।
AQI 400 के पार पहुंचने पर GRAP लगाया जाता है
हवा में प्रदूषण के स्तर की जांच करने के लिए इसे 4 कैटेगरी में बांटकर देखा गया है। हर स्तर के लिए लिए पैमाने और उपाय तय हैं। इसे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान यानी GRAP कहते हैं। इसकी 4 कैटेगरी के तहत सरकार पाबंदियां लगाती है और प्रदूषण कम करने के उपाय जारी करती है।
- GRAP-1: खराब (AQI 201-300)
- GRAP-2: बहुत खराब (AQI 301-400)
- GRAP-3: गंभीर ( AQI 401 से 450)
- GRAP-4: बहुत गंभीर ( AQI 450 से ज्यादा)
AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों
AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।
हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।