लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में रविवार की सुबह आग लगने के बाद बड़ी लापरवाही सामने आई है। आलम यह रहा कि मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था। इसे लेकर अग्निशमन विभाग नोटिस जारी कर चुका था, क्योंकि अस्पताल में फायर सेफ्टी सिस्टम पूरी तरह से फेल हो चुका था।
सामने आ गई हकीकत : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देश के बाद भी कॉर्डियोलॉजी अस्पताल में आग से निपटने के इंतजाम ही नहीं थे। रविवार सुबह 7.30 बजे जब फर्स्ट फ्लोर पर क्रिटिकल केयर यूनिट के स्टोर रूम में आग लगी तो हकीकत सामने आ गई। संस्थान का फायर सेफ्टी सिस्टम फेल था, यहां लगे स्मोक डिटेक्टर, फायर पैनल एवं अग्निशमन उपकरण (फायर एक्सटिंग्युशर) काम ही नहीं कर सके। अग्निशमन विभाग ने फायर एनओसी (नन आब्जेक्यशन सर्टिफिकेट) के लिए संस्थान को नोटिस दिया था। फिर भी गंभीरता नहीं दिखाई, यही लापरवाही घटना के समय भारी पड़ गई।
नहीं हैं आग से निपटने के इंतजाम : लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में कहने के लिए आग से निपटने के पूरे इंतजाम किए गए हैं। यहां वाटर लाइन, हाइडेंट और फायर कंट्रोल पैनल, स्मोक डिटेक्टर एवं फायर एक्सटिंग्युशर लगे हैं। संस्थान के अधिकारी इसकी कभी जांच-पड़ताल तक नहीं करते हैं। यहां लगी पाइप लाइन जंक जा रही है। हाइड्रेंट केवल दिखावे के लिए हैं। संस्थान में जगह-जगह लगे फायर एक्सटिंग्युशर एक्सपायरी डेट के हैं। जब यहां रविवार सुबह आग लगी तो न फायर कंट्रोल पैनल काम कर सका और न ही स्मोक डिटेक्टर काम कर पाए। आग बुझाने के लिए फायर एक्सटिंग्युशर भी आधे-अधूरे ही चल सके।
नोटिस के बाद भी सजगता नहीं : मुख्य अग्निशनम अधिकारी सुरेंद्र चौबे ने बताया कि संस्थान में आग बुझाने के लिए लगा फायर पैनल काम नहीं कर सका। हाईडेंट और पाइप लाइन भी खराब पड़ी है। यहां लगे ज्यादातर फायर एक्सटिंग्युशर भी एक्सपायरी डेट के थे। इसलिए कुछ ही काम कर सके। संस्थान को फायर की एनओसी के लिए पूर्व में नोटिस दिया था। इसके बावजूद लापरवाही बरती गई।
नई बिल्डिंग की भी एनओसी नहीं: लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान की ओपीडी संक्रामक रोग अस्पताल के आधे हिस्से में बनाई गई है। वहां भी फायर कंट्रोल पैनल, हाईडेंट और पाइपलाइन लगाई गई है। यहां भी फायर विभाग से अभीतक एनओसी नहीं ली गई है।
इनकी भी सुनिए: हृदय रोग संस्थान में फायर सेफ्टी सिस्टम फेल होना गंभीर बात है। अगर अग्निशमन विभाग ने फायर एनओसी के लिए नोटिस दिया था, तो उस पर गंभीरता बरती चाहिए थी। संस्थान के निदेशक से नोटिस को लेकर जवाब तलब करेंगे। –प्रो. आरबी कमल, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।