भारत-चीन बॉर्डर पर सेना-सरकार का एक जैसा रुख:विदेश मंत्रालय बोला- बयान में अंतर नहीं; आर्मी चीफ बोले थे- LAC पर स्थिति संवेदनशील

भारत-चीन बॉर्डर पर मौजूदा स्थिति को लेकर विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि इस मुद्दे पर आर्मी चीफ और सरकार का रुख एक जैसा ही है।

दरअसल आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 13 जनवरी को कहा था कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (चीन सीमा) पर स्थिति संवेदनशील है, लेकिन कंट्रोल में है।

इस टिप्पणी को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सेना प्रमुख ने जो कहा है और हमने जो रुख अपनाया है, उसके बीच हमें कोई विरोधाभास नहीं दिखता।

विदेश मंत्रालय बोला- LAC पर तनाव कम करने का काम जारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल शुक्रवार को प्रेस ब्रीफिंग कर रहे थे। जनरल द्विवेदी के हालिया बयानों के बारे में पूछे जाने पर, जायसवाल ने कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर सेना और विदेश मंत्रालय एक ही पृष्ठभूमि पर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर भी संसद में कह चुके हैं कि, LAC पर तनाव कम करने का काम अभी भी जारी है।

अब जानिए आर्मी चीफ ने चीन बॉर्डर और LAC पर सिचुएशन पर क्या कहा था… जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 13 जनवरी को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान देश की सभी सीमाओं पर सुरक्षा को लेकर चर्चा की थी। उन्होंने चीन बॉर्डर, म्यांमार बॉर्डर के अलावा मणिपुर हिंसा को लेकर आर्मी की तैयारियों के बारे में बताया।

  • LAC पर स्थिति संवेदनशील है, लेकिन सिचुएशन अंडर कंट्रोल है। अक्टूबर 2024 में पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में LAC पर विवाद की स्थिति सुलझ गई है। इन दोनों इलाकों में अब पेट्रोलिंग भी शुरू हो गई है।
  • मैंने अपने सभी को-कमांडर्स को पेट्रोलिंग के संबंध में जमीनी स्तर पर स्थिति पर नजर रखने के लिए कहा है। इन मुद्दों को सैन्य स्तर पर ही हल किया जा सकता है। LAC पर हमारी तैनाती बैलेंस्ड और मजबूत है। हमने उत्तरी सीमा पर अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाते हुए स्पेशल टैक्नोलॉजी को शामिल किया है।
  • भारतीय नौसेना हमारे साथ पैंगोंग सो लेक पर बड़े पैमाने पर काम कर रही है। उनकी स्पेशल फोर्स जम्मू-कश्मीर और अन्य स्थानों पर हमारे साथ काम कर रही है। इसमें डीप डाइवर्स भी शामिल हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर ने संसद में क्या कहा था विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 3 दिसंबर को भारत-चीन सीमा विवाद पर संसद को जानकारी दी थी। विदेश मंत्री ने सदन में कहा था कि भारत और चीन बातचीत और कूटनीति के जरिए सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट हो चुका है। हालांकि LAC पर अभी भी कई इलाकों में विवाद है। भारत का मकसद ऐसा समाधान निकालना है, जो दोनों देशों को मंजूर हो।

उन्होंने कहा, ‘2020 के बाद से भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हैं। बॉर्डर पर शांति भंग हुई थी, तब से दोनों देशों के रिश्ते ठीक नहीं हैं। हालांकि हाल ही में हुई बातचीत से स्थिति में कुछ सुधार हुआ है।’

विदेश मंत्री बोले- 2 साल में 38 बैठकें हुईं, हर स्तर पर बातचीत हुई

  • बातचीत, प्रयास और कूटनीति: विदेश मंत्री ने बताया कि भारत और चीन के बीच रिश्ते बेहतर करने के लिए मेरी चीनी विदेश मंत्री से बातचीत हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने समकक्ष चीनी नेता से बातचीत की। इसके अलावा राजनयिक स्तर पर वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कोऑपरेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) और सैन्य स्तर पर सीनियर हाईएस्ट मिलिट्री कमांडर्स (SHMC) बैठकें होती हैं। जून 2020 से अब तक WMCC की 17 और SHMC की 21 बैठकें हुईं, तब जाकर 21 अक्टूबर 2024 को देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों पर समझौता हुआ। सितंबर 2022 से इन मुद्दों पर चर्चा चल रही थी, जब हॉट स्प्रिंग्स पर अंतिम समझौता हुआ था।
  • चीन की चुनौती का मजबूती से सामना: जून 2020 की गलवान झड़प में 45 साल बाद पहली बार सैनिकों की जान गई और सीमा पर भारी हथियार तैनात हुए। भारत ने इस चुनौती का मजबूती से सामना किया।
  • गलवान झड़प ने रिश्ते बिगाड़े: ‘2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन ने सीमा के पास बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए, जिससे दोनों देशों के सैनिकों के बीच तनाव बढ़ा। यह स्थिति भारतीय सेना की गश्ती में रुकावट बनी। हालांकि हमारी सेना ने इस चुनौती का मजबूती से सामना किया।’ इसने हमारे प्रयासों को गंभीर नुकसान पहुंचाया और दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा प्रभाव डाला।
  • पहले सारे समझौते असफल रहे: 1988 से भारत-चीन ने सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने और शांति बनाए रखने के लिए कई समझौते किए। 1993, 1996 और 2005 में शांति और विश्वास बहाली के उपाय किए गए। चीन ने 1962 के युद्ध में अक्साई चिन के 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। इसके अलावा 1963 में पाकिस्तान ने 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन चीन को सौंप दी थी।’

भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चार साल से सीमा विवाद को लेकर तनाव था। दो साल की लंबी बातचीत के बाद इसी साल अक्टूबर में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके बाद दोनों देशों की सेनाएं देपसांग और डेमचोक से पीछे हट गई हैं।

समझौते के मुताबिक दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहली की स्थिति में वापस लौट गई हैं। सेनाएं अब उन्हीं क्षेत्रों में गश्त कर रही हैं, जहां अप्रैल 2020 से पहले किया करती थीं। इसके अलावा कमांडर लेवल मीटिंग अब भी जारी है।

2020 में भारत-चीन के सैनिकों के बीच गलवान झड़प के बाद से देपसांग और डेमचोक में तनाव बना हुआ था। करीब 4 साल बाद 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच नया पेट्रोलिंग समझौता हुआ। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया था कि इसका मकसद लद्दाख में गलवान जैसी झड़प को रोकना और पहले जैसे हालात बनाना है।