दिल्ली-NCR में फिर खराब हो रहे हालात, ढिलाई व बचाव के नियमों की अनदेखी से पैर पसार रहा कोरोना

कोरोना का संक्रमण जब शुरू हुआ था तो उसकी रोकथाम के लिए तीन मंत्र दिए गए थे, जिसमें टेस्ट, ट्रेसिंग (संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान) और ट्रीटमेंट (इलाज) शामिल था। पहले अधिक से अधिक टेस्ट करने के साथ ही संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों की पहचान कर उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा था। ताकि संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने न पाए। लेकिन जब मामले कम होने लगे तो संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों की पहचान और उन्हें क्वारंटाइन करने का काम बंद कर दिया गया। जांच भी थोड़ी कम कर दी गई। अब दिल्ली-एनसीआर में हालात एक बार फिर खराब होने लगे हैं। इसका कारण कोरोना का संक्रमण कम होने पर बरती गई ढिलाई और लोगों द्वारा बचाव के नियमों की अनदेखी है।

जनवरी व फरवरी में मामले बहुत कम हो जाने पर सबको लगा कि कोरोना खत्म हो गया है। इस वजह से लोगों ने बचाव के नियमों का पालन बंद कर दिया। इतना ही नहीं, कोरोना काल से पहले की तरह लोग बाजारों में घूमने लगे, बाहर खाना पीना शुरू कर दिया। ऐसा लगने लगा मानो कोरोना है ही नहीं। बस यही लापरवाही व ढिलाई भारी पड़ी। इसी वजह से कोरोना एक बार फिर खतरनाक बनता दिख रहा है। अब भी वक्त है। यदि समय रहते सख्ती शुरू नहीं की गई तो आने वाले दिनों में परेशानी बढ़ सकती है। निश्चित ही बाहर निकलना जरूरी है लेकिन एहतियात उससे भी जरूरी है। वर्ना यदि ऐसे ही लापरवाही होगी और मामले बढ़ेंगे तो आगे के सारे रास्ते ही बंद हो जाएंगे। आपको याद होगा सख्ती और बचाव के नियमों का पालन करके ही पूर्व में कोरोना पर काबू पाया गया था। दिल्ली के पांचवें सीरो सर्वे में 56 फीसद लोगों में कोरोना की एंटीबाडी पाई गई थी। यह बात सामने आने के बाद लोगों को यह लगने लगा कि दिल्ली में हर्ड इम्यूनिटी आ गई है। इससे लोगों में डर बिल्कुल खत्म हो गया।

जागरूकता की जरूरत 

टीकाकरण को लेकर शुरुआत में लोगों के मन में कुछ आशंकाएं थीं। इस वजह से टीकाकरण के लिए उम्मीद के अनुसार लोग नहीं पहुंचे। इस बीच टीकाकरण की रफ्तार थोड़ी बढ़ी है लेकिन इसे और बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा ताकि बारी आने पर लोग टीका जरूर लगवाएं। यह भी समझना होगा कि मौजूदा परिस्थिति में लाकडाउन लगाना आर्थिक रूप से उचित नहीं होगा। नाइट कफ्यरू की रणनीति भी कारगर नहीं होगी। इसलिए बचाव के नियमों पर ही ध्यान देना होगा।

कंटेनमेंट जोन में आने-जाने पर हो सख्ती 

कंटेनमेंट जोन में लोगों के आने-जाने पर भी सख्ती करने की जरूरत है। कंटेनमेंट जोन के अंदर लोगों की जांच व संक्रमितों की पहचान की जानी चाहिए। संक्रमित पाए जाने वाले लोगों को होम क्वारंटाइन किया जाना चाहिए। ताकि कोई दूसरा व्यक्ति उनके संपर्क में न आए। लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। सब मिलकर लड़ेंगे तभी कोरोना से जीतने में सफल होंगे।

म्यूटेंट वायरस है ज्यादा खतरनाक

अब नया म्यूटेंट वायरस भी आ गया है। यूके स्ट्रेन के कई मामले दिल्ली में मिल चुके हैं। नया वायरस अधिक संक्रामक है। यह तेजी से फैलता है। बचाव के नियमों का ठीक से पालन नहीं करन से म्यूटेंट वायरस को फैलने का मौका मिल रहा है। इसलिए मास्क का इस्तेमाल, शारीरिक दूरी के नियम का पालन व सैनिटाइजर का इस्तेमाल जारी रखना होगा।

डा सुनीला गर्ग (निदेशक प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग, मौलाना आजाद मेडिकल कालेज)