सिंगर गुरु रंधावा अपनी सिंगिंग के अलावा बेबाकपन के लिए भी जाने जाते हैं। सोशल मीडिया पर कई मुद्दों पर वो अपनी राय खुलकर रखते हैं। फैंस को गुरु का ये अनफिल्टर्ड नेचर खूब भाता है।
सिंगर फिलहाल अपने सोलो एल्बम ‘विदाउट प्रेजुडिस’ लेकर सुर्खियों में हैं। इससे पहले उन्होंने लगभग एक दशक तक टी-सीरीज के साथ काम किया है। हाल की लंबे समय से टी-सीरीज और गुरु के बीच मनमुटाव की खबरें आ रही हैं।
दैनिक भास्कर से बातचीत में गुरु ने अपने नए एल्बम और टी-सीरीज को लेकर बात की है। पढ़िए इंटरव्यू की प्रमुख बातें…
सवाल- आपके सोलो एल्बम ‘विदाउट प्रेजुडिस’ के नाम के पीछे की कहानी क्या है?
जवाब- ये मेरी पहली इंडिपेंडेंट एल्बम है। मैंने पहले दिन से लेकर अब तक जो जर्नी तय की है, उसे इस एल्बम के जरिए बयां करने की कोशिश की है। अपने इमोशन को दिखाने की कोशिश की है। मैंने ये नाम ‘विदाउट प्रेजुडिस’ अपनी म्यूजिक जर्नी से ही प्रेरित होकर रखा है।
लाइफ में कई दफा आप ऐसा काम करते हैं, जिसमें बदलाव की जरूरत होती है। फिर उस बदलाव की तरफ आप कदम बढ़ाते हैं। ये मेरे खुद के बदलाव की तरफ मेरा पहला कदम है।
सवाल- आपकी शुरुआत तो इंडिपेंडेंट म्यूजिक से ही शुरू हुई थी।
जवाब- हां, मैं ऐसे आर्टिस्ट को सुनकर बड़ा हुआ हूं, जो अपना गाना खुद लिखते, गाते और म्यूजिक बनाते थे। उनका फिल्मी म्यूजिक से ज्यादा लेना-देना नहीं था। मैंने उनकी तरह बनने की कोशिश की। भगवान की कृपा रही कि उन्होंने मुझे वैसा ही बना दिया। जो मैं बनना चाहता था।
जो मन करे वैसा गाओ, जो मन करे वैसा पहनो। कोई रुकावट नहीं थी। थोड़ी बहुत जो रुकावट थी, उससे अब आगे निकल गया हूं। इस एल्बम के जरिए हमने बहुत सारे एक्सपेरिमेंट किए हैं। म्यूजिक, लिरिक्स, फ्लो, वीडियो सब में आपको मेरा एक्सपेरिमेंट नजर आएगा। इन गानों में आपको इमोशन और फीलिंग भी साफ दिखेगी।
सवाल- आप म्यूजिकल बैकग्राउंड से नहीं आते हैं। ऐसे में तीन साल की उम्र में ये स्पष्टता कहां से आई कि म्यूजिक ही करना है?
जवाब- मुझे लगता है ये स्पष्टता मेरे अंदर टीवी से आई। मैं टीवी से इंस्पायर हुआ हूं। अभी के समय में जिसके पास टीवी और फोन है, वो इंसान आर्टिस्ट है। लेकिन उस वक्त ऐसा नहीं था। पहले साल में कुल 28-30 आर्टिस्ट होते थे और वहीं पांच साल चलते थे। उन्हें देखकर मुझे लगता था कि मुझे इन 28 में शामिल होना है।
बचपन में एक बार मैंने क्लास में गाना गया तो मेरी मैडम ने कहा तुम्हारी आवाज अच्छी है। मैंने उनकी बात को सच माना और गाना शुरू कर दिया। उसी वक्त समझ आ गया था कि टीवी पर आने के लिए ये मेरा जरिया बन सकता है। सातवीं क्लास से मैंने लिखना शुरू कर दिया।
मैं बचपन से बब्बू मान और गुरदास मान सर को सुनते आ रहा हूं। वो लोग अपने गाने खुद लिखते थे। मैंने भी अपने दिमाग में नकली गर्लफ्रेंड क्रिएट कर के गाने लिखने शुरू कर दिया। जो भी सुंदर लड़की होती थी, उसे अपनी गर्लफ्रेंड बोलता और लिखने लगता।