वृंदावन में जहां प्रेमानंद महाराज पदयात्रा करते थे, वहां सन्नाटा:2 हजार दुकानदारों का कारोबार चौपट; बोले- अब लोग इस तरफ आते भी नहीं

वृंदावन में प्रेमानंद महाराज बीते 9 दिन से पदयात्रा पर नहीं निकल रहे हैं। श्री कृष्णम शरणम् सोसाइटी से लेकर प्रेमानंदजी के आश्रम तक 2Km लंबे रास्ते पर अब पहले वाली रौनक नहीं है।

पहले यहां 50 हजार से ज्यादा लोग उनके दर्शन के लिए जिस रास्ते पर खड़े होते थे। करीब 2 हजार छोटी-छोटी दुकानें लगती थीं। प्रेमानंद महाराज की तस्वीर, धार्मिक साहित्य, फूल, कंठी-माला बेचकर लोग अपने परिवार चलाते थे। अब दुकानें भी कम हो गई हैं।

कुछ दुकानदार हैं, जो हर रोज वैसे ही अपनी दुकान सजा रहे हैं, जैसे पहले लगाते थे। सड़क पर रंगोली भी सज रही है। इस आस में कि एक दिन प्रेमानंद फिर पदयात्रा शुरू कर देंगे। दुकानदारों का कहना है कि कारोबार चौपट हो चुका है।

पहले जानिए कि प्रेमानंद महाराज को पदयात्रा क्यों अनिश्चित काल के लिए स्थगित करनी पड़ी…

मथुरा में केली कुंज आश्रम ने 6 फरवरी को X पर एक पोस्ट किया। लिखा-

आप सभी को सूचित किया जाता है कि पूज्य महाराज जी के स्वास्थ व बढ़ती हुई भीड़ को देखते हुए, पूज्य महाराज जी, जो पद यात्रा करते हुए रात्रि 2 बजे से श्री हित राधा केलि कुंज जाते थे, जिसमें सब दर्शन पाते थे, वो अनिश्चित काल के लिए बंद किया जाता है।

इस सूचना के बाद प्रेमानंद महाराज के अनुयायी मायूस हो गए। लोगों ने पदयात्रा स्थगित किए जाने की वजह खोजी। पता चला कि एनआरआई ग्रीन अपार्टमेंट सोसाइटी के लोगों ने प्रेमानंद महाराज के रात्रि दर्शन को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था।

इसी सोसाइटी से संत प्रेमानंद महाराज रात 2 बजे पैदल यात्रा करते हुए निकलते थे। सोसाइटी के गेट पर सन्नाटा मिला। जबकि इस समय यहां 2 से 3 हजार लोगों की भीड़ लगी रहती थी। महाराज के जाने से पहले ही उनके सेवादारों का आना-जाना लगा रहता था।

समय : रात 12 बजे स्थान: जगद्गुरु कृपालु हॉस्पिटल तिराहा

सोसाइटी के गेट पर जब कोई नहीं मिला, तब हम वहां से 100 मीटर दूर बने ढाबा, रेस्टोरेंट पर पहुंचे। जगद्गुरु कृपालु हॉस्पिटल तिराहा के पास कई होटल हैं, जहां प्रेमानंद के दर्शन के लिए लोग कमरा बुक करा लेते थे।

अब जबकि पदयात्रा थम गई है, ऐसे में होटल और रेस्टोरेंट के पास कस्टमर भी नहीं हैं। यहां बने फौजी ढाबा पर संत प्रेमानंद महाराज के फोटो लगे थे। यहां ढाबा के मालिक जगदीश सिंह मिले।

हमने पूछा- पदयात्रा थमने के बाद क्या फर्क महसूस कर रहे है? जगदीश सिंह ने बताया- हम संत प्रेमानंद महाराज के भक्त हैं। इस वक्त 12.45 बजे हैं। आप समझिए, इस समय यह पूरा रास्ता लोगों से भरा रहता था। यहां पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी। लेकिन जब से महाराजजी कार से जाने लगे, यहां सन्नाटा हो गया।

हमने पूछा- कारोबार पर कितना असर मानते हैं। वह कहते हैं- मान लीजिए, पहले अगर हमारी दुकानदारी 100 रुपए की होती थी तो अब 10 रुपए की हो रही है।

होटल कारोबारी बोले- बाहर से आकर बसने वालों को राधे-राधे से दिक्कत

यहीं पर हमारी मुलाकात होटल कारोबारी दिनेश ठाकुर से हुई। वह कहते हैं- आप समझिए कि हमारा कारोबार तो खत्म ही हो गया। जो लोग बाहर से आकर रहने लगे थे, उन्हें वृंदावन में राधे-राधे से दिक्कत हो रही है। अब देखिए, उन्होंने ऐसा कर दिया कि यहां सन्नाटा हो गया। हजारों लोगों के कारोबार पर असर है।

समय : रात 1 बजे स्थान : संत प्रेमानंद महाराज का पैदल मार्ग

होटल, ढाबा संचालकों से बात करने के बाद हम उस रास्ते पर आगे बढ़े, जिस पर संत प्रेमानंद महाराज पद यात्रा करते हुए जाते थे। इस रास्ते पर पर भी सन्नाटा ही था।

संत प्रेमानंद महाराज के शिष्य उनके स्वागत में रंगोली बनाते थे। इस रास्ते पर एक किलोमीटर पैदल चलने के बाद हम NRI ग्रीन सोसाइटी से कुछ आगे पहुंचे। यह वही सोसाइटी है, जहां की महिलाओं ने प्रेमानंद की पदयात्रा का विरोध किया था।

फूल दुकानदार बोले- कोई आता नहीं, मगर दुकान लगा रहे

फूल की दुकान लगाने वाले अनिल मिले। वह कहते हैं- अब प्रेमानंदजी गाड़ी पर जाते हैं, कोई रुकता नहीं। इसलिए लोग अब फूल नहीं खरीदते। कोई आता भी नहीं। सब उनको ही तो देखने आते थे। मगर हम अभी भी दुकान लगा रहे हैं।

अब लगभग 1 बजकर 30 मिनट का समय हो गया था। यह वह समय था, जब दुकानदारों को बात करने की फुरसत नहीं होती थी।

लेकिन, अब यहां दुकानदार सर्दी से बचने को हाथ तापते नजर आए। इनके चेहरे बता रहे थे, यह लोग परेशान हैं। इनको देखकर हम वहीं रुक गए।

चाय दुकानदार बोले- जिनकी एक झलक पाने के लिए लोग आते, अब वह गाड़ी से जाते

दुकानदारों से बात की तो पता चला कि 3 दिन से उनकी बोहनी तक नहीं हुई। चाय बेचने वाले अनुज दुबे ने बताया कि जब से महाराज जी की पदयात्रा बंद हुई है, तब से उन्होंने इस रास्ते से निकलना ही बंद कर दिया। जिसकी वजह से ग्राहक ही नहीं आ रहे। लोग क्यों आएंगे? सब उन्हीं की एक झलक पाने खींचे चले आते थे। अब सब बर्बाद हो गया।

वहीं दुकानों के पास कुछ लोग बैठे दिखे। उनका सामान देखकर अंदाजा लगा कि वह सब वृंदावन के नहीं है। पता चला कि ये लोग पुणे से आए हैं। युवकों ने दुकानदार से पूछा कि संत प्रेमानंद महाराज यहीं से निकलते हैं न? इस पर दुकानदार ने बेमन से मना कर दिया। युवकों का यह दल पुणे से आया था।

शुभम ने कहा- हम प्रेमानंदजी महाराज की एक झलक देखने आए थे। मगर अब वह पैदल जाते नहीं हैं। इसलिए यही पर बैठे हैं।

यहीं पर हमारी मुलाकात पठानकोट से दर्शन करने आई निधि से हुई। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने विरोध किया था। जिसकी वजह से उन्होंने नियम ही बदल दिए। हमारा महाराज जी से निवेदन है कि वह पहले की तरह दोबारा इस रास्ते से पदयात्रा करने लगे।

संत प्रेमानंद अब कार से रमणरेती तक जाते हैं

संत प्रेमानंद महाराज रात 2:30 बजे श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी से रमणरेती स्थित आश्रम हित राधा केली कुंज के लिए निकलते हैं। 2 किमी पैदल चलकर जाते हैं। इस दौरान हजारों अनुयायी उनके दर्शन के लिए सड़क के दोनों तरफ खड़े रहते हैं।

वह अब सुबह 4 बजे कार से रमणरेती तक जाते हैं और फिर वहां से करीब सौ मीटर पैदल चलते हैं।

रात्रि पदयात्रा से 3 फायदे थे…

दर्शन लाभ : जब प्रेमानंदजी महाराज पदयात्रा करते हुए जाते थे। तब भक्तों को उनके दर्शन और सत्संग का फायदा मिलता था।

आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ जाती : पदयात्रा के दौरान सड़कों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते थे, भजन-कीर्तन होता था। इससे वृंदावन की आध्यात्मिक ऊर्जा और बढ़ जाती थी।

कारोबार का फायदा : लोकल दुकानदारों को फायदा मिलता था। क्योंकि बड़ी संख्या में श्रद्धालु यात्रा के दौरान प्रसाद, फूल, दीप और अन्य धार्मिक सामग्री खरीदते थे।