दिल्ली विधानसभा सत्र 3 मार्च तक बढ़ा:शराब नीति CAG रिपोर्ट में ₹2002 करोड़ का घाटा, स्पीकर बोले- जांच के लिए PAC बनेगी

दिल्ली विधानसभा सत्र को 3 मार्च तक बढ़ा दिया गया है। पहले 24 फरवरी को शुरू हुआ सत्र 27 फरवरी को खत्म होने वाला था। विधानसभा स्पीकर विजेंदर गुप्ता ने कहा- हम सदन में जितनी संभव हो सके उतनी CAG रिपोर्ट पेश करेंगे। अब विधानसभा सत्र 4 दिन के लिए बढ़ गया है।

आगे उन्होंने बताया कि सरकार और विपक्ष दोनों दलों के 12-14 सदस्यों वाली एक पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) बनाई जाएगी। सदन में चर्चा के बाद रिपोर्ट्स को PAC के पास भेजा जाएगा। कमेटी की फाइंडिंग्स मिलने के बाद सदन उचित कार्रवाई करेगा।

दिल्ली विधानसभा में 25 फरवरी को नई शराब नीति पर कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (CAG) की रिपोर्ट पेश हुई। दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने यह रिपोर्ट 25 फरवरी को पेश की। यह ऑडिट 2017-18 से 2020-21 तक का है।

इसके मुताबिक, दिल्ली की शराब नीति बदलने से 2,002 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। शराब नीति में कुछ थोक विक्रेताओं और निर्माताओं में ‘विशेष व्यवस्था’ से मोनोपॉली और ब्रांड प्रमोशन का खतरा पैदा हुआ। आप सरकार ने 10 साल से कैग की 14 रिपोर्ट सदन में पेश नहीं कीं।

71% आपूर्ति 3 थोक विक्रेताओं के कब्जे में थी

कैग रिपोर्ट के अनुसार, तीन थोक विक्रेताओं ने कुल शराब आपूर्ति का 71% हिस्सा नियंत्रित कर लिया। इनका कमीशन 5% से बढ़ाकर 12% किया। वहीं, गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानों के लिए समय पर अनुमति न लेने से 941.53 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ।

CAG रिपोर्ट पर विपक्ष की नेता आतिशी के 3 बयान

  • विधानसभा में आबकारी ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई। इसके सात अध्याय 2017-21 की आबकारी नीति पर हैं। एक अध्याय नई आबकारी नीति पर है। दिल्ली सरकार ने पुरानी आबकारी नीति की खामियों और भ्रष्टाचार को दिल्ली की जनता के सामने उजागर किया था। उस नीति के तहत हरियाणा और यूपी से अवैध रूप से शराब लाई जाती थी। यह रिपोर्ट वही बात दोहरा रही है जो हमने कहा था कि पुरानी नीति के कारण दिल्ली की जनता को घाटा हो रहा है। इस नीति से यह स्पष्ट होता है कि पुरानी नीति को हटाकर AAP सरकार ने सही फैसला लिया।
  • इस रिपोर्ट के आठवें अध्याय में कहा गया है कि नई नीति पारदर्शी थी, इसमें कालाबाजारी रोकने के उपाय थे और इसके जरिए राजस्व में वृद्धि होनी चाहिए थी। जब यही नीति पंजाब में लागू की गई, तो वहां आबकारी राजस्व में वृद्धि हुई। इस नीति के कारण 2021 से 2025 तक राजस्व में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट कहती है कि अगर नई नीति सही तरीके से लागू होती, तो राजस्व एक साल में ही 4,108 करोड़ से बढ़कर 8,911 करोड़ हो जाता। यह नई नीति लागू नहीं की गई, इसलिए 2,000 करोड़ रुपए कम राजस्व आया। इसकी जांच होनी चाहिए कि इसे किसने लागू नहीं होने दिया। इसके लिए तीन लोग जिम्मेदार हैं- दिल्ली LG, CBI और ED। यह नीति स्पष्ट करती है कि आप सरकार ने पुरानी नीति को हटाकर सही निर्णय लिया। हम मांग करते हैं कि इस CAG रिपोर्ट के आधार पर FIR दर्ज कर जांच कराई जाए और कार्रवाई की जाए।
  • इस रिपोर्ट ने हमारी बात को पुख्ता कर दिया कि शराब की बिक्री में भ्रष्टाचार था। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि 28 प्रतिशत से ज्यादा भ्रष्टाचार ठेकेदारों द्वारा किया जा रहा था और पैसा दलालों की जेब में जा रहा था। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि शराब की कालाबाजारी हो रही थी। सबको पता था कि शराब के ठेके किस पार्टी के लोगों के पास हैं। शराब के ठेकेदारों ने लागत मूल्य की गलत गणना करके मुनाफा कमाया।