हरियाणा के युवकों को डंकी रूट से अमेरिका भेजने वाले एजेंटों पर पुलिस का एक्शन शुरू हो गया है। पुलिस ने करनाल के आकाश और सुमित की शिकायत पर 3 एजेंटों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है।
इन पर फ्रॉड और इमिग्रेशन एक्ट लगाया गया है। आकाश और सुमित हरियाणा के उन्हीं 33 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें अमेरिका से 5 फरवरी को US एयरफोर्स के जहाज में हाथ-पैर जंजीरों से बांधकर जबरन अमृतसर एयरपोर्ट भेजा गया था।
पुलिस को जांच में पता चला कि इन 33 लोगों से एजेंटों करीब 15 करोड़ रुपए ठगे हैं। जिसमें उन्हें अमेरिका में जॉब तक का झांसा दिया गया। हालांकि लगभग सभी मैक्सिको बॉर्डर से दीवार पार कर अमेरिका में पहुंचते ही अरेस्ट हो गए।
भाई बोला- जालंधर के ट्रैवल एजेंट रॉकी ने लिए थे रुपए
करनाल के कालरम गांव के शुभम ने बताया कि उसका छोटा भाई आकाश दिल्ली घूमने गया था, जहां उसकी मुलाकात संदीप नामक युवक से हुई। संदीप ने उसे एक एजेंट का नंबर दिया, जिसने खुद को जालंधर का रहने वाला रॉकी बताया। एजेंट ने आकाश को अमेरिका भेजने के लिए 42.50 लाख रुपए की मांग की।
शुभम ने बताया कि चार किश्तों में यह रकम दी। पहली किश्त 7.50 लाख बसताड़ा टोल टैक्स के पास, दूसरी 10 लाख कुटेल पुल के नीचे, तीसरी 20 लाख बसताड़ा पुल के पास और चौथी 5 लाख की किस्त गांव के अड्डे पर दी। 25 जनवरी की रात अमेरिका पहुंचते ही पुलिस ने आकाश को गिरफ्तार कर लिया और 26 जनवरी को कैंप में डाल दिया। 5 फरवरी को उसे भारत भेज दिया गया।
शुभम ने मधुबन थाने में एजेंट रॉकी और उसके साथी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद IPC की धारा 406, 420 और इमिग्रेशन एक्ट की धारा 24 के तहत मामला दर्ज किया गया है। मधुबन थाना के जांच अधिकारी लछमन सिंह ने कहा कि जल्द ही एजेंट को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
एजेंट ने आकाश को 7 महीने में पहुंचाया था अमेरिका
आकाश ने बताया कि वह 20 जून 2024 को दिल्ली पहुंचा। एक महीने यहीं रोका गया। फिर मुंबई भेजा गया, वहां 2 महीने रखा गया। मुंबई से वह फ्लाइट के जरिए ब्राजील गया, जहां उसे एक महीना रहना पड़ा। इसके बाद वह बोलीविया पहुंचा। यह बहुत महंगा देश था, इसलिए यहां उसे सिर्फ 5-6 दिन ही रखा गया।
फिर वह ग्वाटेमाला गया, जहां उसे एक महीना लगा। उसके बाद पनामा के जंगलों से गुजरना पड़ा, जिसमें 7 दिन लगे। पनामा के बाद वह होंडुरस पहुंचा, जहां 15 दिन रुका। फिर साउथ अमेरिका में 10 दिन रहना पड़ा। अंत में वह मेक्सिको पहुंचा, जहां उसे करीब 35 दिन तक रोका गया। आखिरकार 25 जनवरी 2025 की रात को 12 बजे वह अमेरिका की सीमा पार कर गया। जहां उसी दिन उसे गिरफ्तार कर डिटेंशन सेंटर में रख दिया गया।
कैदियों की तरह जबरन वापस भेजा
आकाश ने बताया कि वह अमेरिकी डिटेंशन सेंटर में थे। वहां से उन्हें अचानक 2 बसों में दूसरे लोगों के साथ ठूंस दिया गया। उसे लगा कि वेलकम ऑफिस ले जाकर छोड़ देंगे लेकिन उन्हें अमेरिकी एयरबेस पर ले जाया गया।
वहां बस से उतारकर लाइन में खड़ा किया गया। पूरा चेहरा मास्क से ढक दिया। इसके बाद हाथ-पैर और गले में बेड़ियां डाल दी गईं। हमें ऐसे ट्रीट किया जा रहा था, जैसे हम बहुत बड़े क्रिमिनल हों। प्लेन के अंदर बेड़ियों के साथ ही बैठाया गया। किसी को पेशाब करने के लिए भी जाना होता तो पहले हाथ ऊंचा करना पड़ता। इसके बाद सैनिक आते और वॉशरूम तक लेकर जाते।
सुमित बोला- डेढ़ एकड़ जमीन एजेंट के नाम की, दाखिल होते ही पकड़े गए
सुमित ने बताया कि बेरोजगारी के चलते उसने अमेरिका जाने का फैसला किया था। गांव के विक्रम सिंह ने उसे प्रदीप राणा नामक व्यक्ति से मिलवाया, जिसने अमेरिका भेजने के बदले 40 लाख रुपए मांगे।
सुमित ने बताया कि उसने 8 लाख रुपए नकद दिए और अपनी 1.5 एकड़ जमीन का बयाना एजेंट के नाम कर दिया। एजेंट ने उसे गैरकानूनी तरीके से अमेरिका भेजा। 25 जनवरी को जब वह मैक्सिको से अमेरिका में दाखिल हुआ तो बॉर्डर पर अमेरिकी आर्मी ने उसे पकड़ लिया और हिरासत में डाल दिया।
5 फरवरी को उसे भी भारत डिपोर्ट कर दिया गया। सुमित ने असंध थाने में विक्रम और प्रदीप के खिलाफ केस दर्ज कराया। पुलिस ने धारा 316(2), 318(4) और इमिग्रेशन एक्ट 24 के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। असंध थाना के जांच अधिकारी पवन कुमार का कहना है कि आरोपी एजेंटों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जल्द ही उनको गिरफ्तार किया जाएगा।