‘पापा, मम्मी से हमें बहुत प्यार था। आज उनकी 42वीं मैरिज एनिवर्सरी है, लेकिन हम दसवां कर रहे हैं। पहली बार हम अकेले हैं, हमारे सिर पर किसी का हाथ नहीं, खुशी मनाने के लिए कोई साथ नहीं।’
यह कहना है, FCI से रिटायर्ड अरुण श्रीवास्तव (65) और मीना (60) की बड़ी बेटी अंकिता का। वह कहती हैं- हम 2 महीने से मैरिज एनिवर्सरी के लिए तैयारियां कर रहे थे। वो दादा-दादी बनने वाले थे। नए मेहमान के लिए खिलौने खरीदने लगे थे। मां कहती थीं, जाड़े में छोटे ऊनी कपड़ों की जरूरत होगी। वो ऊन खरीदकर छोटे कपड़े बुनने लगी थीं। लेकिन, उस राजमिस्त्री ने हमारा घर ही बर्बाद कर दिया।
29 अप्रैल को घर में कंस्ट्रक्शन करने आए राजमिस्त्री श्याम बाबू ने अरुण और मीना को मार डाला। पुलिस ने उसको अरेस्ट कर जेल भेज दिया है।
बेटी बोली- मेरे घर आते ही पापा खुश हो जाते थे
अंकिता कहती हैं- हम बेटियों को पापा ज्यादा मानते थे। मैं जब भी घर आती, पापा खुश होकर कहते- देखो नीतू आ गई। मम्मी भी मेरे लिए बहुत परेशान रहती थीं। मेरे खाने-पीने का वह बहुत ध्यान रखती थीं। घर में किसी को कोई काम नहीं करने देती थीं।
मां सुबह से शाम तक सिर्फ काम करती रहती थीं। घर में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था। घर के सदस्यों के साथ काम करने वाले मजदूरों के लिए भी चाय-नाश्ता और खाना बनाकर देती थीं। ठीक उसी तरह से पापा भी पूरी जिम्मेदारी अकेले ही निभाते रहे। किसी को कोई काम नहीं करने देते थे। (यह कहते हुए वह रोने लगती हैं।)
बेटी अमृता ने कहा- मेरे सामने कभी राजमिस्त्री के झगड़े का जिक्र नहीं हुआ
इसके बाद हमारी बात दूसरी बेटी अमृता से हुई। वह कहती हैं- सोमवार को ही मैंने मम्मी के हालचाल जानने के लिए कॉल किया था। भाई को रीवा (मध्य प्रदेश) जाना था। उसके लिए मम्मी खाना बना रही थीं। बोलीं, बाद में बात करूंगी।
मैं एक हफ्ते यहां रहकर गई थी। लेकिन, मेरे सामने राजमिस्त्री से किसी तरह के झगड़े की बातें सामने नहीं आईं जबकि मेरे सामने सब बातें हो जाती थी। मेरी भाभी की डिलीवरी होनी थी।
बेटी नमृता ने कहा- रोज वीडियो कॉल पर बात होती थी
नमृता कहती हैं- मेरी मम्मी-पापा से रोज वीडियो कॉल पर बात होती थी। मेरे बेटे से वह वीडियो कॉल पर रोज बात करती थीं। घटना के दिन भी सुबह 9 बजे मेरी बात हुई थी। वो कुछ कहना चाहती थीं। वह कुछ कहतीं, इससे पहले ही मुझे कुछ काम याद आया। मैंने कहा कि बाद में बात करते हैं और फोन काट दिया।
घर में मनीष की पत्नी भी मौजूद थी। उन्होंने कहा- 9 मई को पापा-मम्मी की शादी की सालगिरह है। इसको लेकर कुछ दिन पहले से ही प्लान कर लिया गया था कि हमें क्या करना है? मैं कुछ दिन पहले ही यहां से अपने मायके गई थी। पापा-मम्मी में दादा-दादी बनने की काफी खुशी थी। काफी एक्साइटेड थीं। घर में 3 मई को पूजा होनी थी। उसकी भी सारी तैयारी कर लीं। सारी खरीदारी कर ली गई थी, लेकिन सब बेकार हो गया।
बेटे मनीष ने बताया- घटना के एक दिन पहले ही मैं पापा-मम्मी से मिलकर गया था। सब कुछ ठीक था। पापा-मम्मी बहुत सज्जन थे। किसी से भी विवाद नहीं था। कभी नहीं सोचा था कि ऐसा हो जाएगा। किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी।
अब पूरी घटना समझिए…
फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) से रिटायर्ड अरुण श्रीवास्तव (65) पत्नी मीना श्रीवास्तव के साथ नैनी की ADA कॉलोनी के LIG मकान में रहते थे। वह मूलरूप से चुनार (मिर्जापुर) के रहने वाले थे। उनका घर चौराहे से करीब 100 मीटर दूर अक्षय वट अस्पताल के पास है।
उनके 3 बेटियां और एक बेटा है। तीनों बेटियों की शादी हो चुकी है। एक बेटी मिर्जापुर में लेक्चरर है। दूसरी प्रयागराज में ही रहती है। तीसरी बेटी बेंगलुरु में पति के साथ रहती है। बेटा मनीष मध्यप्रदेश के सीधी के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी करता है।
अरुण मकान के फर्स्ट फ्लोर पर रहते थे। घर के थर्ड फ्लोर पर 10वीं में पढ़ने वाला सुनील किराए पर रहता है।
दोपहर 3 बजे सुनील अरुण से मिला था। इसके बाद वह अपने कमरे में चला गया। शाम 5 बजे जब वह अपने कमरे से निकला तो देखा कि मेन गेट बाहर से लॉक है। इसके बाद वह अरुण श्रीवास्तव वाले हिस्से में गया। वहां भी दोनों कमरों में बाहर से ताला बंद था।
सुनील ने मेन गेट खुलवाने के लिए शोर मचाया। इस पर आसपास के लोग अरुण के घर के बाहर पहुंचे। मेन गेट पर ताला लगे होने की सूचना पुलिस को दी। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस को अरुण की लाश और उनकी पत्नी मीना घायल अवस्था में मिलीं। बाद में अस्पताल में मीना की भी मौत हो गई थी।