घर से बाहर निकलने पर नोंच–खा जाते हैं कुत्ते:बहराइच के गांवों में सन्नाटा, बच्चों ने स्कूल छोड़ा; लाठी-डंडा लेकर निकल रहे लोग

सावधान, सावधान, सावधान…आपको सूचित किया जाता है कि आपके गांव के कुत्ते आदमखोर हो गए हैं। हमला कर रहे हैं। आप सभी लोग घर से जब भी निकलें तो हाथ में लाठी- डंडा लेकर…ये कुत्ते झुंड में रहते हैं, अकेले और निहत्था देखकर हमला कर देते हैं। बहराइच जिला प्रशासन यह अनाउंसमेंट गांव-गांव तक करा रहा है।

बहराइच में भेड़िए और तेंदुए के बाद अब कुत्तों का आतंक है। खैरीघाट इलाके के शिवपुर ब्लॉक के 4 गांव मटेरा कला, बक्शीपुरा, रखौना, खैरीघाट में ग्रामीण डरे हुए हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। लोग घरों में कैद हैं।गांवों में सन्नाटा है। अगर घर से निकलते भी हैं तो समूह में, वो भी हाथ में लाठी-डंडा और बल्लम लेकर।

कुत्ते बच्चों पर ज्यादा हमलावर हैं। प्रशासन कुत्तों को पकड़ने के लिए प्रयास तो कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट कराया जा रहा है। पिछले 10 दिनों से कुत्ते 4 अलग-अलग गांवों में हमले कर रहे हैं। एक मासूम को इतना नोचा कि उसकी मौत हो गई।

कुत्तों ने बच्ची को नोच कर मार डाला शिवपुर ब्लाक का मटेरा कला गांव। यह बहराइच जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर है। गांव की आबादी करीब 1500 है। भास्कर की टीम यहां पहुंची। पता चला कि इन दिनों लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। गांव के बाहर प्रशासन ने जाल लगाया है। उसके बावजूद कुत्तों का आतंक रुक नहीं रहा है। 10 दिन से ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक एक भी कुत्ता जाल में नहीं फंसा है।

24 फरवरी को गांव में पिंकी (9) शाम 4.30 बजे अपनी सहेलियों के साथ खेत की तरफ जा रही थी। तभी घर से 200 मीटर दूर रास्ते में कुत्तों ने हमला कर दिया। साथ गईं बच्चियां सहम गईं। वे दौड़ कर घर आईं और परिवार वालों को जानकारी दी। बच्ची के पिता दौड़ कर मौके पर पहुंचे।

खून से लथपथ बच्ची बेहोश हो गई थी। आनन-फानन में बच्ची को अस्पताल लेकर भागे, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद से गांव में खौफ है। बच्चे-बूढ़े घरों में कैद हैं। कुत्ते झुंड में हमला कर रहे हैं। प्रशासन भी इनके सामने नाकाम दिख रहा है।

टीम से पिंकी के पिता राजेंद्र ने बताया- मेरी बच्ची गांव के प्राइमरी स्कूल में कक्षा तीन में पढ़ती थी। वह सुबह स्कूल गई, शाम में वापस आई। खाना खाकर वह घर के बाहर खेलने चली गई थी। गांव की कुछ और बच्चों के साथ वह खेत की तरफ जा रही थी।

रास्ते में ही कुत्तों के झुंड ने उस पर अटैक कर दिया। मैं भागता हुआ पहुंचा। देखा कि बिटिया घायल पड़ी थी। खून से लथपथ थी। हमने बिटिया को गोद में उठाया, आवाज दी। वह नहीं बोली। उसे लेकर अस्पताल भागे, लेकिन उसकी जान जा चुकी थी।

इसी गांव के ननकऊ बताते हैं कि बच्ची की चीखने की आवाज सुनकर मैं भी मौके पर पहुंचा। कुत्ते बच्ची को नोच रहे थे। बचाने के लए आगे बढ़ा तो कुत्ते आक्रामक हो गए। मेरे ऊपर दौड़ पड़े। बच्ची को बचाने का प्रयास किया लेकिन बच्ची पूरी तरह खून से लथपथ हो गई थी।

कुत्तों ने काटा, गांव के लोग दौड़े तब बची जान

मटेरा कला से निकलकर टीम बक्शीपुरा पहुंची। यहां की आबादी करीब 1200 है। यहां भी कुत्ते लगातार हमला कर रहे हैं। गांव के लोग पहरा दे रहे हैं। प्रशासन ने भी डेरा जमा रखा है। लेकिन कुत्तों को पकड़ने में नाकाम है। लोग खेत पर जाते हैं तो झुंड में जाते हैं। उसके बावजूद कुत्ते मौका पाकर हमला कर देते हैं। सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों को है। लोगों ने बताया, 26 फरवरी को इसी गांव में कुत्तों के झुंड ने मोहल्ले में खेल रहे बच्चों पर हमला कर दिया।

चीख सुनकर दौड़े लोगों ने लाठी–डंडों से खदेड़ कर कुत्तों को भगाया। हमले में हुसैन रजा (8), शुभम , अजय, साक्षी, विकास शर्मा व मुशर्रफ अली समेत छह बच्चे घायल हो गए।

कुत्तों के झुंड ने बच्चे अजय को काटा घायल बच्चा अजय बताता है, मैं खेल कर आ रहा था। तभी 4 से 5 कुत्तों ने मेरे ऊपर हमला कर दिया। मैं चिल्ला कर भागा। उसके बावजूद एक कुत्ते ने मुझे काट लिया। जब गांव के लोग लाठी-डंडे लेकर पहुंचे तो कुत्ते भागे। तब मेरी जान बची। नहीं तो उस दिन कुत्तों का झुंड हमको नोच डालता।

  • गांव- रखौना

लाठी-डंडे लेकर रतजगा कर रहे गांव के लोग गांव बक्शीपुरा के पास रखौना गांव। छोटा गांव है। आबादी करीब 900 की है। यहां के लोगों ने टीम से बताया कि उनका बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। जब भी कोई घर से बाहर निकलता है तो हाथ में डंडा-लाठी लेकर। यहां प्रशासन से कोई इंतजाम नहीं किया है। गांव वाले खुद ही कुत्तों के हमले से बचने के लिए रात में पहरा देते हैं।

झुंड बनाकर हाथ में लाठी-डंडे लेकर रात में कुत्तों को भगाते हैं। इसके बावजूद आदमखोर कुत्तों का आतंक रुक नहीं रहा है। 28 फरवरी को इसी गांव में 4 वर्षीय बच्ची आरती घर के बाहर खेल रही थी, तभी कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया।

बच्ची की चीखें सुनकर आसपास के लोग और परिजन दौड़े। उन्होंने लाठी-डंडों से कुत्तों को भगाया और बच्ची की जान बचाई। घायल आरती को अस्पताल ले जाया गया, अब उसकी स्थिति खतरे से बाहर है। इसके बाद से ग्रामीणों में आक्रोश है।

गांव के बालक राम बताते हैं कि मेरी छोटी बच्ची आरती घर के बाहर खेल रही थी। हम लोग भी यहीं खड़े थे। तब तक कुत्तों का झुंड आया, हम लोग कुछ समझ पाते, कुत्तों के झुंड ने मेरी बच्ची पर हमला कर दिया। गांव के बाहर तक बच्ची को कुत्ते घसीटकर ले गए। बच्ची के शरीर पर घाव हो गए, हमें उसका बेहतर इलाज कराना पड़ा।

  • खैरीघाट इलाका

मां के सामने बच्ची को उठा ले गए आवारा कुत्ते ​​​गांव रखौना से 2 किमी दूर खैरीघाट गांव है। यहां पर भी कुत्तों के हमले नहीं रुक रहे हैं। गांव के लोग परेशान हैं। घर में घुसकर कुत्ते छोटे-छोटे बच्चों को उठा ले जाते हैं। अगर कोई अकेला कहीं जा रहा है, तो कुत्ते उस पर हमला कर देते हैं। कुत्ते पीछे से आते हैं और हमला कर देते हैं।

प्रशासन हमलावर कुत्तों को पकड़ने का प्रयास कर रहा है। लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही है। सोमवार 3 मार्च को खैरीघाट इलाके में ही कुत्तों ने 10 साल के मासूम अजय, शिवपुर निवासी ग्रामीण राम गोपाल (62), पुरुषोत्तम (65) और बबलू (35) पर हमला कर दिया। हमले में सभी लोग घायल हो गए।

2 साल की बच्ची को कुत्ते घसीटकर ले गए गांव की गुड़िया ने बताया, मैं अपनी 2 साल की बच्ची लाडो को लेकर घर के बाहर पानी भरने गई थी। उसको बैठाकर पानी भरने लगी, तभी कुत्ते आए और उस पर हमला कर दिए। उसे जबड़े से पकड़कर घसीटकर ले जाने लगे। मैं चीख सुनकर दौड़ी। आवाज दी तो गांव वाले लाठी-डंडे लेकर पहुंचे। कुत्तों के पीछे गए। उसके बाद बच्ची को छुड़ाकर हम लोग लाए।

ग्रामीण रमाशंकर बताते हैं कि कुत्ते इलाके में काफी दिनों से रह रहे हैं। लेकिन ये अचानक से हिंसक हो गए हैं। जिससे लोग भयभीत हैं। कुत्ते झुंड में आकर हमला कर देते हैं। चोरी छिपे आते हैं। एकदम हमलावर हो जाते हैं।

कुत्ते आदमखोर हो गए हैं… प्रशासन एक गाड़ी पर बाकायदा लाउडस्पीकर बांधकर अनाउंसमेंट करा रहा है। कहा जा रहा- सावधान, सावधान सावधान… आपको सुचित किया जाता है कि आपके गांव के कुत्ते आदमखोर हो गए है। हमला कर रहे हैं। आप सभी लोग घर से निकले तो हाथ में लाठी- डंडा लेकर। ये कुत्ते इतने आदमखोर हो गए हैं कि झुंड में रहते है, अकेले और निहत्था देखकर हमला कर देते हैं।