स्पोर्टस सिटी परियोजना में घोटाले की नींव आवंटन के समय रख दी गई थी। बिल्डरों को अनुचित लाभ दिया गया। इसका प्रमाण सीएजी की 2021 की रिपोर्ट में देखने को मिल रहा है। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया है कि प्राधिकरण और बिल्डर की साठगांठ के जरिए ही करीब 9 हजार करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी की गई।
इस मामले में सीईओ नोएडा प्राधिकरण लोकेश एम ने कहा कि सभी आदेशों का अध्ययन किया जा रहा है। कोर्ट ने जो आदेश दिया है अक्षर सा अमल में लाया जाएगा।
बता दें सत्ता बदलाव के बाद नोएडा प्राधिकरण में सीएजी की जांच शुरू की गई। सीएजी ने 2007 से 2017 तक की फाइलों की जांच की जिसमें करीब 30 हजार करोड़ के वित्तीय गड़बड़ी की बात सामने आई। इसमें अकेले 9 हजार करोड़ रुपए स्पोर्टस सिटी के शामिल किए गए।
दरअसल स्पोर्टस सिटी की 2010-11 और 2015-16 के बीच 798 एकड़ में चार स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं शुरू की गईं। जिसमें चार बिल्डरों को भूखंड आवंटित किए गए।
प्राधिकरण और सीएजी की आवंटन दर में बड़ा अंतर
इसमें 12050 रुपए प्रति वर्गमीटर से लेकर 26650 प्रति वर्गमीटर की दर से भूखंड आवंटित किए गए। जबकि सीएजी ने बाजार के आकलन के अनुसार अपनी रिपोर्ट में बताया कि उस समय बिल्डरों को करीब 17556 से लेकर 1 लाख 26 हजार 280 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से भूखंडों का आवंटन होना चाहिए था।
इन दोनों में बड़ा अंतर है। इस हिसाब से प्राधिकरण की ओर से बिल्डरों को करीब 8643 करोड़ का अनुचित लाभ दिया गया। ये रिपोर्ट अब सार्वजनिक है।
सवाल ये है कि रिपोर्ट 2021 में जारी होने के बाद भी अब तक प्राधिकरण ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एक्शन क्यो नहीं लिया। और न ही भूखंड आवंटन का बकाया वापस लेने की जहमत तक की। प्राधिकरण की ओर से सिर्फ एक नोटिस जारी किया गया। ये इसलिए कहा रहे है क्योंकि अनुचित लाभ देने के साथ बिल्डरों ने ब्रोशर की शर्तों का भी खुला उल्ल्घंन किया।
ये है ब्रोशर की शर्त जिनका नहीं किया गया पालन
ब्रोशर की शर्तों के अनुसार आवंटी को लीज डीड होने के तीन सालों में खेलकूद सुविधा, संस्थागत व अन्य सुविधाओं के कुल क्षेत्रफल का करीब 15 प्रतिशत निर्माण पूरा करना था। 5 साल के अंदर संपूर्ण खेल सुविधाओं का पूरा किया जाना था। इसके अलावा आवासीय और व्यवसायिक निर्माण चरण बद्ध तरीके से सात साल में पूरा करना था। लेकिन 2010-11 से लेकर 2015-16 के आवंटन के बाद भी डेवलपर्स ने ब्रोशर शर्तों का पालन नहीं किया।
इसके बाद भी प्राधिकरण की ओर से कोई भी आवंटन न तो निरस्त किया गया और न ही कोई सख्त एक्शन लिया गया। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का जिक्र किया है कि यदि आवंटन निरस्त कर दोबारा से बाजार दर पर आवंटन किया जाता तो वित्तीय हानि से बचा जा सकता था। फिलहाल इस मामले में प्राधिकरण कोर्ट के आदेश के अध्ययन के बाद ही आगे की निर्णय लेगा। हालांकि जल्द ही बकाया वापस के लिए वह आवंटियों को नोटिस जारी करेगा। जैसा आदेश में स्पष्ट है।
11 स्पोर्ट्स एक्टिविटी को बनाया जाएगा
गोल्फ कोर्स (नौ होल्स) की निर्माण करीब 40 करोड़ रुपए मल्टीपर्पज प्ले फील्ड का निर्माण 10 करोड़ रुपए टेनिस सेंटर का निर्माण 35 करोड़ रुपए स्विमिंग सेंटर का निर्माण 50 करोड़- प्रो-शाप्स/फूड बेवरेज का निर्माण 30 करोड़ आईटी सेंटर / एडमिनिस्ट्रेशन / मीडिया सेंटर 65 करोड़ इंडोर मल्टीपर्पज स्टोर्स (जिम्नैस्टिक्स, बैडमिंटन, टेबल टेनिस स्कायश, बास्केट बाल, वाली वाल रॉक क्लाइंबिंग) 30 करोड़ क्रिकेट अकादमी, इंटरनल रोड एंड पार्क 25 करोड़ हॉस्पिटल. सीनियर लिविंग/मेडिसिन सेंटर 60 करोड़
मार्च 2024 तक चारों बिल्डर पर प्राधिकरण का बकाया
डेवलपर्स भूखंड सेक्टर बकाया
- जनाडु इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (कंसोटियम) सेक्टर-78, 79 ओर 101 1356.88 करोड़
- लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड एससी-01/150 2964.23 करोड़
- लोट्स ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (कंर्सोटियम) एससी-02/150 2969.87 करोड़