मैं कुछ समझ ही नहीं पाया कि उसके दिल में क्या चल रहा था। यह विधि का कैसा विधान है। शौर्य ने तो बहुत सारे सवालों के जवाब जानने का मौका ही नहीं दिया। वह मेरा सबसे ज्यादा ख्याल रखता था। अगर कोई बात थी तो एक बार मुझे तो बताना चाहिए था।
ये कहना है शौर्य उर्फ कृष्णा के पिता ओमप्रकाश शर्मा का। जिन्होंने अपने बेटे को खोया है। बुधवार को शौर्य ने फांसी लगाकर जान दे दी।
पिता ओमप्रकाश ने कहा- उसके सपने बहुत बड़े थे। वह कानपुर के सबसे बड़े स्कूल में पढ़ना चाहता था। विदेश जाना चाहता था। मगर हम सब कभी उसके सपनों को तोड़ने के बारे में सोचा तक नहीं था।
BSS स्कूल से 10वीं की शौर्य ने की पढ़ाई इंग्लिश टीचर ओम प्रकाश शर्मा अपने परिवार के साथ रावतपुर के बी ब्लॉक हितकारी नगर में रहते हैं। बड़ा बेटा एयरफोर्स में सार्जेंट है। उससे छोटा बेटा अंशुमान बीएड करने के बाद कानपुर के NLK कॉलेज में टीचर है। जबकि छोटा बेटा शौर्य 2025 में यूपी बोर्ड से 10वीं की परीक्षा BSS स्कूल से पास की थी।
पिता बोले- मैं स्कूल में था, जब बेटे ने सुसाइड किया ओम प्रकाश शर्मा के मुताबिक, बुधवार की सुबह 11 बजे वह स्कूल में थे। उसी दौरान उनकी बहू आशिका को फ़ोन आया। बहू ने बताया कि शौर्य ने फांसी लगा ली है। ओम प्रकाश जब तक घर पहुंचे, परिवार वाले शौर्य को फंदे से उतारकर हॉस्पिटल लेकर जा चुके थे। जहां पर उसे मृत घोषित कर दिया गया था।
10 मिनट लेट हो जाऊं तो फोन आता था पापा कहा हो पिता ओमप्रकाश ने बताया- शौर्य और मेरा कनेक्शन इतना गहरा था अगर घर आने में 10 मिनट भी देरी हो जाती थी तो उसका फोन आ जाता था। पूछता था पापा कहा हो। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि विधि का यह कैसा विधान है।
आज ही हमारे फोन में पैसे भी खत्म हुए थे ओम प्रकाश शर्मा ने बताया- बुधवार को ही मेरे मोबाइल में पैसे खत्म हो गए थे। मैंने सोचा बेटे का फोन तो स्कूल में जमा ही हो जाता है। तब तक मैं घर पहुंच ही जाऊंगा। मुझे नहीं मालूम था कि बहू आशिका का फोन आएगा और सब कुछ उजड़ जाएगा।
राम चरित मानस का फर्राटे से करता था पाठ ओमप्रकाश कहते हैं कि मेरा शौर्य बहुत अच्छा लड़का था। वो राम चरित मानस का पाठ फर्राटे से करता था। हम लोग भी कहीं अटक जाते थे तो वो बिना देखे पूरा कर देता था। उसे बस एक ही ललक थी वो बहुत बड़ा आदमी बनना चाहता था।
पिता ने कहा- हम लोग समझते थे और हम उसके लिए कुछ करते भी बड़े बेटे लव ने मंझले भाई को बीएड कराया है। ऐसा थोड़े था कि शौर्य कुछ कहता तो उसकी बात पूरी अनसुनी कर दी जाती थी। फिर भी उसने यह कदम उठा लिया।