डीयू के एसी /ईसी के चुनाव में सबक सिखायेंगे दिल्ली सरकार से पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के शिक्षक ।

* सरकार के 12 कॉलेजों के शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार , एडहॉक टीचर्स को नहीं किया परमानेंट ।

* दिल्ली सरकार से पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की स्थायी नियुक्ति न होने पर एडहॉक शिक्षकों में गहरा रोष ।

* टीचर्स फोरम ने दिल्ली सरकार के कॉलेजों में भी सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की ।

* ईसी /एसी में शिक्षकों का गुस्सा नजर आएगा , सरकार के इन कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है ।

* दिल्ली सरकार के चार कॉलेजों ने सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के विज्ञापन निकाले । बचे हुए कॉलेजों ने नहीं निकाला विज्ञापन ।

नया साल बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में परमानेंट हुए उन सभी शिक्षकों के लिए खुशियां लेकर आएगा । शिक्षक नववर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे , एक दूसरे को परमानेंट शिक्षक होने की बधाई देंगे लेकिन दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के शिक्षकों के लिए कैसा नया साल ? वे अपनी खुशी का इजहार कैसे करेंगे ? जहाँ एक ओर 55 कॉलेजों में एडहॉक टीचर्स से स्थायी हुए हैं और उनका प्रोबेशन काल पूरा होने के बाद प्रमोशन के लिए अप्लाई कर रहे हैं ,
वहीं 12 कॉलेजों में परमानेंट अपॉइंटमेंटस तो दूर इन कॉलेजों में रोस्टर व परमानेंट अपॉइंटमेंटस के लिए पदों का विज्ञापन भी नहीं निकाला गया । एसी /ईसी चुनाव के मद्देनजर जब इन कॉलेजों के शिक्षकों से मंगलवार को अदिति कॉलेज , दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज , महाराजा अग्रसेन कॉलेज , भीमराव अंबेडकर कॉलेज , आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज के शिक्षकों से वोट की मांग की गई तो शिक्षकों में गुस्सा नजर आया । उनका कहना है कि दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज शिक्षकों के साथ स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया में सौतेला व्यवहार क्यों किया गया ? जहाँ एक दशक से अधिक से शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं हुई हैं । इसी तरह से मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों के साथ नियुक्ति , पदोन्नति के अलावा कई मांग है जिन्हें सरकार ने पूरा नहीं किया । उनका कहना है कि क्या हम विश्वविद्यालय का हिस्सा नहीं है ? डॉ.हंसराज सुमन , डॉ.अमित सिंह व साथियों ने सरकार के इन कॉलेजों का दौरा किया तो शिक्षकों का गुस्सा जायज लगा । फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ, हंसराज सुमन को इन्होंने अपनी समस्याएं बताई ,और कहा कि हमेशा सैलरी विलंब से आती है । मेडिकल बिल , एलटीसी बिल समय पर किलियर नहीं होते आदि ।

फोरम के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध लगभग 55 कॉलेजों में पिछले दो वर्षों में 4800 सहायक प्रोफेसर की स्थायी नियुक्ति हो चुकी है लेकिन दिल्ली सरकार से पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्ति न किए जाने से इन कॉलेजों में पढ़ा रहे लगभग 600 एडहॉक शिक्षकों में गहरा रोष व्याप्त है । फोरम ने हाल ही में दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में दौरा किया तो शिक्षकों का कहना है कि सरकार के ही 5 फीसदी अनुदान प्राप्त 20 अन्य कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति हो सकती है तो 12 कॉलेजों के साथ यह अन्याय क्यों ? बता दें कि सरकार के चार कॉलेज दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज , आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज , भाष्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंस व अदिति महाविद्यालय ने अपने यहाँ सहायक प्रोफेसर के पदों के विज्ञापन निकाले गए थे बाकी 8 कॉलेजों ने अभी तक शिक्षकों के पदों को भरने संबंधी विज्ञापन न निकाले जाने के कारण वहाँ पढ़ा रहे एडहॉक टीचर्स में सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन को लेकर गुस्सा फूट रहा है ।

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि जब उन्होंने 6 फरवरी 2025 को होने वाले ईसी / एसी के चुनाव संबंधी सरकार के इन कॉलेजों का दौरा किया तो एडहॉक शिक्षकों में गुस्सा ,चिंता और असमंजस की स्थिति नजर आई । वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित है कि यहाँ पर सहायक प्रोफेसर की स्थायी नियुक्ति कब होगी ? हम कब परमानेंट होंगे ? दूसरे कॉलेजों में परमानेंट के बाद उनकी प्रमोशन भी होने लगी है और हम एडहॉक ही हैं ? यह सिलसिला कब तक चलेगा । बहुत से शिक्षकों ने कहा कि दिल्ली सरकार की नीति शिक्षकों के खिलाफ है , उनका उच्च शिक्षा का मॉडल फेल है । कुछ शिक्षक गुस्से में नजर आएं कि ईसी /एसी चुनाव सरकार की पार्टी के टीचर्स वोट मांगने आएंगे तो उन्हें भगाएंगे । उनका कहना है कि वे पिछले एक दशक से पढ़ा रहे हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकांश कॉलेजों में 80 फीसदी शिक्षकों के पद भरे जा चुके है लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक अपने यहाँ स्थायी सहायक प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं की। इन कॉलेजों में लगभग 600 शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति की जानी है । एडहॉक शिक्षकों की इस मांग को लेकर फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को कई बार लिखा है । दिल्ली सरकार से पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में भी सहायक प्रोफेसर के पदों पर जल्द से जल्द स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कराए ताकि विश्वविद्यालय से एडहॉकइज्म ( तदर्थवाद ) समाप्त हो और इन कॉलेजों के शिक्षकों में भी स्थायित्व हो ।

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार से पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेज है । इन कॉलेजों में पिछले एक दशक से स्थायी सहायक प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति नहीं हुई थीं । उन्होंने बताया है कि सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षकों के स्थान पर गेस्ट टीचर्स लगाए जा रहे हैं । इन कॉलेजों एडहॉक व गेस्ट टीचर्स की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है । उन्होंने बताया है कि इन कॉलेजों में लगभग 600 पदों पर सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्ति की जानी है । बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले दो साल से डीयू से संबद्ध कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है जिसमें लगभग 55 से अधिक कॉलेजों ने अपने यहाँ स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली है । उन्होंने बताया है कुछ कॉलेज तो अब सहायक प्रोफेसर की ओबीसी कोटे की सेकेंड ट्रांच के पदों को भर रहे हैं मगर दिल्ली सरकार से पूर्ण वित्त पोषित इन कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति कब होगी यह डर शिक्षकों को सता रहा है ? उनका कहना है कि स्थायी नियुक्ति के समय उन्हें बाहर निकाल दिया गया तो वे इतनी उम्र में कहाँ जाएंगे ?

डॉ. सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेज है । चार कॉलेज पहले ही विज्ञापन निकाल चुके है । 8 कॉलेज जिन्होंने अभी तक सहायक प्रोफेसर के विज्ञापन नहीं निकाले है उनमें –भीमराव अंबेडकर कॉलेज , महाराजा अग्रसेन कॉलेज , महर्षि वाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन , केशव महाविद्यालय , भगिनी निवेदिता कॉलेज , इंदिरा गांधी फिजिकल एजुकेशन एंड साइंस कॉलेज , शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्ट्डीज , शहीद राजगुरू कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंस आदि कॉलेज है। डॉ.सुमन ने यह भी बताया है कि पिछले सप्ताह उन्होंने दिल्ली सरकार के कुछ कॉलेजों का दौरा किया । वहाँ के शिक्षकों में सहायक प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति न होने के कारण उहापोह की स्थिति में जी रहे हैं कि कब स्थायी नियुक्ति होंगी ? उनका कहना है कि पिछले दो साल में कुछ कॉलेजों में एक बार शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति होने पर प्रिंसिपलों ने दूसरी बार फिर से ओबीसी सेकेंड ट्रांच ( ओबीसी दूसरा विस्तार ) के पदों को निकालकर भरना शुरू कर दिया है लेकिन दिल्ली सरकार ने अपने यहाँ नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना तो दूर विज्ञापन भी नहीं निकाले । यहाँ के शिक्षक अपने भविष्य को लेकर चिंतित है , इनमें बहुत से शिक्षक तो 40 और 50 साल की उम्र पार कर चुके है ,यदि वे यहाँ स्थायी नहीं हुए तो कहां जाएंगे , उन्हें यह चिंता सता रही है ?

डॉ.सुमन का यह भी कहना है कि दिल्ली सरकार के 32 कॉलेजों में से पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में से चार कॉलेज भाष्कराचार्य कॉलेज , दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज व आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज व अदिति महाविद्यालय ने अपने यहाँ स्थायी सहायक प्रोफेसरों के पदों का विज्ञापन निकाल दिए है । इन कॉलेजों के विज्ञापन आने के बाद अन्य कॉलेजों ने अपना रोस्टर तैयार किया हुआ है । यदि यहाँ के कॉलेज की गवर्निंग बॉडी चाहे तो विज्ञापन जल्द आ सकते हैं । डॉ. सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों में से बहुत से एडहॉक टीचर्स स्थायी होकर दूसरे कॉलेजों में जा चुके है । कॉलेजों ने एडहॉक टीचर्स के स्थान पर गेस्ट टीचर्स लगा लिए है जहाँ वर्कलोड बढ़ रहा है उसके स्थान पर गेस्ट टीचर्स लगा रहे हैं । ये कॉलेज एडहॉक व गेस्ट टीचर्स के सहारे पर चल रहे हैं । उन्होंने डूटा से मांग की है कि दिल्ली सरकार के जिन चार कॉलेजों ने इन पदों को भरने के विज्ञापन निकाल दिए है उन कॉलेजों में जल्द से जल्द स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कराए तथा जिन आठ कॉलेजों ने विज्ञापन नहीं निकाले है ऐसे कॉलेजों को नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए विज्ञापन निकालने के लिए प्रिंसिपलों को सर्कुलर जारी कराएं । ताकि कॉलेजों से पूरी तरह एडहॉकइज्म समाप्त किया जा सकें । उनका कहना है एडहॉकइज्म के साथ- साथ गेस्ट टीचर्स भी लगातार बढ़ रहे हैं ।

डॉ. हंसराज सुमन