एक शिकागो नगर परिषद ने उस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया है जिसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) एवं मानवाधिकार के मुद्दे पर भारत की आलोचना की गई थी। प्रस्ताव को 18 के मुकाबले 26 मतों से खारिज कर दिया गया। महापौर लोरी लाइटफुट ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, ‘परिषद के कई सदस्य प्रस्ताव का समर्थन करने में असहज महसूस कर रहे थे, क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि भारत में वास्तव में क्या हो रहा है।’ बता दें कि अमेरिका में न्यूयार्क के बाद शिकागो नगर परिषद सबसे शक्तिशाली नगर परिषदों में से एक है।
महापौर ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘नगर परिषद में प्रस्ताव को लेकर जो आपने अनिच्छा देखी उसकी वजह यह थी कि कई सदस्यों का मानना है कि मामले पर पर्याप्त जानकारी नहीं है।’ उन्होंने कहा कि शिकागो के सामने अपनी ही कई समस्याएं हैं। लाइटफुट ने कहा, ‘मैं यह कहना चाहूंगी कि शिकागो के महापौर पद पर बैठकर बाइडन प्रशासन से आगे नहीं जा सकती। इस तरह के मुद्दों पर किसी तरह की टिप्पणी और निर्णय लेने का अधिकार संघीय सरकार को है।’ परिषद के सदस्य रेमंड ए लोपेज ने प्रस्ताव को विभाजनकारी करार देते हुए कहा, ‘मैं इसका समर्थन नहीं कर सकता, क्योंकि यह बहुत ही विभाजनकारी है।’
उन्होंने कहा, ‘मेरे कार्यालय से हजारों लोगों ने संपर्क किया और कड़ाई से इस प्रस्ताव का विरोध किया। भारत के महावाणिज्य दूत ने भी मुझसे संपर्क किया। यह बताता है कि वृहद समुदाय एवं वृहद चर्चा पर इसका कितना प्रभाव है। मैंने अपने सहयोगी से कहा कि वे इसके पक्ष में मतदान नहीं करें।’ माना जा रहा है कि प्रस्ताव के पेश होने से पहले शिकागो स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने शहर के महापौर एवं शिकागो नगर परिषद के सभी 50 सदस्यों से संपर्क किया था। सदस्य जॉर्ज ए कार्डनेस ने सवाल उठाया कि अगर भारत पर शिकागो के नगर परिषद में चर्च हो सकती है तो चीन में उइगर के सफाए पर क्यों नहीं। कार्डनेस ने कहा कि अगर हम इस तरह के मुद्दे पर चर्चा करने बैठेंगे तो कई वैश्विक मुद्दे हैं। हमारे घर में कई महत्वपूर्ण मुद्दे है जिस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है। हम एकजुट समुदाय हैं।
प्रस्ताव के पीछे इस्लामिक रिलेशन की भूमिका
शिकागो के प्रमुख भारतीय अमेरिकी डॉक्टर भरत बराई ने परिषद के फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के पीछे काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशन है और उसकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए। प्रस्ताव को परिषद की सदस्य मारिया हैड्डन द्वारा लाया गया था। उनका कहना था कि प्रस्ताव दक्षिण एाशियाई सहयोगियों से मिली जानकारी पर आधारित है।