खरपतवार से ही बना दिया प्राकृतिक मास्किटो रिपेलेंट, जल्द बाजार में होगा उपलब्ध; कीमत भी कम

शोध की शक्ति जहर को ही जहर नाशक बना देती है। जैसे कोरोना संकट से उबारने में इस वायरस के जीन से वैक्सीन तैयार हुई है। उसी तरह भिलाई के औषधि विज्ञानी ने उन्हीं खरपतवारों से मच्छर भगाने वाली दवा तैयार कर दी है, जिसे मच्छरों का बसेरा माना जाता है। जंगली सना, गाजर खास, निरगुंडी और बथुआ सहित अन्य खरपतवारों के अर्क को मिलाकर तैयार मच्छरमार अगले वर्ष तक बाजार में उपलब्ध हो जाएगा।

संतोष रूंगटा कालेज आफ फार्मास्यूटिक साइंस एंड रिसर्च के एसोसिएट प्रोफेसर मुकेश शर्मा ने स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के सौजन्य से शोध पूरा कर लिया है। अब उत्पाद को पेटेंट कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड मास्किटो रिपेलेंट (मच्छर मारनेवाला) से यह आधी से भी कम कीमत पर उपलब्ध होगा और प्राकृतिक होने की वजह से इसका दुष्प्रभाव भी नहीं के बराबर होगा।

हर्बल मास्किटो रिपेलेंट पाउडर, घोल (लिक्विड) और चिप के रूप में उपलब्ध होगा। पानी में पाउडर डालने पर लार्वा नहीं विकसित होगा। मच्छरों के कारण मलेरिया और डेंगू से सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरा देश परेशान है। मुकेश शर्मा ने अनुसार, उपयोगी हो जाने के कारण खेत और फसल के लिए नुकसानदेह खरपतवार भी किसानों के लिए लाभकारी हो जाएंगे। कालेज के वाइस प्रिंसिपल डा. एजाजुद्दीन के मार्गदर्शन में मुकेश इसी प्रोजेक्ट में पीएचडी भी कर रहे हैं। खरपतवार विशेषज्ञ के रूप में डा. एजाजुद्दीन के 150 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं।

विश्वविद्यालय के अनुदान से शोध

स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय से प्राप्त अनुदान से प्रोफेसर मुकेश ने एक्सट्रेशन यूनिट और अन्य मशीनरी स्थापित की है। शुरू में उन्होंने खरपतवार का पाउडर बनाकर लार्वा पर इस्तेमाल किया था। सफलता मिलने के बाद अर्क से रिपेलेंट तैयार कर मच्छरों पर प्रयोग किया गया। बाजार में उपलब्ध रिपेलेंट से सांस और त्वचा संबंधी बीमारी होती हैं। इससे उन रोग की आशंका भी नहीं होगी। इसके साथ ही यह प्रभावी व सस्ता भी होगा।

व्यावसायिक उत्पादन करने की तैयारी

मुकेश ने बताया कि रिपेलेंट और वेपोराइजर का डिजाइन पेटेंट होने के बाद इसके व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति देने की योजना है। सभी चीजें सही रहीं तो अगले साल तक यह उत्पाद बाजार में उपलब्ध होगा। कालेज की इनोवेशन सेल का भी विशेष सहयोग लिया जाएगा।

देश के सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित राज्यों में शामिल है छत्तीसगढ़

देश के सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ भी शामिल है। वर्ष 2019 में देश में मलेरिया के तीन लाख 38 हजार मामले सामने आए थे। इनमें छत्तीसगढ़ के ही सर्वाधिक एक लाख 30 हजार मामले थे। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर, सुकमा, दंतेवाड़ा, जगदलपुर, नारायणपुर और कोंडागांव जिलों बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती है। बड़ी संख्या में जवान भी इसकी चपेट में आते हैं।

संतोष रूंगटा कालेज के वाइस प्रिंसिपल डा. एजाजुद्दीन का कहना है कि खरपतवार से तैयार मच्छरमार पूरी तरह से प्राकृतिक है। अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि इस मच्छरमार का बच्चों और बुजुर्गो पर पर भी किसी प्रकार का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। साथ ही मच्छरों के नियंत्रण में काफी प्रभावी है।