संसद की एक स्थायी समिति ने उड़ान टिकट रद किए जाने की स्थिति में एयरलाइनों द्वारा यात्रियों से लिए जाने वाले शुल्क में एकरूपता नहीं होने पर अप्रसन्नता व्यक्त की है और कहा कि इसके लिए एक ऊपरी सीमा तय किए जाने की जरूरत है।परिवहन, पर्यटन और संस्कृति मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने संसद के दोनों सदनों में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘एक बार फिर समिति का ध्यान देश में संचालित निजी एयरलाइनों द्वारा उड़ान का टिकट रद किए जाने की स्थिति में लिए जाने वाले अधिक शुल्क की ओर गया है।’
रिपोर्ट के अनुसार, समिति रेखांकित करती है कि यह समय उड़ान का टिकट रद किए जाने की स्थिति में लिए जाने वाले शुल्क को तर्कसंगत बनाने का है और यात्रियों से लिए जाने वाले इस शुल्क की ऊपरी सीमा भी तय की जाए। समिति ने इस संबंध में अपनी 276वीं रिपोर्ट में की गई सिफारिश को भी दोहराया जिसमें टिकट रद होने की स्थिति में बेस किराये से 50 फीसद अधिक शुल्क लिए जाने पर रोक की जरूरत बताई गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ईंधन अधिभार पर लिया जाने वाला कर यात्रियों द्वारा उड़ान टिकट रद किए जाने की स्थिति में उन्हें लौटाया जाना चाहिए।’ समिति ने उम्मीद जताई कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय यात्रियों के हितों को ध्यान में रखते हुए एयरलाइनों को यह कदम उठाने के लिए समझाएगा।