चीन पर लगाए गए 104% टैरिफ के बाद मंगलवार 8 अप्रैल को अमेरिकी शेयर बाजार लगातार चौथे कारोबारी दिन गिरावट में बंद हुए। डाउ जोन्स इंडेक्स 320 अंक या 0.84% की गिरावट के साथ 37,645 के स्तर पर आ गया है। शुरुआती कारोबार में इसमें करीब 4% की तेजी थी। यानी, ऊपरी स्तर से ये करीब 5% नीचे बंद हुआ है।
वहीं, अमेरिकी बाजार का S&P 500 इंडेक्स 79.48 अंक या 1.57% की गिरावट के साथ 4,982 के स्तर पर बंद हुआ। टेक्नोलॉजी शेयरों के इंडेक्स नैस्डेक कंपोजिट में 335 पॉइंट या 2.15% की गिरावट रही। ये 15,268 के स्तर पर बंद हुआ।
लगातार तीन कारोबारी दिन में डाउ जोन्स 10% गिरा था। वहीं मंगलवार की गिरावट के बाद चार कारोबारी दिन में डाउ जोन्स की कुल गिरावट 11% हो चुकी है।
एशिया और यूरोप के बाजारों में तेजी रही
- 8 अप्रैल को जापान का निक्केई 6.03%, कोरिया का कोस्पी 0.26%, चीन का शंघाई इंडेक्स 1.58% चढ़ा है। हॉन्गकॉन्ग के हैंगसेंग में 1.51% की तेजी रही।
- सेंसेक्स 1135 अंक या 1.55% चढ़कर 74,273 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में 374 अंक या 1.69% की तेजी रही, ये 22,535 के स्तर पर बंद हुआ है।
कल अमेरिकी बाजार में 0.91% की गिरावट रही थी
- 7 अप्रैल को अमेरिका का डाउ जोन्स 349 अंक (0.91%) गिरकर 37,965 पर बंद हुआ। S&P 500 इंडेक्स में 0.23% की गिरावट रही। नैस्डेक कंपोजिट 0.09% चढ़ा था।
- जापान के निक्केई में 7.83%, कोरिया के कोस्पी इंडेक्स में 5.57%, चीन का शंघाई इंडेक्स 7.34% गिरा है। हॉन्गकॉन्ग के हैंगसेंग इंडेक्स में 13.22% की गिरावट रही थी।
- यूरोपीय बाजारों में जर्मनी का डैक्स इंडेक्स 4.26% गिरकर बंद हुआ। UK के FTSE 100 इंडेक्स में 4.38% और स्पेन का IBEX 35 इंडेक्स 5.12% गिरकर बंद हुआ था।
बाजार में अस्थिरता की वजह
3 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने दुनियाभर में जैसे को तैसा टैरिफ लगाया था। भारत पर 26% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। चीन पर 34%, यूरोपीय यूनियन पर 20%, साउथ कोरिया पर 25%, जापान पर 24%, वियतनाम पर 46% और ताइवान पर 32% टैरिफ लगेगा।
इस कदम ने टैरिफ वॉर शुरू कर दिया है। अमेरिका के टैरिफ के जवाब में चीन ने अमेरिका पर 34% जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। नया टैरिफ 10 अप्रैल से लागू होगा।
चीन के ऐलान के बाद ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि अगर चीन अमेरिका पर लगाया गया 34% टैरिफ वापस नहीं लेता है तो उस पर बुधवार से 50% एडिशनल टैरिफ लागू होगा। इस ऐलान के बाद व्हाइट हाउस ने मंगलवार को बताया कि ये टैरिफ लागू हो गया है।
टैरिफ वॉर ने इकोनॉमिक स्लोडाउन की चिंता को बढ़ा दिया है। टैरिफ से सामान महंगा होने पर लोग कम खरीदारी करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो सकती है। साथ ही, मांग कम होने से कच्चे तेल की कीमतें भी गिरी हैं। ये कमजोर इकोनॉमिक एक्टिविटी का संकेत है।
9 अप्रैल से लागू हुए रेसिप्रोकल टैरिफ
अमेरिका में आने वाले सभी सामानों पर 10% बेसलाइन (न्यूनतम) टैरिफ लगाया गया है। बेसलाइन टैरिफ 5 अप्रैल से लागू हो गया है। वहीं रेसिप्रोकल टैरिफ 9 अप्रैल को रात 12 बजे के बाद लागू हो गए हैं। बेसलाइन टैरिफ व्यापार के सामान्य नियमों के तहत आयात पर लगाया जाता है, जबकि रेसिप्रोकल टैरिफ किसी अन्य देश के टैरिफ के जवाब में लगाया जाता है।