असम अवैध खदान हादसे में मारे गए 5 और मजदूरों के शव बरामद कर लिए गए हैं। रेस्क्यू टीम को सर्च ऑपरेशन में 44 दिन लग गए। पुलिस ने बताया कि शव बुरी तरह सड़-गल चुके हैं। मजदूरों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट किया जाएगा।
इससे पहले 8 जनवरी को एक शव और 11 जनवरी को तीन शव बरामद हुए थे। दरअसल, दीमा हसाओ जिले की उमरंगसो कोयला खदान में पानी भरने से 9 मजदूर फंस गए थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन इंडियन आर्मी और NDRF की टीम मिलकर चला रही थी।
सरकार सभी पीड़ितों के परिवारों को 10-10 लाख रुपए के मुआवजा देगी। साथ ही अवैध रूप से चल रही 220 ऐसी ही खदानों को बंद किया जाएगा।
कोयला खदान हादसे में मारे गए लिजान मगर की पत्नी जुनू प्रधान कहती हैं कि 6 जनवरी को उनके काम का पहला दिन था। लिजान मगर हमारे परिवार का इकलौता कमाने वाला था। पत्नी जुनू ने कहा- मेरा 2 महीने का बच्चा है और मुझे नहीं पता कि हमारा भविष्य क्या होगा।
शनिवार सुबह 27 साल के लिजान मगर का शव पानी पर तैरता मिला था। वह दीमा हसाओ के कलामती गांव नंबर 1 का निवासी था।
2 गिरफ्तारियां, 2 पर FIR; कांग्रेस की PM से मांग- SIT बनाएं
असम पुलिस ने खदान हादसे के सिलसिले में हनान लस्कर और पुनुश नुनिसा को गिरफ्तार किया था। वहीं, कांग्रेस की दिमा हसाओ यूनिट के कोम केम्पराई और पितुश लंगथासा ने उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) देबोलाल गोरलोसा और उनकी पत्नी कनिका होजाई के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। इसमें गोरलोसा और होजाई की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की गई है। दावा है कि ये दोनों खदान में अवैध खनन करवा रहे थे।
वहीं लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने खदान हादसे को लेकर PM मोदी के नाम चिट्ठी लिखी और मामले की जांच के लिए SIT बनाने की मांग की है। गौरव ने लिखा- पीड़ित परिवारों को न्याय मिलना चाहिए और यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
2018 में भी मारे गए थे 15 रैट होल माइनर्स
ऐसा ही एक हादसा मेघालय की ईस्ट जयंतिया हिल्स में 2018 में हुआ था। जहां 15 मजदूर कोयला खदान में फंसकर मारे गए थे। 13 दिसंबर को इस खदान में 20 खनिक 370 फीट गहरी खदान में घुसे थे, जिसमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकल आए थे। 15 मजदूरों को बचाया नहीं जा सका था।