दिल्ली कैबिनेट ने सोमवार को नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नई नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिसमें शराब पीने की उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल कर दी गई है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, तमिलनाडु की तरह अब दिल्ली में भी शराब खरीदने की उम्र 21 वर्ष होगी, जबकि गोवा व आंध्र प्रदेश में यह उम्र सीमा 18 वर्ष है।
जहरीली शराब पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली में भारत की पहली अतरराष्ट्रीय जांच लैब बनेगी। शराब की दुकानों को बराबर-बराबर बांटा जाएगा।
भाजपा ने की सरकार के फैसले की निंदा
दिल्ली सरकार द्वारा नई आबकारी नीति को मंजूरी देने भाजपा ने इसे इतिहास का काला दिन करार दिया है। दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि शराब पीने की उम्र को 25 से घटा कर 21 किया जाना कानूनी सही हो सकता है लेकिन, नैतिक रूप से यह पूर्ण रूप से गलत है। उम्र घटाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार युवाओं को शराब की ओर धकेलने को अग्रसर है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने अपनी राजनीतिक फडिंग के लिए सारी सरकारी दुकानें बंद करने और निजी शराब माफिया को सौंपने का निर्णय लिया है।
नई आबकारी नीति दिल्ली के युवाओं के लिए खतरनाक : कांग्रेस
वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने नई आबकारी नीति को युवाओं के लिए खतरनाक बताया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि केजरीवाल सरकार का शराब पीने की उम्र को 25 से घटाकर 21 साल करने और शराब की दुकानों को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय दिल्ली को नशे की राजधानी बनाने की ओर अग्रसर करने वाला कदम है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि केजरीवाल ने नई आबकारी नीति को लाकर शराब माफिया को खत्म करने की बात की है। लेकिन केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया यह बताएं कि शराब के सेवन की न्यूनतम उम्र घटाकर क्या माफिया को खत्म किया जा रहा है या युवाओं को प्रेरित किया जा रहा है। अनिल चौधरी ने कहा कि शराब की बिक्री को निजी हाथों में सौपने के बाद दुकानों पर नकली शराब के दरवाजे खुल जाएंग, क्योंकि इनकी जांच नहीं होगी।