जल, पर्यावरण व ऊर्जा के संतुलित प्रयोग के प्रति जागरूकता पैदा करना आवश्यक आचार्य लोकेश

पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन से ही सतत भविष्य का निर्माण संभव नवनीत सहगल

अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेशजी ने प्रसार भारत के चेयरमैन श्री नवनीत सहगल की अध्यक्षता, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महासचिव श्री अनिल गुप्ता, सेवा भारती संस्थान के उपाध्यक्ष श्री श्रवण गोयल की उपस्थिती में इंडिया वॉटर फाउंडेशन द्वारा डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित जल-ऊर्जा-पर्यावरण पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड मेघालय के चेयरमैन श्री राम मोहन मिश्रा के द्वारा संचालित सत्र में सतत व स्थाई भविष्य के लिए जल, पर्यावरण व ऊर्जा के संरक्षण व संवर्धन के अनेक पहलुओं पर बहुक्षेत्रीय संवाद हुआ। आयोजकों ने आचार्याश्री लोकेश जी का मोमेंटों भेंट कर स्वागत किया । विश्व शांतिदूत आचार्य लोकेश ने कहा कि विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से जूझ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, तापमान बढ़ रहा है, पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है, ओजोन परत में छेद हो गया है, यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आकर जीवित प्राणियों को नुकसान पहुंचा रहा है। जैन दर्शन कहता है कि केवल मनुष्य और पशु ही नहीं, बल्कि पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और वनस्पति भी जीवित प्राणी हैं। शतजीवनिकाय। सिद्धांत कहता है कि प्रकृति को अनावश्यक परेशान नहीं करना चाहिए, जल, ऊर्जा व पर्यावरण का संतुलित उपयोग करना चाहिए, इसके लिए जागरूकता पैदा करनी आवश्यक है। प्रसार भारती के चेयरमैन श्री नवनीत सहगल ने कहा कि वर्तमान में और आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे महत्वपूर्ण समस्या पर्यावरण असंतुलन की है।
स्वच्छ जल, शुद्ध पर्यावरण व जर्रोरत के अनुसार ऊर्जा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए सख्त कदम उढ़ाने होंगे तभी सतत भविष्य सुनिश्चित हो सकता है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महासचिव श्री अनिल गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन के लिए धर्मगुरुओं, समाजसेवी, मीडिया आदि समाज से सभी क्षेत्रों को संगठित प्रयास करने होंगे।
इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड मेघालय के चेयरमैन श्री राम मोहन मिश्रा ने कहा कि वर्तमान मे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, खाद्य पदार्थों मे मिलावट, पशुओं की हत्या अनेक ऐसे मुद्दे है जिनके प्रति जागरूकता पैदा करने के साथ प्रभावी कदम भी उढ़ाने होंगे।