निधन के बाद पोप फ्रांसिस की पहली तस्वीर सामने आई:पार्थिव शरीर को ताबूत में रखा गया; शव के पास धार्मिक प्रार्थनाएं की गईं

कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन के बाद वेटिकन ने उनकी पहली तस्वीर जारी की है। उनके पार्थिव शरीर को ताबूत में रखा गया है। शव के पास ही धार्मिक नेताओं द्वारा प्रार्थनाएं की गईं।

पोप के अंतिम संस्कार के तैयारी आज से शुरू होगी। कैथोलिक चर्च के कार्डिनल (पादरी) आज वेटिकन आएंगे। अंतिम संस्कार अगले कुछ दिन में होगा, जिसमें दुनियाभर के नेता और आम लोग जुटेंगे।

पोप का सोमवार को 88 साल की उम्र में निधन हुआ। वेटिकन के मुताबिक स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर पोप ने आखिरी सांस ली।

वेटिकन के मुताबिक पोप का निधन स्ट्रोक और हार्ट फैलियर से हुआ। इटैलियन मीडिया ने भी बताया था कि ब्रेन स्ट्रोक की वजह से पोप के दिमाग में रक्तस्राव हो गया था।

पोप की आखिरी पब्लिक अपीयरेंस, ईस्टर पर शुभकामनाएं दीं

अपनी मृत्यु से एक दिन पहले पोप फ्रांसिस ने ईस्टर संडे के लिए मौन आशीर्वाद दिया। उन्होंने एक बयान जारी कर गाजा समेत दुनिया भर में चल रहे संघर्ष पर बात की और शांति की अपील की।

पोप के निधन पर भारतीय गृह मंत्रालय ने 3 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। पहले दो दिन का राष्ट्रीय शोक 22 और 23 अप्रैल को रहेगा, जबकि तीसरे दिन का राष्ट्रीय शोक अंतिम संस्कार वाले दिन रहेगा।

ताबूत में रखा गया पोप का शव, सेंट पीटर्स बेसिलिका में दर्शन के लिए रखा जाएगा

कल रात 11:30 बजे वेटिकन में पोप का शव ताबूत में रखा गया। उनके वेटिकन स्थित सेंट मार्था निवास पर कार्डिनल केविन जोसेफ फैरेल ने उनका शव ताबूत में रखा। बुधवार को उनका शव सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा जा सकता है।

पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार होगा। इसमें कई दिनों तक चलने वाले धार्मिक अनुष्ठान होंगे। उनके पार्थिव शरीर को दर्शनों के लिए रखा जाएगा। दुनिया भर से लोग अंतिम संस्कार से पहले उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे।

वेटिकन में नहीं दफनाया जाएगा पोप का शव

पोप फ्रांसिस को वेटिकन में नहीं दफनाया जाएगा। वे एक सदी से भी ज्यादा वक्त में वेटिकन के बाहर दफन होने वाले पहले पोप होंगे। आमतौर पर पोप को वेटिकन सिटी में सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे गुफाओं में दफनाया जाता है। लेकिन पोप फ्रांसिस को रोम में टाइबर नदी के दूसरी तरफ मौजूद सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में दफनाया जाएगा।

पोप ने सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में अपने दफन होने का बात का खुलासा दिसंबर 2023 में किया था। उन्होंने बताया था कि वे मैगीगोर बेसिलिका से खास जुड़ाव महसूस करते हैं। वे यहां वर्जिन मैरी के सम्मान में रविवार की सुबह जाते थे।

सांता मारिया मैगीगोर में 7 अन्य पोप को भी दफनाया गया है। पोप लियो XIII आखिरी पोप थे जिन्हें वेटिकन से बाहर दफनाया गया था। उनकी मृत्यु 1903 में हुई थी।

पोप फेफड़ों में इन्फेक्शन से भी जूझ रहे थे

पिछले कई महीनों से पोप स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका निमोनिया और एनीमिया का इलाज भी चल रहा था। वे 5 हफ्ते तक फेफड़ों में इन्फेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती थे।

इलाज के दौरान कैथलिक चर्च के हेडक्वॉर्टर वेटिकन ने बताया था कि पोप की ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में किडनी फेल होने के लक्षण दिख रहे थे। हालांकि, 14 मार्च को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था।

अगले पोप की चयन प्रक्रिया को पैपल कॉन्क्लेव कहा जाता है

नए पोप के चयन की प्रक्रिया को ‘पैपल कॉन्क्लेव’ कहा जाता है। इसका मतलब पोप का चुनाव कराने के लिए कार्डिनल्स की गुप्त बैठक होता है। यह सम्मेलन आम तौर पर पोप का पद खाली होने के 15 से 20 दिन बाद होता है।

कार्डिनल्स बड़े पादरियों का एक ग्रुप है। इनका काम पोप को सलाह देना है। हर बार इन्हीं कार्डिनल्स में से पोप चुना जाता है। हालांकि, पोप बनने के लिए कार्डिनल होना जरूरी नहीं है। 1379 में अर्बन VI आखिरी पोप थे, जिन्हें कार्डिनल्स कॉलेज से नहीं चुना गया था।

निधन से पहले अमेरिकी उपराष्ट्रपति से मिले थे

1000 साल में पोप बनने वाले पहले गैर-यूरोपीय

पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी थे, वो 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। उन्हें पोप बेनेडिक्ट सोलहवें का उत्तराधिकारी चुना गया था। पोप फ्रांसिस बीते 1000 साल में पहले ऐसे इंसान थे जो गैर-यूरोपीय होते हुए भी कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे।

पोप ने समलैंगिक व्यक्तियों के चर्च आने, सेम-सेक्स कपल्स को आशीर्वाद देने, पुनर्विवाह को धार्मिक मंजूरी देने जैसे बड़े फैसले लिए। उन्होंने चर्चों में बच्चों के यौन शोषण पर माफी भी मांगी थी।

पोप का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। पोप बनने से पहले उन्होंने जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से जाना जाता था। पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे। पोप ने अपना ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बिताया है।

वे सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) के सदस्य बनने वाले और अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप थे। उन्होंने ब्यूनस आयर्स यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की थी। साल 1998 में वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने थे। साल 2001 में पोप जॉन पॉल सेकेंड ने उन्हें कार्डिनल बनाया था।