13 दिनों तक बंद रहने के बाद इम्फाल और जिरीबाम में स्कूल और कॉलेज शुक्रवार को फिर से खुल गए। एजुकेशन डायरेक्टरेट ने गुरुवार को इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, बिष्णुपुर, काकचिंग, थौबल और जिरीबाम जिलों में स्कूल दोबारा खोले जाने का आदेश दिया था।
हायर एंड टेक्निकल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने भी सभी सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज और स्टेट यूनिवर्सिटीज को शुक्रवार से ही खोलने के आदेश जारी किया था। जिरीबाम में सुरक्षा बलों और कुकी उग्रवादियों के बीच गोलीबारी के बाद 16 नवंबर से सभी स्कूल और कॉलेज बंद थे।
झड़प में 10 उग्रवादी मारे गए थे। इसके बाद उग्रवादी राहत शिविर से एक मैतेई परिवार के छह लोगों को अगवा कर ले गए थे। कुछ दिनों बाद मणिपुर और असम में जिरी और बराक नदियों में उनके शव मिले थे।
राज्य सरकार ने शुक्रवार को घाटी के सभी पांच जिलों और जिरीबाम में सुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी है। ताकि लोग जरूरी चीजों और दवाओं की खरीदारी कर सकें। साथ ही कहा है कि इस दौरान बिना परमिशन कोई भी सभा/धरना/रैली नहीं होगी।
हिंसा भड़कने के बाद से इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, बिष्णुपुर, थौबल, काकचिंग, कांगपोकपी, चुराचांदपुर, जिरीबाम और फेरज़ॉल समेत 9 जिलों में मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाएं बंद हैं।
अगवाकर मारे गए सभी 6 मैतेइयों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई
जिरीबाम से अगवा कर मारे गए 6 लोगों में बाकी 3 लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट 27 नवंबर को आई। इसमें एक महिला और दो बच्चे शामिल हैं। तीनों के शवों पर गोलियों के निशान और गंभीर चोटें पाई गई हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि तीनों की मौत शव मिलने (17 नवंबर) के 3 से 5 दिन पहले हो चुकी थी।
इसके अलावा 11 नवंबर को कुकी आतंकवादियों के हमले में मारे गए 2 बुजुर्गों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी सामने आई है। उनके शव 12 नवंबर को जली हालत में पाए गए थे। एक शव के कुछ अंग गायब हैं। इन पांचों का पोस्टमॉर्टम असम के कछार जिले के सिलचर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में हुआ।
इससे पहले 24 नवंबर को 3 मैतेई लोगों (दो महिलाएं और एक बच्चा) की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई थी। करीब 15 दिन पहले 11 नवंबर को सुरक्षा बलों और कुकी आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में 10 आतंकी मारे गए थे।
इसके बाद जिरीबाम जिले से एक मैतेई परिवार की 3 महिलाओं और 3 बच्चों को आतंकियों ने अगवा कर लिया था। परिवार बोरोबेकरा इलाके के राहत शिविर में शरण लिए थे। करीब एक हफ्ते बाद 16 और 17 नवंबर को उनके शव जिरीबाम जिले की जिरी नदी और असम के कछार में बराक नदी में मिले थे।
मणिपुर की सुरक्षा में CAPF की 288 कंपनियां तैनात
मणिपुर की सुरक्षा में सेंट्रल आर्म्ड फोर्स की 288 कंपनियां तैनात की गई हैं। इनमें CRPF, SSB, असम राइफल, ITBP सहित दूसरी आर्म्ड फोर्स की कंपनियां शामिल हैं। मणिपुर के चीफ सिक्योरिटी एडवाइजर कुलदीप सिंह ने कहा था कि हमने पुख्ता इंतजाम किए हैं। कंपनियों को अलग-अलग जगह भेजा जा रहा है। हर जिले में नए कोऑर्डिनेशन सेल और जॉइंट कंट्रोल रूम तैयार किए जाएंगे।
मंत्री एल सुसींद्रो ने घर को कंटीले तारों से कवर किया
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और 17 विधायकों के घर पर 16 नवंबर को हमले हुए थे। मंत्री एल सुसींद्रो के घर को भी निशाना बनाया गया था। इसके बाद सुसींद्रो ने इंफाल ईस्ट स्थित अपने घर को कंटीले तारों और लोहे के जाल से कवर किया है।
सुसींद्रो ने कहा था कि मई से यह तीसरी बार है, जब मेरी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। इस बार करीब 3 हजार लोग घर के बाहर जुट गए। उन्होंने घर को नुकसान पहुंचाया, फायरिंग की। BSF और मेरे सुरक्षाकर्मियों ने पूछा कि क्या किया जाना चाहिए तो मैंने कहा कि भीड़ को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना है। हालांकि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायर किए गए।
सुसींद्रो, मैतेई समुदाय से आते हैं और काफी चर्चा में रहते हैं। मणिपुर में जब हथियार लूटे जा रहे थे, तब उन्होंने घर में वेपंस ड्रॉप बॉक्स बनाया था, ताकि लोग हथियार जमा कर दें।
विधायक के घरों से लूटे डेढ़ करोड़ के जेवर विधायकों के घरों पर हमले के दौरान 1.5 करोड़ रुपए के जेवर लूटे जाने की बात सामने आई है। JDU विधायक के. जॉयकिशन सिंह की मां ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई। तोड़फोड़ करने वाली भीड़ ने थांगमेइबंद इलाके में विधायक के आवास से 18 लाख रुपए नकद भी लूटे थे। विस्थापितों के लिए रखा सामान भी नष्ट किया था।
रिलीफ कैंप की वॉलंटियर सनयाई ने दावा किया था कि हिंसा के दौरान लॉकर, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान और फर्नीचर में तोड़फोड़ की गई। भीड़ 7 गैस सिलेंडर ले गई। विस्थापितों के दस्तावेज नष्ट कर दिए। तीन एसी भी ले जाने की कोशिश की।
मणिपुर में दोबारा हालात क्यों बिगड़े
- 11 नवंबर: सुरक्षाबलों ने जिरीबाम में 10 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था। मुठभेड़ के दौरान कुकी उग्रवादियों ने 6 मैतेई (3 महिलाओं, 3 बच्चों) को किडनैप किया था।
- 15-16 नवंबर: किडनैप हुए छह लोगों में से पांच के शव बरामद हुए।
- 16 नवंबर: CM बीरेन सिंह और भाजपा विधायकों के घरों पर हमले हुए थे। वहीं, कुछ मंत्रियों सहित भाजपा के 19 विधायकों ने CM बीरेन सिंह को हटाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखा
- 17 नवंबर: रात में जिरिबाम जिले में पुलिस की गोली से मैतेई प्रदर्शनकारी की मौत, जिसके बाद हालात और बिगड़ गए। छठा शव असम की बराक नदी से मिला। CRPF के डीजी अनीश दयाल सिंह मणिपुर पहुंचे।
मणिपुर में नवंबर में हुईं हिंसक घटनाएं
- 11 नवंबर: मणिपुर के याइंगंगपोकपी शांतिखोंगबन इलाके में खेतों में काम कर रहे किसानों पर उग्रवादियों ने पहाड़ी से गोलीबारी की थी, जिसमें एक किसान की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे।
- 9-10 नवंबर: इंफाल पूर्वी जिले के सनसाबी, सबुंगखोक खुनौ और थमनापोकपी इलाकों में 10 नवंबर को गोलीबारी की घटना हुई थी। 9 नवंबर को बिष्णुपुर जिले के सैटन में उग्रवादियों ने 34 साल की महिला की हत्या कर दी थी। घटना के वक्त महिला खेत में काम कर रही थी।
- 8 नवंबर: जिरीबाम जिले के जैरावन गांव में हथियारबंद उग्रवादियों ने 6 घर जला दिए थे। ग्रामीणों का आरोप था कि हमलावरों ने फायरिंग भी की थी। घटना में एक महिला की मौत हुई थी। मृतक महिला की पहचान जोसंगकिम हमार (31) के रूप में हुई थी। उसके 3 बच्चे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि हमलावर मैतेई समुदाय के थे। घटना के बाद कई लोग घर से भाग गए।
- 7 नवंबर: हमार जनजाति की एक महिला को संदिग्ध उग्रवादियों ने मार डाला था। उन्होंने जिरीबाम में घरों को भी आग लगा दी। पुलिस केस में उसके पति ने आरोप लगाया कि उसे जिंदा जलाने से पहले उसके साथ रेप किया गया था। एक दिन बाद, मैतेई समुदाय की एक महिला को संदिग्ध कुकी विद्रोहियों ने गोली मार दी थी।