ऑपरेशन सिंदूर-पाकिस्तान डमी फाइटर जेट के झांसे में फंसा था:उसके एयर डिफेंस सिस्टम के ऑन होते ही भारत ने स्ट्राइक की थी

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु सेना ने दुश्मन के एयर डिफेंस कवच को तोड़ने की ऐसी नायाब तरकीब अपनाई थी, जिसे इस संघर्ष की बड़ी उपलब्धि के तौर पर हमेशा याद रखा जाएगा।

भारतीय वायु सेना ने असली फाइटरों जेट की जगह डमी फाइटर जेट का इस्तेमाल किया था। इसके लिए अनमैंड एरियल व्हीकल्स (UAV) का सहारा लिया गया था।

DRDO के लक्ष्य और ब्रिटिश बंशी यूएवी को जेट जैसा दिखाने के लिए वजनी बनाया गया। इनमें इंफ्रारेड सिग्नेचर जोड़ा गया था ताकि पाकिस्तानी वायु सेना को लगे कि असली फाइटर आ रहे हैं।

पाकिस्तान के मुरीद एयरबेस, सियालकोट, सरगोधा और रहीम यार खान के सामने इन डमी फाइटर जेट की उड़ान भेजी गई थीं। इससे पाकिस्तानी एयर डिफेंस सक्रिय हो गया।

पाकिस्तान ने HQ-9 मिसाइल बैटरियों और राडार नेटवर्क को एक्टिवेट कर दिया। भारतीय वायु सेना ने इस स्थिति का फायदा उठाया। हैरोप ड्रोन्स ने पाकिस्तानी मिसाइल बैटरियों और राडार साइट्स को नष्ट कर दिया। इसके चलते पाकिस्तानी वायु सेना बिना रक्षा कवच के रह गई थी।

भारत की एयरस्ट्राइक में कई पाकिस्तानी एयरबेस तबाह हुए थे

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कई एयरबेस तबाह किए थे। प्राइवेट कंपनी मक्सर (Maxar) के सैटेलाइट ने इन तबाह एयरबेस की फोटोज जारी की थीं।

मक्सर ने पाकिस्तान के जिनकी फोटोज जारी की, उनमें सरगोधा, नूर खान, भोलारी और सुक्कुर के एयरबेस थे। फोटोज में साफ देखा जा सकता है कि हमले के पहले और बाद में वहां क्या स्थिति थी।

सेना ने बताया था कहां-कहां की थी एयरस्ट्राइक सेना ने 7 मई की सुबह बताया था कि पाकिस्तान और पीओके में 9 टारगेट पहचाने गए थे। इन्हें हमने तबाह कर दिया। लॉन्चपैड, ट्रेनिंग सेंटर्स टारगेट किए गए। इनके नाम हैं..

  • पीओके में मुजफ्फराबाद स्थित लश्कर के सवाई नाला ट्रेनिंग सेंटर को सबसे पहले निशान बनाया गया। सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम हमले के आतंकियों ने यहीं ट्रेनिंग ली थी।
  • मुजफ्फराबाद का सैयदना बिलाल कैंप। यहां हथियार, विस्फोटक और जंगल सर्वाइवल की ट्रेनिंग दी जाती थी।
  • कोटली का लश्कर का गुरपुर कैंप। पूंछ में 2023 में श्रद्धालुओं पर हमला करने वाले आतंकी यहीं ट्रेंड हुए थे।
  • भिम्बर का बरनाला कैंप। यहां हथियार चलाना सिखाया जाता है।
  • कोटली का अब्बास कैंप। यह एलओसी से 13 किमी दूर है। यहां फिदायीन तैयार होते हैं।
  • सियालकोट का सरजल कैंप। मार्च 2025 में पुलिस जवानों की हत्या के आतंकवादियों को यहीं ट्रेन किया गया था।
  • सियालकोट का हिजबुल महमूना जाया कैंप। पठानकोट हमला यहीं प्लान किया गया।
  • मुरीदके का मरकज तैयबा कैंप। अजमल कसाब और डेविड कोलमैन हेडली यहीं ट्रेन हुए थे।।
  • मस्जिद सुभान अल्लाह बहावलपुर जैश का हेडक्वार्टर था। यहां रिक्रूटमेंट, ट्रेनिंग दी जाती थी। बड़े अफसर यहां आते थे।