निर्मला सीतारमण ने मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ी पहनी:पद्मश्री दुलारी देवी ने दो महीने पहले गिफ्ट की थी, कहा था- बजट के दिन पहनना

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ देर में 8वीं बार देश का बजट पेश करेंगी। इससे पहले बजट 2025 के साथ वित्त मंत्री की पहली तस्वीरें सामने आईं।

इस बार वित्त मंत्री सीतारमण ने क्रीम कलर की मधबुनी पेंटिंग वाली साड़ी पहनी। इसका गोल्डन बॉर्डर है। यह साड़ी उन्हें बिहार में रहने वाली पद्मश्री विजेता दुलारी देवी ने गिफ्ट की थी। दरअसल 2 महीने पहले वित्त मंत्री क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम में मधुबनी आईं थी। तब दुलारी देवी ने उन्हें ये साड़ी भेंट में दी थी।

कहा जा रहा है कि दुलारी देवी ने साड़ी गिफ्ट देते समय वित्त मंत्री ने कहा था कि बजट वाले दिन इसे पहनें। आज हाफ शोल्डर रेड ब्लाउज के साथ वित्त मंत्री ने वही साड़ी पहनी।

इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ी को इससे जोड़ा देखा जा रहा है।

चर्चा में रहती है वित्त मंत्री की साड़ी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपनी साड़ियों को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। खासकर वे साड़ी जो वे बजट पेश करने के दौरान पहनती हैं। वे बजट पेश करने के दौरान लाल, नीली, पीली, भूरी और ऑफ-व्हाइट साड़ी पहन चुकी हैं। ये साड़ियां भारतीय संस्कृति और विरासत का प्रतिनिधित्व करती हैं।

कुछ ऐसा है निर्मला सीतारमण का साड़ी कलेक्शन

  • 2019- अपने पहले बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने गुलाबी रंग की मंगलगिरी साड़ी पहनी थी, जिसका बॉर्डर सुनहरे रंग का था। गुलाबी रंग स्थिरता और गंभीरता का प्रतीक है। इस बजट में उन्होंने देश के हथकरघा और कढ़ाई उद्योग को बढ़ावा देने वाली कई घोषणाएं की थीं।
  • 2020- बजट के दौरान सीतारमण ने पीली रेशम की साड़ी पहनी थी, जिस पर हरे रंग की लाइन वाला किनारा था। पीला रंग आनंद और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, और यह भारतीय समृद्धि व संस्कृति को दर्शाता है।
  • 2021- निर्मला ने तेलंगाना की पारंपरिक साड़ी पोचमपल्ली इक्कत पहनी थी, जिसकी बुनाई हाथों से की जाती है। लाल और ऑफ-व्हाइट के इस मिक्स्ड डिजाइन ने विकास को दर्शाया है। इस साड़ी को पहनकर देश को विकास का रास्ता दिखाया था।
  • 2022- निर्मला सीतारमण ने ओडिशा की बोमकाई साड़ी पहनी थी। इस साड़ी का रंग भूरा था, जिसमें मरून और सफेद रंग के बॉर्डर था। इस साड़ी को सीतारमण ने शिल्पकारों के प्रति अपनी प्रशंसा को उजागर करने के लिए पहना था।
  • 2023- निर्मला सीतारमण ने गहरे लाल रंग की साड़ी पहनी थी। इस साड़ी में काले रंग और सुनहरे रंग के बॉर्डर पर रथ, मोर और कमल के डिजाइन बने थे। जो वास्तुकला की विरासत का प्रतीक है।
  • 2024 के अंतरिम बजट पर निर्मला सीतारमण ने पश्चिम बंगाल की नीली कांथा सिलाई साड़ी पहनी थी। यह साड़ी कंथा सिलाई और फूलों जैसे पैटर्न से डिजाइन की गई थी। इस साड़ी को बंगाली शिल्पकारों के कौशल को दर्शाने के लिए किया गया था।
  • 2024- निर्मला सीतारमण ने बजट के दिन मैजेंटा बॉर्डर वाली खूबसूरत ऑफ व्हाइट मंगलागिरी साड़ी पहनी थी। यह आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले की साड़ी है, जो अपनी सादगी के लिए मशहूर है।

जानिए कौन हैं दुलारी देवी

बिहार के मधुबनी जिले में एक छोटे से गांव रांटी में रहती हैं दुलारी देवी। 57 साल की दुलारी देवी को 2021 में पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। मधुबनी पेंटिंग में इनके योगदान को लेकर केंद्र सरकार ने दुलारी देवी को ये सम्मान दिया था।

2021 में भास्कर से बात करते हुए दुलारी देवी ने कहा था, ‘पिताजी मछुआरे थे। कम उम्र में ही चल बसे। मां मजदूरी करके हमें पालने लगीं। बचपन से ही मैं, मेरी तीन बहनें और भाई मां के साथ काम पर जाने लगे। इसलिए स्कूल जाने का कभी मौका ही नहीं मिला।’

महज 12 साल की उम्र में दुलारी देवी की शादी हो गई थी। बेटी हुई तो 6 महीने बाद ही उसकी मौत हो गई। इसके बाद ससुराल में अनबन हो गई और दुलारी देवी ससुराल छोड़कर अपने घर चली आईं। फिर वे पड़ोस में ही रहने वाली महासुंदरी देवी के घर काम करने लगीं। महासुंदरी देवी मिथिला पेंटिंग करती थीं। सरकार ने साल 2011 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया था।

महासुंदरी देवी से सीखी कला

दुलारी देवी ने बताया था, ‘मैं महासुंदरी देवी के घर सब काम करती थी। जैसे, झाड़ू लगाना, बर्तन धोना, पोंछा लगाना, कपड़े धोना। बाहर से कोई सामान लाना हो या सफाई करना हो। जो भी आदेश होता था, वो काम करती थी।’

‘जब मौका मिलता था मैं लकड़ी के कूचे से जमीन पर ही पेंटिंग बनाने लगती थी। लकीरें खींचने का बहुत शौक था। कभी किचन में काम करती रहती थी तो वहां भी पानी की लकीरें बनाने लगती थी। महासुंदरी देवी ने मुझे ऐसा करते देख लिया था। वो समझ गई थी कि मेरी पेंटिंग में रुचि है। उन्हीं के घर में रहते हुए मैं कर्पूरी देवी के संपर्क में आई, जो बहुत प्रसिद्ध मिथिला पेंटर रही हैं। मेरी रुचि को देखते हुए उन्होंने मुझे गाइड करना शुरू कर दिया। बाद में वो मेरी मां जैसी बन गईं।’