क्रूज चलाने वाली कंपनी को ऋषि के श्राप का डर:मथुरा में बदला क्रूज का नाम, गरुड़ की जगह अब होगा बृज रथ मथुरा56 मिनट पहले

मथुरा के वृंदावन में क्रूज चलाने वाली कंपनी को सैकड़ों वर्ष पहले एक ऋषि द्वारा दिए गए श्राप का डर सता गया है। क्योंकि कंपनी ने यमुना में चलने वाले क्रूज का नाम अब बदल दिया है। वृंदावन में चलने वाले क्रूज का नाम गरुड़ से अब बृज रथ कर दिया गया है। इसकी जानकारी कंपनी ने रिलीज करके दिया है।

यमुना में बढ़ाना था पर्यटन उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यटन को बढ़ाने के लिए मथुरा वृंदावन में यमुना में क्रूज चलाने की योजना बनाई। इसके लिए उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने इसकी रूपरेखा तैयार की और मथुरा क्रूज लाइन्स प्राइवेट लिमिटेड को इसके संचालन की हरी झंडी दे दी। जिसके बाद कंपनी 6 महीने पहले एक क्रूज को लेकर आई और उसका नाम रखा गरुड़।

आने के साथ ही शुरू हो गई समस्या गरुड़ क्रूज के आने के साथ ही इसके संचालन में समस्याएं शुरू हो गई। क्रूज के संचालन का यमुना में नाव चलाने वाले नाविकों ने विरोध किया। दो महीने तक चले नाविकों के विरोध के बीच किसी तरह कंपनी के इसका ट्रायल शुरू किया। लेकिन कभी पानी कम और कभी तकनीकी कमी से इसके संचालन में बाधा आती रही। इसी दौरान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर मथुरा आए मुख्यमंत्री ने ब्रज को 1037 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात दी। जिसमें क्रूज भी था।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बाद भी नहीं चल पाया क्रूज CM ने क्रूज के संचालन का उद्घाटन किया गया। लेकिन किसी न किसी वजह से गरुड़ क्रूज चल नहीं पाया। कभी यमुना में ज्यादा पानी तो कभी कम पानी इसके संचालन में दिक्कतें पैदा करता रहा। क्रूज के संचालन न हो पाने से कंपनी और ब्रज तीर्थ विकास परिषद के अधिकारी भी परेशान रहने लगे।

संचालन में आई दिक्कत तो नाम बदलने की बनाई योजना मथुरा-वृंदावन के बीच क्रूज़ सेवा प्रदान करने वाली मथुरा क्रूज़ लाइन्स प्राइवेट लिमिटेड को जब क्रूज के संचालन में लगातार दिक्कत आई तो कंपनी के अधिकारियों ने इसके कारणों पर मंथन किया। इसी बीच किसी ने क्रूज के नाम बदलने की सलाह दी। जिसके बाद कंपनी ने इसका नाम गरुड़ से बदलकर बृज रथ रख दिया।

नाम बदलने का कंपनी ने बताया कारण कंपनी ने रिलीज जारी करके बताया- क्रूज़ का नाम बदलकर “बृज रथ” रख दिया है। पहले इस क्रूज़ का नाम “गरुड़” था। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, गरुड़ को एक श्राप का सामना करना पड़ा था। इसी धार्मिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने निर्णय लिया है।

कंपनी ने यह भी खुलासा भी किया कि हाल के दिनों में क्रूज़ गरुड़ को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इन्हें दूर करने के लिए अब पौराणिक कथाओं में वर्णित गरुड़ के श्राप से जोड़ा जा रहा है। कंपनी का मानना है कि नाम बदलने के बाद इन बाधाओं को दूर किया जा सकेगा और नई शुरुआत की जा सकेगी।

नए नाम के साथ DM ने की क्रूज की सवारी गरुड़ से बृज रथ हुए क्रूज में पहली यात्रा मथुरा के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने अपने परिवार के साथ की। क्रूज़ का आनंद लिया और औपचारिक रूप से क्रूज़ का नया नाम बृज रथ घोषित किया। उन्होंने न केवल इस पहल की सराहना की बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए उठाए गए इस कदम को अनुकरणीय बताया।

यमुना में बढ़ाना है पर्यटन कंपनी के निदेशक राहुल शर्मा ने बताया- बृज रथ क्रूज़ सेवा का उद्देश्य स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटकों को यमुना नदी के शांत वातावरण में भगवान कृष्ण की पवित्र भूमि का अनुभव कराना है। क्रूज़ पर यात्रा करते हुए पर्यटक न केवल मनोरम दृश्य देख सकते हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं का भी अनुभव कर सकते हैं।

कंपनी के प्रवक्ता ने बताया – हमारा उद्देश्य मथुरा और वृंदावन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को सशक्त करना है। क्रूज़ का नाम बदलने का निर्णय हमने अपने यात्रियों की भावनाओं और धर्म के प्रति आदर को ध्यान में रखते हुए लिया है। बृज रथ जल्द ही एक अनोखे आकर्षण के रूप में स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय होगा। यह कदम मथुरा-वृंदावन क्षेत्र में पर्यटन और धार्मिक महत्व को और मजबूती प्रदान करेगा।

यह था गरुड़ को श्राप पौराणिक कथाओं के अनुसार वृंदावन के सुनरख गांव में सौभरी ऋषि रहा करते थे। यह उनकी तपोस्थली थी। यहां यमुना किनारे कुटिया बनाकर वह भगवान का भजन करते थे। यमुना नदी में रहने वाले सांप और अन्य जलचरों ने उनसे एक एक दिन विनती की कि उनको गरुड़ से बचाया जाए।

इसके बाद सौभरी ऋषि ने गरुड़ को श्राप दिया कि वह वृंदावन की सीमा से बाहर रहे। तभी से वृंदावन से कुछ किलोमीटर दूर गरुड़ जी का मंदिर है।

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