केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में बड़े बदलाव की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार EPFO 3.0 के मसौदे के अनुसार कर्मचारियों को अब ATM से सीधे PF फंड निकालने की सुविधा देने पर विचार चल रहा है।
माना जा रहा है कि अगले साल जून से ये सुविधा शुरू हो सकती है, लेकिन इसके जरिए एक तयशुदा रकम ही निकाली जा सकेगी। इससे ये होगा कि कर्मचारी इमरजेंसी के लिए पैसे तो निकाल सकेगा, लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी पर्याप्त राशि अकाउंट में सुनिश्चित रहेगी।
वहीं, EPF में कर्मचारी की ओर से मौजूदा 12% के अंशदान (कॉन्ट्रिब्यूशन) को भी बढ़ाने पर विचार चल रहा है। वर्तमान में कर्मचारी अपने मूल वेतन, महंगाई भत्ते और रिटेनिंग भत्ते का 12% योगदान करता है, जिसमें 8.33% वेतन पेंशन फंड में और 3.67% EPF में जाता है।
पेंशन स्कीम में भी कर्मचारी अंशदान को बढ़ा सकेगा
- केंद्र सरकार ने पेंशन स्कीम (EPS-95) में भी बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके तहत वर्तमान में लागू 8.33% के अंशदान को भी कर्मचारी बढ़ा सकेंगे।
- नियोक्ता (कंपनी) के अंशदान में कोई बदलाव नहीं होगा। उसे कर्मचारी की सैलरी के अनुपात में ये देना होगा।
- कर्मचारी को अंशदान और पेंशन फंड में कभी भी राशि बढ़ाने (टॉप अप) की सुविधा मिल सकेगी।
- कर्मचारी को PF सुविधाओं के प्रति जागरूक बनने के लिए पोर्टल को और इंटरेक्टिव बनाया जाएगा।
- EPFO 1.0 : खातों का रखरखाव मैनुअल तरीके से होता था। आवेदन और निकासी कागजी प्रक्रिया से होती थी।
- EPFO 2.0 : EPFO डिजिटल हुआ। ऑनलाइन पोर्टल सुविधा। कर्मचारी को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) मिला।
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नौकरी जाने पर एक माह के बाद निकाल सकेंगे PF का 75% पैसा PF विड्रॉल के नियम के तहत अगर किसी मेंबर की नौकरी चली जाती है तो वह 1 माह के बाद PF अकाउंट से 75% पैसा निकाल सकता है। इससे वह बेरोजगारी के दौरान अपनी जरूरतें पूरी कर सकता है। PF में जमा बाकी 25% हिस्से को जॉब छूटने के दो महीने बाद निकाला जा सकता है।
PF निकासी इनकम टैक्स के नियम कर्मचारी को यदि किसी कंपनी में सेवाएं देते 5 साल पूरे हो जाते हैं और वो PF निकालता है तो उस पर इनकम टैक्स की कोई लायबिलिटी नहीं होती। 5 साल की अवधि एक या इससे ज्यादा कंपनियों को मिलाकर भी हो सकती है। एक ही कंपनी में 5 साल पूरे करना जरूरी नहीं। कुल अवधि कम से कम 5 साल होना जरूरी होता है।
अगर कर्मचारी नौकरी में 5 साल पूरे होने से पहले PF खाते से 50 हजार रुपए से ज्यादा राशि निकालता है तो उसे 10% TDS चुकाना होगा। वहीं अगर आपके पास पैन कार्ड नहीं है तो आपको 30% TDS देना होगा। हालांकि, अगर कर्मचारी फॉर्म 15G/15H सबमिट कराता है तो कोई TDS नहीं काटा जाता है।