सनातन बोर्ड मुद्दे पर अलग-थलग पड़े देवकीनंदन:धर्म संसद में किसी भी अखाड़े ने नहीं की शिरकत, श्रेय की होड़ में फंस सकता है गठन

महाकुंभ में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की ओर से आयोजित धर्म संसद में 13 अखाड़ों का कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा। सनातन बोर्ड के गठन मुद्दे पर देवकीनंदन ठाकुर अलग-थलग पड़ गए हैं।

यही नहीं, चारों प्रमुख शंकराचार्य भी धर्म संसद में शामिल नहीं हुए। राजनीतिक विश्लेषकों और अखाड़ों से जुड़े लोगों का मानना है कि सनातन बोर्ड का मुद्दा अब श्रेय की लड़ाई में फंस गया है। केंद्र सरकार बोर्ड का गठन कर किसी एक व्यक्ति को श्रेय नहीं देना चाहेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है- अखाड़े और शंकराचार्य भी बोर्ड के मुद्दे पर एक कथावाचक को इतना बड़ा श्रेय लेने नहीं देंगे। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर लंबे समय से देश में सनातन बोर्ड के गठन की मांग कर रहे हैं। देवकीनंदन ने इसको लेकर यात्रा भी निकाली, संत समाज से भी समर्थन मांगा।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज का कहना है- सबसे पहले वक्फ बोर्ड समाप्त हो, उसके बाद सनातन बोर्ड की हम बात करेंगे। 13 अखाड़ों की सहमति की बात है तो कुछ सहमत हैं, कुछ सहमत नहीं।कल गृहमंत्री अमित शाह आए थे। पूरे दिन मैं उनके साथ था। करोड़ों की भीड़ होने से बहुत से साधु-संत वहां नहीं जा पाए।

धर्म संसद में हिंदू बोर्ड अधिनियम का मसौदा पेश हुआ सोमवार को प्रयागराज में देवकीनंदन ठाकुर की पहल पर धर्म संसद में सनातन हिंदू बोर्ड अधिनियम का मसौदा भी पेश किया गया, जिसे सनातन हिंदू बोर्ड अधिनियम नाम दिया गया। इसमें बोर्ड के केंद्रीय मंडल, सहयोगी मंडल और सलाहकार मंडल का खाका भी पेश किया गया। साथ ही राज्य स्तर पर सनातन बोर्ड समिति के गठन की बात कही गई है।

इसी मुद्दे पर होगा विवाद बोर्ड में मंदिर निधि एवं संपत्ति समिति के गठन का प्रस्ताव दिया है। यह समिति सभी मंदिरों की जमा पूंजी और संपत्तियों का प्रबंधन करेगी। संपत्ति के वितरण और आवंटन का कार्य भी करेगी। जानकार मानते हैं कि इसी मुद्दे पर अखाड़ा और शंकराचार्य साथ नहीं आएंगे। सभी अखाड़ों और शंकराचार्य के पास मंदिर हैं, मंदिरों के पास करोड़ों की जमा पूंजी और संपत्ति है। ऐसे में कोई भी बड़ा संत, महंत, धर्मगुरु, अखाड़ा नहीं चाहेगा कि उनके मंदिर पर किसी का नियंत्रण हो।

सनातन बोर्ड का गठन होना चाहिए निर्मोही अखाड़े के अखिल भारतीय अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास का कहना है कि महाकुंभ में तो कई धर्म संसद चलती रहती हैं। जूना अखाड़े के अपने भी कार्यक्रम प्रतिदिन चल रहे हैं। लेकिन वह मानते हैं कि किसी के मांगने से नहीं बल्कि केंद्र सरकार को खुद ही सनातन बोर्ड का गठन करना चाहिए।

महंत राजेंद्र दास का कहना है कि

जब मुसलमानों के लिए वक्फ बोर्ड है तो हिंदुओं के लिए सनातन बोर्ड भी गठित होना चाहिए।

आरएसएस भी पक्ष में नहीं सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस (संघ) भी सनातन बोर्ड गठन के पक्ष में नहीं है। संघ भी नहीं चाहता कि सनातन या हिंदुत्व के मुद्दे पर उनके समानांतर किसी बड़ी सरकारी संस्था का गठन हो। राष्ट्रवाद के मुद्दे के बाद अब संघ का पूरा फोकस सनातन पर ही है।

सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर संघ के पदाधिकारी भी सनातन के जरिए हिंदुओं को एकजुट करने में ताकत लगा रहे हैं। भाजपा और आरएसएस ने सनातन के मुद्दे को धार दी है, उसका असर दिखाई भी दे रहा है। ऐसे में कथावाचक या कुछ संतों की पहल पर सनातन बोर्ड गठित कर इतना बड़ा मुद्दा उनके हाथ नहीं देना चाहता है।

सरकार इसलिए नहीं है साथ अखाड़े से जुड़े एक प्रतिनिधि ने बताया कि सनातन बोर्ड के जरिए सभी धार्मिक स्थलों का अधिकार सरकार से धार्मिक संस्थाओं के हाथ में चला जाएगा। वर्तमान में देश में वैष्णोदेवी, तिरुपति बालाजी, सांवलिया सेठ चित्तौड़गढ़, शिरडी साईं बाबा सहित कई ऐसे बड़े मंदिर हैं जहां हर महीने करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है।

इन सहित तमाम बड़े मंदिर जो अभी सरकार या सरकार के अधीन संचालित किसी ट्रस्ट के अधिकार में है। उनका नियंत्रण सनातन बोर्ड को चला गया तो इससे कई नए विवाद जन्म ले सकते हैं।

सरकार को अधिकार नहीं कि भगवान का भोग तय करे सनातन धर्म संसद में इस पर चर्चा हुई कि तिरुपति बालाजी से हर साल 500 करोड़ रुपए सरकार को जाते हैं। साधु संतों ने कहा- मंदिर का पैसा सरकार को क्यों जाना चाहिए? ये पैसा मंदिर की गोशाला, गुरुकुल और औषधालय पर खर्च होना चाहिए। सरकार या अधिकारी को ये अधिकार नहीं कि वो भगवान का भोग तय करेंगे, इसलिए साधु संत चाहते हैं कि मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटना चाहिए।

रविंद्र पुरी महाराज बोले- पहले वक्फ बोर्ड समाप्त हो

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा- सबसे पहले वक्फ बोर्ड समाप्त हो, उसके बाद सनातन बोर्ड की हम बात करेंगे। मेरी महामंडलेश्वरों और धर्माचार्यों से बात हुई। सबने यही माना कि पहले वक्फ बोर्ड समाप्त हो। जहां तक 13 अखाड़ों की सहमति की बात है तो कुछ सहमत हैं, कुछ सहमत नहीं। वक्फ बोर्ड कैसे समाप्त होगा, हमें पहले इस पर काम करना होगा। उन्होंने कहा- कल गृहमंत्री अमित शाह आए थे। पूरे दिन मैं उनके साथ था, गृह मंत्री के साथ स्नान किया, भोजन किया। इसके अलावा मेला क्षेत्र में भारी भीड़ होने से भी बहुत से लोगों को आने-जाने में दिक्कतें हो रही हैं। करोड़ों की भीड़ होने से बहुत से साधु-संत वहां नहीं जा पाए। हमें पहले ये देखना है कि जिस महाकुंभ के लिए आए हैं, वो पहले अच्छे से संपन्न हो।

सनातन बोर्ड गठित करने पर सरकार विचार करेगी-भाजपा भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेयी का कहना है कि संत और कथावाचक सनातन बोर्ड गठित करने की मांग कर रहे हैं। सरकार उस पर विचार करेगी। भाजपा और योगी-मोदी सरकार सनातन को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। विरासत का सम्मान और संस्कृति का संरक्षण भी मोदी-योगी सरकार में अभूतपूर्व हुआ है।

संत बना सकते हैं सनातन बोर्ड

वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी का कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कोई सरकारी संस्था नहीं है। संत और कथावचक चाहें तो खुद का सनातन बोर्ड बना सकते हैं, वह अपने समाज की संस्था बनाने के लिए स्वतंत्र हैं। मुसलामानो को गिफ्ट की गई संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था। वक्फ बोर्ड का नियंत्रण सरकार के हाथ में था। मंदिर और मंदिरों की संपत्ति को सनातन बोर्ड में लाने का पंडे और पुजारी ही विरोध करेंगे।

आरएसएस ने सनातन बोर्ड गठन की मांग नहीं की

आरएसएस विचारक अशोक सिन्हा का कहना है कि आरएसएस सनातन बोर्ड गठन की मांग नहीं कर रहा है। आरएसएस तो वक्फ बोर्ड को ही समाप्त करने की मांग कर रहा है। इसलिए यह संभव नहीं है कि संघ सनातन बोर्ड गठन का समर्थन करे। आरएसएस ने मंदिरों का नियंत्रण और व्यवस्था समिति या पुजारियों को देने की मांग अवश्य की है। क्योंकि संघ मानता है कि मंदिरों का संचालन सरकार का काम नहीं है।