यूपी के सीनियर IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश के खिलाफ केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई है। राज्य सरकार ने IAS अभिषेक के सस्पेंशन के कारणा की 36 पन्नों की रिपोर्ट बनाई है, जो केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) को भेजी है।
सीएम योगी ने IAS अभिषेक प्रकाश को 20 मार्च को सस्पेंड किया था। इस IAS अधिकारी पर पहले भी कई मामलों में घूसखोरी और अकूत संपत्ति का पता चला है। IAS के निलंबन को लेकर राज्य सरकार के पास सीमित अधिकार होते हैं। इसलिए आखिरी फैसला अब केंद्र सरकार को लेना है।
एक IAS ऑफिसर की निलंबन की क्या प्रक्रिया है, उसके पास क्या अधिकार होते हैं, राज्य और केंद्र सरकार की क्या भूमिका होती है, इन सभी सवालों के जवाब भास्कर एक्सप्लेनर में पढ़िए-
सवाल 1- अभिषेक प्रकाश पर क्या आरोप हैं?
जवाब- IAS अभिषेक प्रकाश पर आरोप है कि कमीशन न मिलने पर उन्होंने सोलर प्रोजेक्ट की एक फाइल रोक दी थी। अभिषेक प्रकाश ने अपने करीबी निकांत जैन के जरिए सोलर इंडस्ट्री प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए बिजनेसमैन से 5 फीसदी कमीशन की डिमांड की थी। बिजनेसमैन विश्वजीत दत्ता ने इसकी शिकायत सीएम योगी से की।
सीएम ने स्पेशल टास्क फोर्स (STF) से गोपनीय जांच कराई, जिसमें आरोप सही पाए गए। फिर एक्शन लिया गया।
अभिषेक ने कहां-कहां भ्रष्टाचार किया, 6 पॉइंट में जानिए-
1. डिफेंस कॉरिडोर जमीन घोटाला: नियमों को ताक पर रखा लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए अधिग्रहीत जमीन के मामले में भी तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। भू-अधिग्रहण समिति के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने तहसील प्रशासन के साथ मिलकर जमीनों की दरें मनमाने तरीके से तय कीं।
1984 में एससी वर्ग के लिए आवंटित जमीन को गलत तरीके से बेचने योग्य बनाया। भूमि खरीद-फरोख्त में दलालों और अधिकारियों की मिलीभगत से 20 करोड़ का मुआवजा उठाया गया। शासन को दी गई जांच रिपोर्ट में तत्कालीन डीएम को जिम्मेदार ठहराया गया है।
2. LDA उपाध्यक्ष रहते हुए धांधली लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) का उपाध्यक्ष रहते हुए अभिषेक प्रकाश पर कई बिल्डरों को फायदा पहुंचाने और मनमाने तरीके से सीलिंग व लाइसेंस जारी करने के आरोप लगे। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कई अवैध निर्माण गिरवाए, लेकिन अपने करीबी बिल्डरों को लाभ पहुंचाया। अधिकारियों से मिलीभगत कर बिल्डरों की फाइलें लटकाने के भी आरोप हैं।
3. अलीगढ़, लखीमपुर और हमीरपुर में भ्रष्टाचार के आरोप अभिषेक प्रकाश अलीगढ़, लखीमपुर खीरी और हमीरपुर में डीएम रह चुके हैं। उनके खिलाफ अलीगढ़ में जमीन खरीद-बिक्री में धांधली की शिकायतें थीं। लखीमपुर में सरकारी टेंडरों में हेरफेर और हमीरपुर में खनन माफियाओं से साठगांठ के आरोप लगे थे।
4. STF जांच के बाद एक्शन, बचाने की भी हुई थी कोशिश सूत्रों के मुताबिक, एसटीएफ की रिपोर्ट कई दिनों तक शासन में घूमती रही। कुछ अधिकारियों ने अभिषेक प्रकाश को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने किसी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद तत्काल सस्पेंशन का आदेश जारी कर दिया गया।
5. आलीशान संपत्तियां और लाइजनिंग सिंडिकेट का नेटवर्क सूत्रों के मुताबिक, अभिषेक प्रकाश ने लखनऊ में डीएम रहते हुए कई बेशकीमती संपत्तियां जुटाईं। अंसल में एक घर, आशियाना में कोठी और एक सोसाइटी में विला होने की बात सामने आई है।
बिचौलिए बाबू निकांत जैन और लकी जाफरी से करीबी संबंध थे, जो IAS अधिकारियों के लिए लाइजनिंग करते थे। निकांत और जाफरी ने कई बार महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स की फाइलों को क्लियर कराने के लिए कमीशन डील कराई।
6- दो जिलों में डीएम रहते 700 बीघा जमीन खरीदने के आरोप अभिषेक प्रकाश पर लखीमपुर खीरी और बरेली में 700 बीघा जमीन अपने परिवार के नाम खरीदने के भी आरोप हैं। यह जमीन आईएएस अभिषेक ने अपने परिजन (माता, पिता व भाई के अलावा कुछ फर्जी कंपनियां बनाकर) के नाम खरीदी हैं।
इसी तरह बरेली में 400 बीघा जमीन खरीदने का भी आरोप है। दोनों जगहों पर स्टांप ड्यूटी में चोरी के भी आरोप हैं। DOPT ने यूपी सरकार को इस पूरे मामले की जांच के लिए लिखा था।
सवाल 2- राज्य सरकार ने अब तक IAS पर क्या कार्रवाई की है?
जवाब- 20 मार्च को जांच रिपोर्ट सामने आने पर राज्य सरकार ने IAS अभिषेक प्रकाश को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। कार्रवाई के समय IAS अभिषेक प्रकाश औद्योगिक विकास विभाग के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के CEO थे।
एक्शन के बाद से अभिषेक प्रकाश अंडरग्राउंड हो गए हैं। उनके करीबी बाबू निकांत जैन को STF ने गिरफ्तार किया है। अभिषेक प्रकाश 31 अक्टूबर, 2019 से 7 जून, 2022 तक लखनऊ के जिलाधिकारी रहे।
इसके अलावा, 23 अक्टूबर, 2020 से 25 जुलाई, 2021 तक उन्होंने LDA के वीसी की जिम्मेदारी भी संभाली। अब राज्य सरकार ने सस्पेंड करने के कारणों की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी है।
सवाल 3- IAS ऑफिसर्स को सस्पेंड करने को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के पास क्या अधिकार हैं?
जवाब- ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिन एंड अपील) नियम 1996 के मुताबिक मिनिस्ट्री, डिपार्टमेंट या राज्य सरकार में नियुक्त ऑल इंडिया सर्विस ऑफिसर के सस्पेंशन के लेकर नियम-
- इन सर्विस में किसी सदस्य के निलंबन की जानकारी कार्रवाई के 48 घंटों के अंदर भारत सरकार को देनी होती है। इसमें सस्पेंशन ऑर्डर सहित किस आधार पर सस्पेंड किया गया है यह काडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी को बताना जरूरी है।
- कार्रवाई के 15 दिनों के अंदर निलंबन की एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को देना जरूरी है।
- राज्य सरकार सिर्फ 30 दिन के लिए सस्पेंड कर सकती है, उससे अधिक के निलंबन के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है। यह बढ़ाया गया समय 120 दिन के लिए मान्य होता है। इसके बाद केंद्र या राज्य की रिव्यू कमेटी के सुझाव के आधार पर आगे 180 दिन के लिए निलंबन बढ़ाया जा सकता है।
- भ्रष्टाचार के आरोप में अफसर का निलंबन दो साल से अधिक का नहीं हो सकता है। हालांकि, इसे सेंट्रल रिव्यू कमेटी के सुझाव पर बढ़ाया जा सकता है।
- IAS अफसर के निलंबन के मामले में केंद्र और राज्य सरकार के बीच केंद्र का फैसला आखिरी होता है।
- केंद्र सरकार के तहत काम करने वाले IAS अफसरों को सिर्फ सेंट्रल रिव्यू कमेटी के सुझाव पर ही सस्पेंड किया जा सकता है।
सवाल 4- क्या IAS अफसरों के पास संवैधानिक सुरक्षा होती है?
जवाब- हां, IAS अफसर बनने की प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 312(2) और अखिल भारतीय सेवा अधिनियम 1951 के तहत होती है। IAS बनने के बाद संविधान का अनुच्छेद 311 इन्हें सुरक्षा देता है। इस अनुच्छेद के तहत IAS अफसर की बर्खास्तगी, हटाए जाने या पद में नीचे करने को लेकर नियम हैं-
नियम 1- कोई भी व्यक्ति जो संघ की सिविल सेवा या अखिल भारतीय सेवा या किसी राज्य की सिविल सेवा का सदस्य है या संघ या राज्य के अधीन कोई सिविल पद पर है, उसे सिर्फ वो अथॉरिटी हटा सकती है, जिसने उसे नियुक्ति किया है। उससे नीचे के किसी भी अन्य अथॉरिटी के पास उसे हटाने का अधिकार नहीं है।
नियम 2- ऐसे व्यक्ति को बर्खास्त या हटाने या पद से नीचे तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक जांच में उसके खिलाफ आरोपों की जानकारी न दी गई हो।
उन आरोपों के संबंध में उसे अपना पक्ष रखने का उचित अवसर भी दिया जाना जरूरी है। इसके बावजूद अगर जांच के बाद कोई पेनाल्टी लगाई जाती है तो वह जांच में पाए गए सबूतों के आधार पर होनी चाहिए।
सवाल 5- IAS अफसर के भ्रष्टाचार या किसी अन्य अपराध का दोषी पाए जाने पर क्या होता है?
जवाब- किसी IAS ऑफिसर के भ्रष्टाचार या किसी अन्य अपराध का दोषी पाए जाने पर सबसे पहले ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिन एंड अपील) नियम 1969 के तहत कार्रवाई की जाती है। भ्रष्टाचार का मामला होने पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के तहत भी कार्रवाई होती है। ये केंद्र की DOPT के अंडर आता है।
आपराधिक मामले में दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई के बाद भारतीय संविधान के तहत कानूनों के मुताबिक कार्रवाई होती है।
साल 2020 से पहले तक ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिन एंड अपील) नियम 1969 के तहत IAS, IPS और IFS के पास भ्रष्टाचार या किसी आपराधिक मामले में दोषी पाए जाने के बावजूद निलंबन ऑर्डर का रिव्यू दाखिल करने का अधिकार था। 2020 में केंद्र सरकार की DOPT ने 1969 के इन नियमों में सुधार किया।