9 मई को पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद बिहार के BSF SI मोहम्मद इम्तियाज का पार्थिव शरीर सोमवार सुबह पटना लाया गया। एयरपोर्ट पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, मंत्री श्रवण कुमार मंत्री, नितिन नवीन ने पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी।
श्रद्धांजलि के बाद SI मोहम्मद इम्तियाज का बेटा इमरान रो पड़ा। रोते-रोते उसने कहा- ‘आईएम प्राउड ऑफ यू पापा। इस जंग में शहीद सभी जवानों को नमन करता हूं। देश का हमारे साथ खड़े रहने के लिए धन्यवाद करता हूं।’
‘मैं सरकार से चाहता हूं कि पाकिस्तान को कड़ी सजा दी जाए। आज इस हमले में मैंने अपने पिता खोया, पत्नी ने पति खोया। इस दर्द को कोई नहीं समझ सकता, जिसके घर से कोई जाता है सिर्फ वो इसे समझ सकता है। हमें देश के जवानों पर गर्व है।’
पटना से छपरा लाया जा रहा पार्थिव शरीर
श्रद्धांजलि के बाद एयरपोर्ट से SI के पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से छपरा लाया जा रहा है। डेढ़ से 2 घंटे में जवान का पार्थिव शरीर छपरा पहुंचेगा। पैतृक गांव नारायणपुर में राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
रविवार को CM नीतीश कुमार ने X पर लिखा- ‘देश हमेशा उनकी शहादत को याद करेगा। शहीद मोहम्मद इम्तियाज का राज्य सरकार की ओर से पुलिस सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।’
तेजस्वी बोले- इम्तियाज ने बता दिया देश की सुरक्षा धर्म-जाति से ऊपर है
- बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा, “हमने देश का एक जवान खो दिया है, छपरा निवासी मोहम्मद इम्तियाज की शहादत को देश कभी नहीं भूलेगा। हम और पूरा देश उनके परिवार के साथ खड़ा है। हम इस वीर सपूत को नमन करते हैं और हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं।”
- बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन ने कहा, ‘मैं बिहार के लाल को नमन करता हूं। उन्होंने पूरे बिहार को गौरवान्वित किया है। उन्होंने भारतीय सीमाओं को अभेद्य रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।’
- राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘शहीद इम्तियाज ने यह संदेश दिया है कि हमारे देश में अनेकता में एकता है। हमारे देश में विभिन्न जाति और धर्म के लोग हैं, लेकिन जब देश की सुरक्षा की बात आती है तो हम सभी एकजुट होकर दुश्मनों से लड़ते हैं और जीतते हैं।’
9 मई को शहीद हुए थे मोहम्मद इम्तियाज
पाकिस्तान की सेना ने सीजफायर का उल्लंघन करते हुए अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा पर आरएस पुरा सेक्टर में 9 मई की शाम जबरदस्त गोलीबारी की। इसमें BSF में तैनात बिहार के सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज शहीद हो गए।
मोहम्मद इम्तियाज बिहार के छपरा जिले के गड़खा थाना क्षेत्र के नारायणपुर गांव के रहने वाले थे। उनका पार्थिव शरीर देर रात दिल्ली पहुंचा। इससे पहले जम्मू कश्मीर में मोहम्मद इम्तियाज को श्रद्धांजलि दी गई।
गांव के कब्रिस्तान में किया जाएगा सुपुर्दे-खाक
मिली जानकारी के अनुसार, शहीद के छोटे भाई मोहम्मद असलम भी BSF में सब-इंस्पेक्टर हैं। वे अभी घर नहीं पहुंचे हैं। उनके आने का भी इंतजार किया जा रहा है। उनके पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार का समय तय होगा। शव को मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार गांव के कब्रिस्तान में सुपुर्दे-खाक किया जाएगा।
प्रशासन ने अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी कर ली हैं। शहीद के घर के आसपास साफ-सफाई और बाकी व्यवस्था की गई है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन तैयार है।
BSF के ट्विटर हैंडल से शहादत की मिली जानकारी
जानकारी के मुताबिक, मोहम्मद इम्तियाज को पैर में गोली लगी थी। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। परिजनों को BSF के ट्विटर हैंडल से शहादत की जानकारी मिली। जिसके बाद उनके बेटे मोहम्मद इमरान और दामाद जम्मू के लिए निकले।
SI इम्तियाज के भांजे अमजद ने बताया, ‘गोलीबारी से 4 घंटे पहले उन्होंने अपनी पत्नी शाहीन अजिमा से बात की थी। कह रहे थे कि कश्मीर के हालात बहुत गंभीर हैं।
गांव के लोगों ने बताया कि वो एक महीने पहले घर आए थे। ईद के आसपास वो घर पर ही थे। उनके 2 बेटे और 2 बेटियां हैं।
बचपन से फौज में जाना चाहते थे
शहीद BSF SI के मामा शम्सुद्दीन ने बताया, ‘मोहम्मद इम्तियाज बचपन से ही फौज में जाने की इच्छा रखते थे। खुद BSF में भर्ती हो जाने के बाद उन्होंने अपने छोटे भाई को भी देशभक्त के प्रति प्रेरित कर BSF में भर्ती करवाया।’
‘गांव में छुट्टी पर आने के दौरान ग्रामीण युवकों से भी फौजी बनने की तैयारी के बारे में टिप्स देते थे। वह परिजनों से कहते थे कि रिटायरमेंट के बाद वह गांव में रहकर खेती-बाड़ी और व्यवसाय करेंगे।’
पत्नी से सिर्फ 1 मिनट बात हुई थी
SI इम्तियाज के भांजे अमजद के मुताबिक, 10 मई को मामा ने पत्नी शाहीन अजिमा से सिर्फ 1 मिनट बात की थी। जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर बात हुई। फिर हालचाल पूछकर फोन कट कर दिया।
अमजद ने बताया, ‘पत्नी हार्ट और बीपी की मरीज है, जिन्हें शहादत की जानकारी नहीं दी गई है। सिर्फ पैर में गोली लगने की बाद अस्पताल में भर्ती करने की बात बताई गई है।’
शहीद मोहम्मद इम्तियाज 3 भाईयों में सबसे बड़े हैं। दूसरे नंबर का भाई मो. मुस्तफा असम की गुवाहाटी में बतौर सब इंस्पेक्टर BSF में तैनात हैं। शहादत की खबर मिलने के साथ ही वह अपनी पैतृक गांव छपरा के नारायणपुर के निकल गए। तीसरा भाई अरब में नौकरी करता है।
2 दिन पहले भांजे से की थी बात
उनके भतीजे मोहम्मद आफताब कहते हैं, ‘उन्होंने मुझसे आखिरी बार दो दिन पहले बात की थी। हमने एक-दूसरे के स्वास्थ्य के बारे में पूछा। हमें शनिवार रात करीब 9 बजे उनके निधन के बारे में पता चला। बताया गया कि वे नहीं रहे। वे वाकई बहुत अच्छे थे, वे मेरे मामा थे।’
वहीं, गांव के निवासी अर्जुन राय कहते हैं-

मैंने आखिरी बार शुक्रवार को बात की थी। उन्होंने हमें बताया था कि स्थिति बहुत गंभीर है। उन्हें यहां से गए हुए 14-15 दिन हो गए होंगे। उनका स्वभाव काफी मिलनसार था।
मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे शहीद मो. इम्तियाज
BSF जवान के शहीद होने के बाद उनके गांव में मातम पसरा है। शहीद मो. इम्तियाज के बचपन के दोस्त ने बताया, ‘वह अप्रैल में गांव आए थे तो उनसे बातचीत हुई थी। वो मेरे गेट के दरवाजे के पास ही बैठे थे।
उन्होंने कहा-
हमलोग नर्सरी से मैट्रिक तक साथ में पढ़ें थे। वे बहुत अच्छे इंसान थे। हमलोग सरकार से मांग करते हैं कि उनके परिवार को मुआवजा मिले
वहीं जवान के दूसरे साथी ने बताया,
पाकिस्तान के हवाई हमले और आखिर में सीजफायर
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने धर्म पूछकर 26 टूरिस्ट की हत्या कर दी थी। महिलाओं और बच्चों के सामने पुरुषों को सिर और सीने में गोली मारी थी। महिलाओं से कहा था- तुम्हें इसलिए छोड़ रहे हैं कि जाकर मोदी को बता देना।
घटना के दौरान प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब में थे। वे दौरा बीच में ही छोड़कर देश लौटे और कैबिनेट की मीटिंग बुलाई। 24 अप्रैल को उन्होंने कहा- आतंकियों को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। इसके बाद सेना के अफसरों से मिले और कहा- सेना कार्रवाई के लिए जगह और समय तय करे।
पहलगाम घटना के 15 दिन बाद सेना ने पाकिस्तान और PoK में एयर स्ट्राइक की। 25 मिनट में 9 आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए थे। 100 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया। यहीं आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती थी। भारत ने इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया। क्योंकि आतंकियों ने देश की बहन-बेटियों का सुहाग उजाड़ा था।
इसके बाद पाकिस्तान ने 8 मई की रात से लगातार बॉर्डर से सटे इलाके और एयरबेस पर गोलाबारी शुरू कर दी। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी के सैन्य ठिकानों पर हमला किया। लेकिन 10 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता के बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की घोषणा की गई।