प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा- भारत को दुनिया का सबसे डाइवर्स नेशन कहा जाता है। हमारा नॉर्थ ईस्ट इसका सबसे डाइवर्स हिस्सा है।
दो दिन चलने वाली समिट में मिनिस्टर लेवल सेशन, बिजनेस टु गवर्नमेंट (B2G), बिजनेस टु बिजनेस (B2B) बैठकें होंगी।
पूर्वोत्तर राज्यों के लिए घरेलू और ग्लोबल इन्वेस्टर्स को एक मंच पर लाने के लिए यह समिट की जा रही है। इस समिट से टूरिज्म, एग्रीकल्चर, फूड प्रोसेसिंग, हेल्थ, एजुकेशन और एनर्जी जैसे सेक्टर्स में निवेश को प्रमोट करने की योजना है।
पूर्वोत्तर राज्यों की इन सेक्टर्स में 2023-24 में GSDP 9.26 लाख करोड़ रुपए रही। यह 2014-15 से 2021-22 तक 10.8% की दर बढ़ी जबकि इस दौरान देश का औसत 8.1% था।
₹1 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव आए पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के सचिव चंचल कुमार ने 14 मई को बताया था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव आए हैं। विदेशी निवेशकों को एक्सपोजर देने के लिए 15 अप्रैल को राजदूतों की बैठक में 75 से ज्यादा देशों के राजदूतों ने भाग लिया था।
पूर्वोत्तर के आठ राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम को ‘अष्टलक्ष्मी’ कहा जाता है। नॉर्थ-ईस्ट के हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में आर्थिक अवसर को बढ़ावा देने के लिए दिसंबर, 2024 में अष्टलक्ष्मी महोत्सव का आयोजन किया गया था।
अष्टलक्ष्मी महोत्सव के उद्घाटन पर PM मोदी ने कहा था कि पहले की सरकारों ने नॉर्थ-ईस्ट के विकास पर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि नॉर्थ-ईस्ट के पास वोट कम थे और यहां सीटें कम थीं। अटल जी की सरकार के दौरान नार्थ-ईस्ट के विकास के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों ने पिछले दशक में पूर्वोत्तर की 700 यात्राएं कीं। हम पूर्वोत्तर को इमोशन, इकोनॉमी और इकोलॉजी की त्रिमूर्ति से जोड़ रहे हैं। पिछले 10 सालों के दौरान हमने पूर्वोत्तर के साथ दिल्ली और दिल के अंतर की भावना को कम करने की कोशिश की है।