संसद को सौंपी गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि देश में राष्ट्रीय महत्व के करीब 280 स्मारकों को वक्फ बोर्ड ने अपनी जायदाद घोषित किया हुआ था। इन स्मारकों में ज्यादातर राजधानी दिल्ली में हैं।
इनमें कुतुब मीनार, फिरोजशाह कोटला, पुराना किला, हुमायूं का मकबरा, जहांआरा बेगम की कब्र, कुतुब मीनार क्षेत्र में स्थित आयरन पिलर (लौह स्तंभ), इल्तुतमिश का मकबरा जैसे स्मारक भी वक्फ की संपत्ति हैं।
समिति की सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इन स्मारकों की फेहरिस्त सौंपी थी।
इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय ने कमेटी को बताया कि भूमि एवं विकास विभाग की 108 और डीडीए की 130 संपत्तियां वक्फ के कब्जे में दी गईं। वक्फ ने बाद में इन स्मारकों पर अपना दावा बताया।
एक समय देश में वक्फ बोर्ड की 52 हजार रजिस्टर्ड संपत्तियां थीं। आज 9.4 लाख एकड़ जमीन पर 8.72 लाख अचल संपत्तियां हैं।
नए वक्फ कानून से क्या बदलेगा…
वक्फ संपत्ति उसे कहते हैं, जिसे मुस्लिमों ने धार्मिक या धर्मार्थ के लिए दान दी हो। इसमें रजिस्टर्ड संपत्ति को न बेच सकते हैं न ही उनका स्वामित्व बदल सकते हैं, लेकिन नए कानून से कई चीजें बदलेंगी, जैसे…
- पहले वक्फ अधिनियम, 1995 कहते थे। आगे यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट कहेंगे।
- पहले वक्फ की जमीन पर दावा करने वाला वक्फ ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता था, लेकिन अब वो कोर्ट में भी कर सकेगा।
- पहले ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती नहीं दे सकते थे, लेकिन अब हाईकोर्ट में चुनौती दे सकेंगे।
- पहले जिस जमीन पर मस्जिद या इस्लामिक उद्देश्यों के लिए उपयोग होता हो, वो वक्फ की होती थी। अब दान की ही जमीन वक्फ की होगी, भले ही उस पर मस्जिद हो।
- पहले वक्फ बोर्ड में महिला और गैर धर्म के लोग सदस्य नहीं हो सकते थे। अब दो महिलाओं और 2 गैर मुस्लिम सदस्य रखने होंगे।
- कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं, इसका फैसला राज्य सरकार की ओर से नामित अधिकारी करेगा।
- जो संपत्तियां वक्फ कानून के तहत पहले से रजिस्टर हैं, उन पर असर नहीं। जो रजिस्टर नहीं, वे नए मानकों के अनुरूप रहेंगी।
- जो बोर्ड को जमीन दान करना चाहते हैं, उन्हें बताना होगा कि वे 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहे हैं।
बोर्ड स्मारकों में दुकानें बनाईं, किराया कमाया
ASI ने जेपीसी को ये भी बताया कि वक्फ बोर्ड ने हमें स्मारकों का संरक्षण नहीं करने दिया। वहां मनमर्जी बदलाव किए। पुरातत्व कानून तोड़ा। निजता के नाम पर स्मारकों में हमारी एंट्री बंद की। वहां फोटोग्राफी, गाइड, स्मृति चिह्न बेचने की छूट दी। मूल ढांचे बदलकर निर्माण कराए। दुकानें बनाई और किराए पर दीं।
‘वक्फ’ का मतलब क्या है?
‘वक्फ’ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है रुकना या ठहरना। इस्लाम में वक्फ दान का एक तरीका है, ऐसी संपत्ति जो समाज के लिए समर्पित की गई हो।
अपनी संपत्ति वक्फ को देने वाला इंसान वकिफा कहलाता है। वकिफा दान देते वक्त ये शर्त रख सकता है कि उसकी संपत्ति से होने वाली आमदनी सिर्फ पढ़ाई पर या अस्पतालों पर ही खर्च हो।
27 देशों के वक्फ की संपत्तियों पर काम करने वाली संस्था ‘औकाफ प्रॉपर्टीज इन्वेस्टमेंट फंड’ यानी AIPF के मुताबिक कानूनी शब्दों में कहें तो इस्लाम में कोई व्यक्ति जब धार्मिक वजहों से या ईश्वर के नाम पर अपनी संपत्ति दान करता है तो वो वक्फ कहलाता है। इसमें चल या अचल संपत्ति दोनों हो सकती है।
आमतौर पर वक्फ की संपत्ति या इससे होने वाली आमदनी को शैक्षणिक संस्थाओं, कब्रिस्तानों, मस्जिदों में धर्मार्थ और अनाथालयों में खर्च किया जाता है। वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड कहते हैं।
1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 के नाम से कानून बना
1947 में देश का बंटवारा हुआ तो काफी संख्या में मुस्लिम देश छोड़कर पाकिस्तान गए थे। वहीं, पाकिस्तान से काफी सारे हिंदू लोग भारत आए थे। 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 के नाम से कानून बनाया।
इस तरह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में बदलाव कर हर राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात कही गई।
इस वक्त देश में अलग-अलग प्रदेशों के करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और मैनेजमेंट करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं।
वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की कुल आमदनी कितनी है और इसके पैसे से किसका भला किया गया, उसका पूरा लेखा-जोखा रखना होता है। इनके पास किसी जमीन या संपत्ति को लेने और दूसरों के नाम पर ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार है। बोर्ड किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी नोटिस भी जारी कर सकता है। किसी ट्रस्ट से ज्यादा पावर वक्फ बोर्ड के पास होती है।