दिल्ली में बुधवार को भी हवा जहरीली बनी हुई है। लगातार 5वें दिन AQI 400 के पार है। 15 नवंबर को इसका लेवल 396 था।
बुधवार की सुबह 6 बजे कई इलाकों में AQI 450 और 9 बजे 424 रहा। यह ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
शहर का सबसे प्रदूषित इलाका मुंडका (AQI 464) रहा। वहीं, वजीरपुर और अलीपुर में AQI 462 रिकॉर्ड किया गया।
प्रदूषण के कारण छाई धुंध से पालम समेत कुछ इलाकों में विजिबिलिटी घटकर 150 मीटर रह गई। इस कारण 79 फ्लाइट्स ने देरी से उड़ान भरी और 6 फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गईं। इसके अलावा रेलवे ने बताया कि बुधवार को 13 ट्रेनें देरी से चल रही हैं।
दिल्ली सरकार ने सरकारी दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम का निर्णय लिया है। राज्य सरकार के 50% सरकारी कर्मचारी घर से काम करेंगे। यह जानकारी पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दी है।
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने जजों को डिजिटल सुनवाई का ऑप्शन दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने कहा कि जहां भी संभव हो सके, कोर्ट वहां डिजिटल तरीके से सुनवाई करें। वकील वर्चुअल पैरवी कर सकते हैं। दरअसल, कपिल सिब्बल समेत सुप्रीम कोर्ट के कई वकीलों ने यह मांग की थी। कोर्ट ने अपने स्टाफ के लिए मास्क पहनना भी अनिवार्य कर दिया है।
थरूर बोले- दिल्ली नवंबर से जनवरी तक रहने लायक नहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- दिल्ली नवंबर से जनवरी तक रहने लायक नहीं है। बाकी के साल में बमुश्किल रहने लायक है। क्या इसे देश की राजधानी भी बना रहना चाहिए?
उन्होंने लिखा- दिल्ली आधिकारिक तौर पर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। यहां का पॉल्यूशन लेवल खतरनाक स्तर से चार गुना ज्यादा है। दिल्ली विश्व के दूसरे सबसे प्रदूषित शहर ढाका से लगभग पांच गुना ज्यादा प्रदूषित है। ये गलत है कि हमारी सरकार सालों से बुरे सपने को देख रही है। इसके बारे में कुछ नहीं करती है।
दिल्ली में आर्टिफिशियल रेन कराने की मांग दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र सरकार को लेटर लिखकर आर्टिफिशियल रेन (कृत्रिम बारिश) करवाने की मांग रखी है। राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण बेहद गंभीर श्रेणी में है और इससे निपटने के लिए आर्टिफिशियल रेन कराने की जरूरत है। यह मेडिकल इमरजेंसी है।
गोपाल राय का कहना है कि उन्होंने केंद्र को 30 अगस्त, 10 अक्टूबर और 23 अक्टूबर को लेटर लिखकर प्रदूषण से निपटने के लिए कार्रवाई की मांग की, लेकिन उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है
दिल्ली में प्रदूषण के 3 फैक्टर्स
1. पराली से प्रदूषण- CPCB के मुताबिक दिल्ली में 37% प्रदूषण दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली जलाने से हुआ है। पंजाब में हर साल 70 से 80 लाख मीट्रिक टन पराली जलाई जाती है। हरियाणा, UP और MP में भी ये ट्रेंड दिखता है। सर्दियों में ये प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह बनती है।
2. गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण- इससे दिल्ली में 12% प्रदूषण बढ़ा है। 2023-24 के इकोनॉमिकल सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में 80 लाख के करीब गाड़ियां हैं। इनसे सबसे छोटे प्रदूषित कण PM 2.5 निकलते हैं। दिल्ली के प्रदूषण में 47% PM 2.5 इन्हीं वाहनों से निकलता है। यह वाहन न सिर्फ हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं, बल्कि यह धूल से होने वाले प्रदूषण की भी वजह बनते हैं।
3. फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल्स- दिल्ली में प्रदूषण की तीसरी सबसे बड़ी वजह फैक्ट्रियां हैं। दिल्ली और इसके आसपास मौजूद इंडस्ट्री से PM 2.5 और PM 10 का उत्सर्जन होता है। द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (TERI) के मुताबिक, यह हवा में मौजूद 44% PM 2.5 और 41% PM 10 के लिए जिम्मेदार है।
2,200 से ज्यादा पुरानी गाड़ियां जब्त दिल्ली परिवहन विभाग ने 1 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच 2,234 ज्यादा गाड़ियां जब्त कीं, जो बेहद पुरानी थीं।राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए यह कदम उठाया गया। इनमें 10 साल से ज्यादा पुराने 260 डीजल चार पहिया, 1,156 पेट्रोल दोपहिया वाहन और 15 साल से ज्यादा पुराने 818 पेट्रोल तीन और चार पहिया वाहन शामिल हैं। यह कार्रवाई दिसंबर तक चलेगी। जब्त वाहनों की स्क्रैपिंग या बिक्री के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है।
AQI 400 के पार पहुंचने पर GRAP लगाया जाता है हवा में प्रदूषण के स्तर की जांच करने के लिए इसे 4 कैटेगरी में बांटकर देखा गया है। हर स्तर के लिए लिए पैमाने और उपाय तय हैं। इसे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान यानी GRAP कहते हैं। इसकी 4 कैटेगरी के तहत सरकार पाबंदियां लगाती है और प्रदूषण कम करने के उपाय जारी करती है।
- GRAP-1: खराब (AQI 201-300)
- GRAP-2: बहुत खराब (AQI 301-400)
- GRAP-3: गंभीर ( AQI 401 से 450)
- GRAP-4: बहुत गंभीर ( AQI 450 से ज्यादा)
AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।
हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।