बिल्डर कंपनियां लटका रही हरियाणा में अफोर्डेबल ग्रुप हाउसिंग कालोनियों के प्रोजेक्ट गड़बड़झाला

 हरियाणा में अफोर्डेबल हाउसिंग स्‍कीम में बिल्‍डर कंपनियों द्वारा गड़बड़झाले का खुलासा हुआ है। ज्यादातर बिल्डर कंपनियां अफोर्डेबल ग्रुप हाउसिंग स्कीम 2013 के तहत लाइसेंस लेकर बड़ा खेल कर रही हैं। गुरुग्राम में पिछले सात साल में रीयल इस्टेट की विभिन्न कंपनियों ने अफोर्डेबल स्कीम के तहत 103 लाइसेंस लिए मगर इनमें से अभी तक सिर्फ 16 ने ही कंपलीशन सर्टिफिकेट लिए हैं। 26 बिल्डर कंपनियां तो ऐसी हैं जिन्होंने कंपलीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन ही नहीं किया है जबकि उनके द्वारा निर्माण पूरा करने की पांच साल की समयावधि भी पूरी हो चुकी है।

गुरुग्राम में पिछले सात साल में 103 अफोर्डेबल लाइसेंस धारकों में से 16 ने ही लिए कंपलीशन सर्टिफिकेट

विधानसभा के बजट सत्र में गुरुग्राम के बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद ने यह मुद्दा उठाया। सरकार ने जवाब दिया है कि जो बिल्डर सही समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ 80 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा।

बजट सत्र में निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद ने उठाया था प्रोजेक्टों को लटकाने का मुद्दा

सेवानिवृत्त वरिष्ठ नगर योजनाकार रवि सिंगला बताते हैं कि सरकार के इस कदम से किफायती आवासीय सुविधा लेने के इच्छुक जिन लोगों ने अपनी बुकिंग कराई है, उनके अरमान भी अदालतों में केसों की भीड़ में दब जाएंगे। बिल्डर कंपनियां सरकार के आदेशों के खिलाफ अदालत में जाएंगी तो आवासीय योजनाएं ही लटक जाएंगी। बिल्डर कंपनियां भी यही चाहती हैं कि ताकि उन्हें उनके हिस्से में बचे फ्लैट पर ज्यादा प्रीमियम मिल सके।

आंकड़े बोलते हैं

 

  • – 606.1345 एकड़ पर 88 कालोनी विकसित करने को 103 लाइसेंस दिए।
  • – 88 में से 79 कालोनियों के ही नक्शे पास किए गए।
  • – 16 कालोनियों के ही कंपलीशन सर्टिफिकेट और दो कालोनियों के पार्ट कंपलीशन सíटफिकेट जारी हुए हैं।
  • – 23 कालोनियों में 50 फीसद से अधिक काम पूरा हुआ है।
  • -कंपलीशन सर्टिफिकेट के लिए पांच कंपनियों के आवेदन विचाराधीन हैं।

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‘अनियमितता बर्दाश्त नहीं’

” किफायती आवासीय योजनाओं में जो भी बिल्डर कंपनियां अनियमिता करेंगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रोजेक्ट तैयार करने में देरी को किसी भी सूरत में बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक किफायती आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है। बिल्डर कंपनियों को किफायती आवासीय योजना के लिए अनेक तरह की छूट भी इसलिए ही दी जा रही हैं।